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राजस्थान के भरतपुर जिले में एक बार फिर पुलिस हिरासत में मौत का मामला सामने आया है, जिसने राज्य के पुलिस महकमे को हिला कर रख दिया है और पुलिस कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
शुक्रवार सुबह उद्योग नगर थाना परिसर की हवालात में पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत पकड़े गए एक युवक ने आत्महत्या कर ली। युवक ने कथित तौर पर फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।
यह घटना इस साल राज्य में पुलिस हिरासत में मौत का पांचवां मामला है, जिससे राजस्थान पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
क्या है घटनाक्रम
मृतक युवक की पहचान भरतपुर जिले के टोंटपुर गांव के निवासी के रूप में हुई है। उद्योग नगर थाना पुलिस ने उसे पॉक्सो एक्ट के तहत हिरासत में लिया था, लेकिन यह चौंकाने वाली बात है कि उसकी गिरफ्तारी थाने के रोजनामचे में दर्ज नहीं की गई थी। पुलिस ने उसे सीधे हवालात में बंद कर दिया और शुक्रवार सुबह युवक ने कपड़े की सहायता से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
पुलिस महकमे में हड़कंप
घटना की जानकारी मिलते ही भरतपुर के एसपी मृदुल कच्छावा और एएसपी मुख्यालय सतीश यादव मौके पर पहुंचे और पूरे घटनाक्रम का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने शव को भरतपुर जिला अस्पताल की मोर्चरी में पोस्टमार्टम के लिए भेजा और मामले की निष्पक्ष जांच के आदेश दिए। एसपी ने एक अलग से जांच अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश भी जारी किए हैं।
इस साल राजस्थान में पुलिस हिरासत में कितनी मौतें हुईं?यह घटना इस साल राजस्थान में पुलिस हिरासतमें हुई मौतों की कड़ी में पांचवीं घटना के रूप में सामने आई है। इससे पहले:
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राजस्थान में इस साल Police Custody Death
यह घटना इस साल राजस्थान में पुलिस हिरासतमें हुई मौतों की कड़ी में पांचवीं घटना के रूप में सामने आई है। इससे पहले:
- 28 फरवरी को झुंझुनूं जिले के खेतड़ी थाने में पप्पू मीणा की मौत के बाद 33 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया था।
- 8 मई को बारां के छिपाबड़ौद थाने में दलित युवक हरिश की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन हुआ था।
- 7 जून को श्रीगंगानगर के राजियासर थाने में दुष्कर्म आरोपी की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।
- 21 जून को जयपुर के सदर थाने में चोरी के आरोपी मनीष की मौत के बाद छह पुलिसकर्मी लाइन हाजिर किए गए थे।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल क्यों
लगातार हो रही पुलिस हिरासत में मौतों ने राजस्थान पुलिस Rajasthan Police की जिम्मेदारी, पारदर्शिता और प्रक्रियागत लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भरतपुर मामले में गिरफ्तारी रजिस्टर में एंट्री का न होना एक बड़ा प्रशासनिक चूक माना जा रहा है। अब यह देखना होगा कि इस मामले में जांच क्या निष्कर्ष देती है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है। हालांकि, पुलिस अधिकारियों ने जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है और अब तक 55 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया है।
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