राजस्थान में साइबर ठगी का नया पैंतरा, मोबाइल टावर के नाम पर धोखाधड़ी, जानें कैसे करें बचाव

साइबर ठगों ने ट्राई (भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण) के नाम पर ठगी के नए तरीके शुरू कर दिए हैं, जिसमें मोबाइल टावर इंस्टालेशन, कॉल ट्रेसिंग और डिजिटल अरेस्ट जैसे झांसे दिए जा रहे हैं।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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आजकल साइबर ठगों ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) के नाम पर ठगी के कई नए तरीके अपनाए हैं। पहले जहां बैंक धोखाधड़ी और ऑनलाइन ठगी के मामले आम थे, वहीं अब ट्राई के नाम पर ठगी करने वाले ठगों ने लोगों को नए-नए झांसे देना शुरू कर दिया है। राजस्थान में ठग मोबाइल टावर इंस्टालेशन, कॉल-डेटा चेकिंग, और 'डिजिटल अरेस्ट' जैसे फर्जी प्रचार करके लाखों रुपए वसूल रहे हैं। इन ठगों का तरीका इतना चालाक है कि आम नागरिकों को भी आसानी से उनका शिकार बना लिया जाता है।

ठगी के नए तरीके: क्या है फर्जी कॉल का खेल?

इन ठगों द्वारा अपनाए गए नए तरीके आम नागरिकों के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुके हैं। ठग खुद को ट्राई अधिकारी बताकर मोबाइल टावर इंस्टालेशन के लिए मोटे किराए का लालच देते हैं। उनका दावा है कि यदि आप टावर इंस्टाल करते हैं, तो आपको हर महीने मोटा किराया मिलेगा। यह पूरी प्रक्रिया कुछ इस तरह से काम करती है:

  1. फर्जी कॉल और आईडी: ठग खुद को ट्राई अधिकारी के रूप में पेश करते हैं और एक फर्जी आईडी दिखाते हैं। वे यह दावा करते हैं कि टावर इंस्टालेशन के लिए आपकी जगह का चयन किया गया है।

  2. सिक्योरिटी शुल्क: इसके बाद ठग सिक्योरिटी शुल्क के नाम पर कुछ रकम की मांग करते हैं। वे यह कहते हैं कि यह सिक्योरिटी राशि रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक है।

  3. फर्जी अप्रूवल लेटर: ठग फर्जी अप्रूवल लेटर दिखाकर यह दावा करते हैं कि टावर इंस्टालेशन के लिए आवश्यक सभी अनुमतियां दी जा चुकी हैं।

इन फर्जी तरीकों के जरिए ठगों ने लाखों रुपए की ठगी की है। इस मामले में कई लोग शिकार हो चुके हैं, और ठगों ने झांसे देकर पैसा निकालने में सफलता पाई है।

कैसे पहचानें फर्जी कॉल्स और मैसेज?

भारत में ट्राई ने इस प्रकार की ठगी के बढ़ते मामलों को गंभीरता से लिया है और एक अलर्ट जारी किया है। ट्राई का कहना है कि वह कभी भी उपभोक्ताओं से आधार, ओटीपी या बैंक की जानकारी नहीं मांगता है। इसके अलावा, ट्राई किसी टावर इंस्टालेशन के लिए कॉल भी नहीं करता है। इसलिए यदि आपको ट्राई के नाम से कोई कॉल आता है, तो उसे तुरंत संदेह की नजर से देखें।

ट्राई ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट और कार्यालय के जरिए यह जानकारी साझा की है

  1. ट्राई न तो कॉल करता है और न ही किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत जानकारी जैसे आधार या ओटीपी मांगता है।

  2. ट्राई किसी स्थान पर टावर इंस्टालेशन के लिए नहीं पहुंचता है और न ही घर पहुंचने का दावा करता है।

