महिला सरपंच ने रिश्तेदारों को बांट दी सरकारी जमीन, जांच में आरोप सही पाए गए, फिर भी एक्शन नहीं

राजस्थान के जयपुर जिले के दूदू की महिला सरपंच ने सरकारी जमीनों को अपने रिश्तेदारों में बांट दिया, जिन पर जांच में आरोप सही पाए गए हैं। इसके बावजूद, कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

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Gyan Chand Patni
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जयपुर। राजस्थान में जयपुर जिले के दूदू की महिला सरपंच ने अपने करीबी रिश्तेदारों को रेवड़ियों की तरह सरकारी जमीनें बांट दी। जांच में जमीन बांटने के आरोप सही पाए गए, लेकिन दोषी सरपंच और अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।  

क्या है मामला

 दरअसल,   दूदू पट्टा घोटाला 2023 में मार्च से मई महीने के बीच का है। तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने दूदू को जिला बनाने की घोषणा कर दी थी। इसके साथ ही ग्राम पंचायत को नगर परिषद का दर्जा दे गया। इस बदलाव के चलते सरपंच कमलेश चौधरी ही नगर परिषद की सभापति हो गई थीं। उन्होंने सरपंच रहते हुए कांकरिया नाड़ा की सरकारी जमीन पर अपने करीबी रिश्तेदारों को 81 पट्टे बांट दिए थे। यह आवंटन बावरी जाति के नाम पर किए गए थे। मजे की बात यह है कि रिश्तेदारों ने एक दूसरे की जमीन रजिस्ट्री में गवाही भी दी है।   

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जांच रिपोर्ट और आरोप

दूदू जमीन फर्जीवाड़ा मामले की शिकायत की जांच स्थानीय निकाय के उप—निदेशक( क्षेत्रीय ) की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने की थी। दूदू ग्राम पंचायत फर्जी पट्टा घोटाले की जांच रिपोर्ट में ग्राम पंचायत दूदू की सरपंच को सरकारी जमीन को परिजनों सहित नजदीकी लोगों को नियम विरुद्ध पट्टे देने के आरोप हैं। जांच रिपोर्ट के अनुसार नियमों के तहत केवल भूमिहीन परिवारों को 100 से 150 वर्गगज के पट्टे दिए जा सकते हैं। लेकिन, महिला सरपंच कमलेश चौधरी ने अपने रिश्तेदारों, पंचायत के कर्मचारियों और चहेतों को सरकारी जमीन के 200 से 300 वर्गगज के पट्टे दे दिए। दूदू ग्राम पंचायत फर्जी पट्टा घोटाले की जांच रिपोर्ट में सबकुछ साफ हो गया।

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पीएम आवास योजना में भी किया भ्रष्टाचार

जांच रिपोर्ट में बताया है कि सरपंच ने प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में अपने परिजनों व चहेतों को नियम विरुद्ध आवास राशि देकर फर्जीवाड़ा किया है। कई मामलो में एक ही पट्टे पर दो-दो व्यक्तियों को राशि स्वीकृत की है तो कई मामलों में दूसरी मंजिल निर्माण के लिए राशि स्वीकृत कर दी है। यह लोग वह हैं, जिनके पहले से ही मकान हैं और किसी भी द्ष्टिकोण से योजना के लिए पात्र नहीं है। जिस खाली भूखंड की जिओ टैगिंग की है, मकान उस पर नहीं होकर अन्यत्र है। कई मामलों में पहले से बने मकान का भुगतान उठा लिया है। दूदू ग्राम पंचायत भूमि पट्टा विवाद अब भी सुर्खियों में है।

जांच में पाया दोषी, लेकिन.....

स्थानीय निकाय के उप—निदेशक (क्षेत्रीय) की जांच में बताया है कि आबादी भूमि में कुछ व्यक्तियों को राजस्थान पंचायत राज नियम—1996 के तहत करीब 81 पट्टे जारी किए थे। इसका उल्लेख अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका दूदू की रिर्पोट में है। इस सूची के अनुसार जांच कमेटी ने मौका निरीक्षण किया था और मौके पर अधिशासी अधिकारी की सूची के विपरीत स्थिति थी। 
मौके पर बावरी जाति के लोगों के बरसों पुराने कच्चे—पक्के मकान व झोपड़े ​बने हुए थे। ये लोग अलग—अलग रहते हैं और इन भूखडों पर प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत स्वीकृतशुदा भवनों का निर्माण होना पाया गया।

भूखंडों पर न कोई मकान था और न ही किसी का कब्जा

इसके अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों को दिए गए पट्टों से संबंधित भूखंडों पर न कोई मकान था और न ही किसी का कब्जा था। यह पट्टे आवंटन के अनुसार अलग-अलग नहीं है। बल्कि इन पट्टो से संबंधित जमीन संयुक्त पक्की चारदीवारी एवं गेट युक्त है। इन पृथक-पृथक पट्टो के लिए मौके पर कोई रास्ता आदि भी नहीं होने से स्पष्ट है कि यह जमीन एक ही व्यक्ति अथवा व्यक्तियो के सामूहिक उपयोग में ली जा रही है।  दूदू में पट्टा विवाद और नियम उल्लंघन के मामले ने पूरे प्रदेश का ध्यान खींचा है।

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FAQ

1. क्या महिला सरपंच ने सरकारी भूमि का गलत तरीके से आवंटन किया था?
हां, जांच में पाया गया कि महिला सरपंच ने सरकारी भूमि को अपने रिश्तेदारों और कर्मचारियों को नियमों के खिलाफ आवंटित किया था।
2. क्या पीएम आवास योजना में भी भ्रष्टाचार हुआ था?
हां, जांच में यह पाया गया कि सरपंच ने प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में भी अपने रिश्तेदारों को नियम विरुद्ध आवास राशि दी थी।

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