ओबीसी आरक्षण को लेकर गंभीर नहीं राजस्थान सरकार, निकाय और पंचायतीराज चुनाव पर संशय, जानें पूरा मामला

राजस्थान में ओबीसी आरक्षण आयोग का कार्य धीमा, सीट निर्धारण के बिना शहरी निकाय और पंचायत चुनावों पर संशय, संसाधनों और मानदेय की कमी प्रमुख बाधा।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण आयोग (राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग राजनीतिक प्रतिनिधित्व आयोग) का काम राजस्थान में अभी तक पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। विभिन्न राज्यों में यह आयोग अपनी रिपोर्ट सौंप चुका है, लेकिन राजस्थान में इसका सर्वे तक शुरू नहीं हो पाया है। राज्य सरकार की ओर से आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का दर्जा व मानदेय तय नहीं किया गया है, जिससे आयोग के कार्यों में देरी हो रही है। आयोग के तीन महीने के कार्यकाल का समय भी खत्म हो चुका है, और अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो सकी है। ऐसे में राजस्थान में पंचायतों व शहरी निकायों के चुनाव दिसम्बर तक होने पर संशय के बादल छाए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे स्वतंत्र आयोग गठन के आदेश

दो साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने शहरी निकायों और पंचायती राज संस्थाओं में ओबीसी आरक्षण के लिए एक स्वतंत्र आयोग का गठन करने का आदेश दिया था। इसके बाद पिछले साल महाधिवक्ता ने राजस्थान सरकार को एक स्वतंत्र आयोग गठित करने की सलाह दी थी। हालांकि, सरकार ने इस साल मई में आयोग का गठन किया। इस आयोग को गठन के बाद भी कोई स्पष्टता नहीं दी गई थी, और दो सप्ताह से अधिक समय तक इसके अध्यक्ष और सदस्य भी अपनी स्थिति से अनजान रहे।

बजट की कमी और संसाधनों का अभाव

राजस्थान सरकार ने आयोग को न तो बजट (Budget) प्रदान किया और न ही उसे आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए। आयोग ने बार-बार अधिकारियों को पत्र लिखकर अध्यक्ष और सदस्यों का मानदेय तय करने की मांग की, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया। नतीजतन, आयोग के कामकाज में कोई प्रगति नहीं हो पाई। आयोग को कार्य करने के लिए कार्यालय में आवश्यक सुविधाएं जैसे कुर्सी-टेबल, स्टेशनरी आदि भी उपलब्ध नहीं हैं।

राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) राजनीतिक प्रतिनिधित्व आयोग

आयोग का उद्देश्य

  • राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) राजनीतिक प्रतिनिधित्व आयोग, जिसे राजस्थान राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग भी कहा जाता है, राज्य में पिछड़े वर्गों (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा) के राजनीतिक प्रतिनिधित्व से संबंधित मामलों पर काम करता है।

आयोग के मुख्य कार्य

    1. पिछड़े वर्गों की सूची में जातियों का समावेश या हटाना

      • आयोग राज्य सरकार को पिछड़े वर्गों की सूची में जातियों को शामिल करने या हटाने के बारे में सुझाव देता है।

    2. अन्य पिछड़ा वर्ग की पहचान के लिए मापदंड

      • आयोग पिछड़े वर्गों की पहचान के लिए मापदंडों के बारे में सुझाव देता है, ताकि उन वर्गों का सही तरीके से निर्धारण किया जा सके।

    3. राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना

      • आयोग राज्य में पिछड़े वर्गों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए कार्य करता है।

    4. शिकायतों की सुनवाई

      • आयोग केंद्र और राज्य की ओबीसी सूची में जातियों, समुदायों और उपजातियों के नामों में सुधार या विसंगतियों से संबंधित शिकायतों की सुनवाई करता है।

    5. ओबीसी सूची में शामिल जातियों के बारे में सुनवाई

      • आयोग अन्य पिछड़ा वर्ग की केंद्रीय और राज्य की सूची में शामिल जातियों के बारे में सुनवाई करता है, जिसमें कोई भी व्यक्ति या संगठन अपना पक्ष रख सकता है।

    6. आयोग का पुनर्गठन

      • राज्य ओबीसी आयोग को समय-समय पर पुनर्गठित किया जाता है, ताकि यह अपने कार्यों को प्रभावी रूप से कर सके।

आयोग के बारे में अतिरिक्त जानकारी

    1. आयोग का गठन

      • राजस्थान राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।

    2. अध्यक्ष और सदस्य

      • आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है।

    3. प्रशासनिक विभाग

      • आयोग का प्रशासनिक विभाग सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग है।

    4. कार्यकाल

      • आयोग के सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है।

 

