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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (Anti-Corruption Bureau - ACB) की जयपुर ग्रामीण इकाई ने एक बड़ी कार्रवाई की है। सीकर जिले में समग्र शिक्षा अभियान (Samagra Shiksha Abhiyan) के सहायक अभियंता के दलाल और सहायक लेखाधिकारी को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया। यह मामला एक सरकारी स्कूल में हुए 27 लाख रुपये के निर्माण कार्य के बिल पास करने के लिए घूस लेने से जुड़ा हुआ है। एसीबी की कार्रवाई के दौरान सहायक अभियंता फरार हो गया।
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सीकर में एसीबी की कार्रवाई
सहायक अभियंता खुमाराम ने अपने दलाल कमल कुमार कुमावत को रिश्वत लेने का आदेश दिया था। कुमावत ने रिश्वत के रूप में 60,000 रुपये सहायक अभियंता के लिए प्राप्त किए और सहायक लेखाधिकारी रामचंद्र ने 40,000 रुपये की घूस ली। यह रिश्वत 27 लाख रुपये के सरकारी स्कूल के निर्माण कार्य के बिल पास करने के बदले में ली गई थी।
एसीबी में एडीजी (Additional Director General) IPS स्मिता श्रीवास्तव के अनुसार, सहायक अभियंता खुमाराम के आदेश पर ही कुमावत ने रिश्वत की रकम ली थी। हालांकि, खुमाराम मौके से फरार हो गया।
एसीबी की कार्रवाई के दौरान क्या हुआ?
घूस की मांग और स्वीकार की पुष्टि होने पर एसीबी ने इंस्पेक्टर राजकुमार शर्मा के नेतृत्व में ट्रैप की कार्रवाई की। सहायक अभियंता खुमाराम के फरार होने के बावजूद, कुमावत और रामचंद्र को रंगे हाथ पकड़ा गया। इसके बाद एसीबी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत गिरफ्तार कर लिया।
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घूस की रकम और रिश्वत देने की वजह
27 लाख रुपये के निर्माण कार्य के बिल को पास करने के लिए दोनों अधिकारियों ने घूस की रकम ली। यह राशि पहले 60,000 रुपये सहायक अभियंता खुमाराम के लिए और 40,000 रुपये सहायक लेखाधिकारी रामचंद्र के लिए थी। इस घूस को लेने के बदले, दोनों अधिकारियों ने सरकारी कार्यों में कागजात और बिलों की मंजूरी दी।
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बातचीत को ट्रैक किया
एसीबी के डीआईजी (DIG) IPS राजेश सिंह ने बताया कि उन्हें रिश्वत की मांग की सूचना मिली थी, जिसके बाद एडिशनल एसपी सुनील कुमार सिहाग ने उस बातचीत को ट्रैक किया और इसकी सत्यता की पुष्टि की। इसके बाद एसीबी ने पूरी जांच की और कार्रवाई के दौरान दोनों आरोपियों को रंगे हाथ पकड़ लिया।
जब सहायक अभियंता खुमाराम को फरार होते देखा गया, तो एसीबी की टीम ने उसकी तलाश शुरू कर दी। फिलहाल, खुमाराम की गिरफ्तारी के लिए प्रयास जारी हैं।
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भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम
भारत में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए समय-समय पर कानूनों में संशोधन किए जाते रहे हैं। इस तरह की कार्यवाही यह दिखाती है कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है। एसीबी का यह कदम एक संकेत है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
अगर कोई रिश्वत मांगे तो क्या करें?अगर कोई सरकारी अधिकारी या कर्मचारी आपसे रिश्वत मांगता है, तो आप भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) से मदद ले सकते हैं। इसके लिए आप 1064 पर कॉल कर सकते हैं या एसीबी की वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। एसीबी से संपर्क करने के तरीके:
कभी भी रिश्वत न दें: रिश्वत देना और लेना दोनों ही कानूनी अपराध हैं। एसीबी आपकी शिकायत को पूरी गोपनीयता के साथ संभालेगा। शिकायत करते समय कुछ जरूरी बातें:
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भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम
भारत में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई कानून और अधिनियम हैं। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) 1988 में संशोधन किया गया था, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक सेवाओं में भ्रष्टाचार की घटनाओं को रोकना है। इस अधिनियम के तहत घूस लेने या देने वाले दोनों पक्षों को दंडित किया जाता है। एसीबी इस अधिनियम के तहत ही कार्रवाई कर रही है।
एसीबी की भूमिका और महत्व
एसीबी की भूमिका भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करना और दोषियों को पकड़ना है। यह संस्था राज्य सरकार के तहत कार्य करती है और इसके पास भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों की जांच करने का अधिकार है। राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में एसीबी की कार्रवाई ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया है। इस तरह की कार्रवाइयाँ भ्रष्टाचार के खिलाफ जन जागरूकता बढ़ाती हैं और लोगों को यह महसूस कराती हैं कि अगर वे रिश्वत देंगे तो उन्हें सजा का सामना करना पड़ेगा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जन जागरूकता
सरकार और एसीबी की निरंतर कार्रवाइयों से यह स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी समझौता नहीं होगा। जब भी कोई व्यक्ति या अधिकारी भ्रष्टाचार के रास्ते पर चलता है, तो उसे कानून का सामना करना पड़ता है। इससे समाज में भ्रष्टाचार के प्रति असहमति और नफरत बढ़ती है, जो आगे चलकर एक स्वस्थ लोकतंत्र की दिशा में योगदान करता है।
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