17 साल से अलग रह रहे दंपती का तलाक मंजूर, कोर्ट ने कहा-जबरन साथ रखना भी प्रताड़ना
राजस्थान हाई कोर्ट ने 17 साल से अलग रह रहे दंपती का तलाक मंजूर किया है। कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि जबरन साथ रखना भी एक प्रकार की प्रताड़ना है।
राजस्थान हाई कोर्ट ने 17 साल से अलग रह रहे दंपती का तलाक मंजूर करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि इतने लंबे समय से अलग रह रहे दंपती को जबरन साथ रहने के लिए मजबूर करना भी प्रताड़ना (Harassment) है। जस्टिस इंद्रजीत सिंह और जस्टिस आनंद शर्मा की पीठ ने याचिकाकर्ता रतिराम शुक्ला के तलाक की याचिका पर यह फैसला सुनाया।
दंपती के बीच लंबे समय से दूरियां
याचिकाकर्ता रतिराम शुक्ला का विवाह 1991 में हुआ था। उन्होंने अदालत में बताया कि उनकी पत्नी हमेशा उनके माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहती थी और उसने कभी भी वैवाहिक संबंध (Marital Relations) कायम नहीं किए। 2008 में पत्नी घर छोड़कर चली गई और फिर कभी वापस नहीं लौटी। फैमिली कोर्ट ने 2017 में रतिराम शुक्ला की तलाक की अर्जी खारिज कर दी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने इसके विपरीत फैसला सुनाया।
झूठे साबित हुए प्रताड़ना के आरोप
हाई कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता की पत्नी ने 2008 में घर छोड़ने के बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ कई मामले दर्ज कराए थे, जिसमें दहेज प्रताड़ना (Dowry Harassment) का आरोप भी शामिल था। हालांकि 2016 में रतिराम शुक्ला को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था। कोर्ट ने यह भी माना कि झूठे आरोप लगाना भी एक प्रकार की प्रताड़ना है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोनों के बीच इतने लंबे समय से अलगाव (Separation) के बाद उनके दांपत्य जीवन को फिर से शुरू करने की कोई संभावना नहीं है। कोर्ट का मानना था कि इन दोनों के लिए एक सामान्य जीवन की शुरुआत बहुत मुश्किल है, इसलिए हाई कोर्ट ने तलाक (Divorce) मंजूर करते हुए इसे उचित ठहराया। यह फैसला इस बात का उदाहरण है कि किसी व्यक्ति को जबरन एक रिश्ते में मजबूर करना उसकी मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना (Mental and Physical Harassment) है।
FAQ
1. राजस्थान हाईकोर्ट ने दंपती के तलाक को क्यों मंजूर किया?
राजस्थान हाई कोर्ट ने दंपती के तलाक को इसलिए मंजूर किया, क्योंकि दोनों 17 साल से अलग रह रहे थे और उन्हें जबरन एक साथ रहने के लिए मजबूर करना प्रताड़ना (Harassment) माना गया। कोर्ट ने यह भी माना कि झूठे आरोप भी प्रताड़ना के समान हैं।
2. क्या 17 साल तक अलग रहने के बाद दंपती का साथ रहना संभव था?
कोर्ट ने कहा कि इतने लंबे समय से अलग रहने के बाद दंपती का साथ रहना बहुत मुश्किल था, इसलिए तलाक (Divorce) को मंजूरी देना उचित था। इसमें दांपत्य जीवन (Marital Life) की कोई संभावना नहीं थी।
3. क्या दहेज प्रताडना का मामला भी तलाक पर असर डालता है?
हां, कोर्ट ने यह माना कि दहेज प्रताड़ना (Dowry Harassment) का मामला भी एक प्रकार की मानसिक प्रताड़ना (Mental Harassment) है। इसने याचिकाकर्ता के जीवन को प्रभावित किया था, जिसके कारण तलाक मंजूर किया गया।