राजस्थान सरकार ने नजरअंदाज किया सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने दो अलग-अलग मामलों में स्पष्ट किया था कि ओबीसी आरक्षण के निर्धारण के लिए एक स्वतंत्र आयोग का गठन किया जाए, जो पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों में सीटों का निर्धारण कर सके। यह आदेश काफी समय पहले आया था, लेकिन राजस्थान सरकार ने इसे नजरअंदाज किया। पूर्व सरकार और वर्तमान सरकार ने भी इस आदेश को गंभीरता से नहीं लिया, और आयोग को बजट व संसाधनों के बिना काम करने के लिए छोड़ दिया।

संसाधनों के बिना कैसे काम करे आयोग

राज्य सरकार के मंत्रियों ने हाल ही में मीडिया में कहा कि पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों के परिसीमन (Delimitation) का काम जल्द पूरा कर लिया जाएगा और दिसम्बर तक चुनाव करवा लिए जाएंगे। लेकिन वास्तविकता यह है कि आयोग को ओबीसी सीटों का निर्धारण करने के लिए सर्वे तक शुरू नहीं हो पाया है। सर्वे के लिए आयोग ने फॉर्मेट तैयार किया है, लेकिन सुविधाएं नहीं मिलने से कार्य शुरू ही नहीं हो पाया है। आयोग अध्यक्ष मदनलाल भाटी ने भी इस स्थिति पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि संसाधनों के बिना काम में तेजी कैसे लाई जा सकती है।

आयोग के लिए संसाधनों का टोटा

आयोग को इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान (Indira Gandhi Panchayati Raj Institute) परिसर में कार्यालय तो मिल गया है, लेकिन कुर्सी, टेबल, स्टेशनरी और बजट जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई हैं। दूसरे राज्यों के आयोगों के काम का अध्ययन करने के लिए आयोग को यात्रा भी करनी थी, लेकिन बजट की कमी और अधिकारियों का दर्जा तय न होने के कारण यह कार्य भी स्थगित कर दिया गया।

पंचायतों और शहरी निकायों में चुनाव की स्थिति

राज्य सरकार ने हाल ही में कहा था कि पंचायतों और शहरी निकायों के चुनाव दिसम्बर तक होंगे, और परिसीमन का काम पूरा किया जाएगा। लेकिन आयोग के बिना ओबीसी आरक्षण का निर्धारण कैसे होगा, यह अभी भी सवालों के घेरे में है। आयोग ने अब तक केवल फॉर्मेट तय किया है, लेकिन कामकाजी संसाधन की कमी के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका।

राजस्थान सरकार की जिम्मेदारी

राजस्थान सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करे और आयोग को सभी जरूरी संसाधन प्रदान करें। राज्य के मंत्रियों को यह समझना होगा कि ओबीसी आरक्षण का मामला संवेदनशील है, और इसमें कोई भी देरी न्याय व्यवस्था पर सवाल उठा सकती है।

FAQ

1. राजस्थान में ओबीसी आरक्षण के लिए आयोग कब गठित हुआ था?
ओबीसी आरक्षण के लिए आयोग मई 2025 में गठित हुआ था, लेकिन आयोग का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है, क्योंकि आवश्यक बजट और संसाधनों का अभाव है।
2. राजस्थान में ओबीसी आरक्षण का सर्वे क्यों शुरू नहीं हो पाया?
आयोग को सर्वे के लिए बजट और कार्य संसाधन नहीं दिए गए, जिससे वह अपने काम को शुरू नहीं कर पाया। आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का दर्जा भी अभी तक तय नहीं किया गया है।
3. राजस्थान सरकार ने आयोग के लिए क्या कदम उठाए हैं?
राजस्थान सरकार ने आयोग को कार्यालय तो उपलब्ध कराया, लेकिन आवश्यक संसाधन जैसे कुर्सी-टेबल और स्टेशनरी की व्यवस्था नहीं की। इसके अलावा, आयोग को बजट भी प्रदान नहीं किया गया।
4. राजस्थान में पंचायत और शहरी निकायों के चुनाव कब होंगे?
राज्य सरकार ने कहा था कि दिसम्बर तक पंचायतों और शहरी निकायों के चुनाव हो जाएंगे, लेकिन आयोग द्वारा ओबीसी आरक्षण के निर्धारण के बिना यह प्रक्रिया अधूरी रहेगी।
5. क्या आयोग को दूसरे राज्यों के काम का अध्ययन करने के लिए यात्रा करनी थी?
जी हां, आयोग को दूसरे राज्यों के आयोगों के काम का अध्ययन करने के लिए यात्रा करनी थी, लेकिन बजट की कमी और संसाधनों के अभाव के कारण यह कार्य भी शुरू नहीं हो सका।

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