  3. किसी भी संदिग्ध कॉल, संदेश, या ई-मेल की सूचना ट्राई के स्थानीय कार्यालय को देनी चाहिए और सत्यापन के लिए ट्राई की आधिकारिक वेबसाइट का उपयोग करना चाहिए।

संदिग्ध कॉल और मैसेज की पहचान

  • किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा कॉल किया जाए और आपसे बैंक विवरण या आधार नंबर मांगा जाए, तो यह संदिग्ध हो सकता है।

  • किसी अज्ञात खाते में पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहे तो तुरंत उसे न करें।

साइबर सुरक्षा के लिए टिप्स

  • हमेशा ऑफिशियल पोर्टल और एप्लीकेशन का उपयोग करें।
  • अपने मोबाइल और कंप्यूटर पर एंटी-वायरस अपडेट रखें।
  • नियमित रूप से पासवर्ड बदलते रहें।
  • दो-चरणीय प्रमाणीकरण (Two-factor authentication) सक्षम करें।

 

ठगी के दो महत्वपूर्ण मामले

केस 1: सीकर में कौशल किशोर मौर्य का शिकार

सीकर के एक व्यक्ति कौशल किशोर मौर्य को ट्राई के नाम से कॉल आया। ठगों ने खुद को कंपनी का अधिकारी बताते हुए मोबाइल टावर इंस्टालेशन के लिए मोटा किराया देने का वादा किया। इसके बाद उन्होंने मौर्य से सिक्योरिटी राशि के नाम पर 25 हजार रुपए वसूल किए। मौर्य को बाद में एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो चुके हैं। इस प्रकार के मामलों में लोग अक्सर यह नहीं समझ पाते कि उन्हें किस प्रकार के झांसे में फंसाया गया है।

केस 2: चित्तौड़गढ़ में कन्हैयालाल की ठगी

चित्तौड़गढ़ निवासी कन्हैयालाल से भी ट्राई अधिकारी बनकर दो ठगों ने संपर्क किया। ठगों ने कन्हैयालाल को डराया कि उसने किसी से कॉल करके पैसे ठगे हैं और ट्राई ने उसकी कॉल को ट्रेस कर लिया है। इसके बाद ठगों ने कन्हैयालाल से एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के माध्यम से उसके मोबाइल से भेजे गए मैसेज का पूरा खाका तैयार किया और उसे सिम ब्लॉक करने का एक फर्जी पत्र भी दिखाया। डर और भ्रमित कर कन्हैयालाल से 50 हजार रुपए वसूल किए गए।

साइबर ठगी होने पर क्या करें ?

  • तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें।

  • ऑनलाइन शिकायत साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर  दर्ज करें।

  • नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर हेल्पडेस्क नंबर 9256001930 / 9257510100 पर संपर्क करें।

  • बिना देर किए अपनी बैंक व वित्तीय संस्थाओं को सूचित करें।

ट्राई नहीं मांगता कोई निजी जानकारी

भारत सरकार और ट्राई इस प्रकार की धोखाधड़ी को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है। ट्राई ने साफ तौर पर कहा है कि वह किसी भी उपभोक्ता से व्यक्तिगत जानकारी जैसे आधार, ओटीपी, या बैंक डिटेल्स नहीं मांगता है। अगर कोई संस्था या व्यक्ति इस तरह के विवरण मांगता है, तो यह ठगी का प्रयास हो सकता है।

कैसे बचें इन ठगों से?

  1. संदिग्ध कॉल्स और मैसेज से बचें: अगर किसी अज्ञात व्यक्ति से कॉल आती है, तो व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें।

  2. सत्यापन करें: हमेशा ट्राई की आधिकारिक वेबसाइट या स्थानीय कार्यालय से सत्यापन करें।

  3. ऑनलाइन और ऑफलाइन सुरक्षा: किसी भी ऑनलाइन भुगतान या बैंक ट्रांजेक्शन में अत्यधिक सतर्क रहें और संदिग्ध लिंक या मैसेज पर क्लिक करने से बचें।

 

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