राजस्थान दूध उत्पादन में देश का सिरमौर, लेकिन संकट भी कम नहीं, न हरा चारा और न ही कोल्ड चेन

राजस्थान देश में सबसे अधिक दूध उत्पादन करने वाला राज्य है, लेकिन इसके बावजूद दूध उद्योग को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से सुधार संभव है।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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मुकेश शर्मा @ जयपुर

राजस्थान (Rajasthan) ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि कृषि और पशुपालन की ताकत से वह देश की दूध की जरूरतों में बड़ा योगदान दे सकता है। बेसिक एनिमल हसबेंड्री स्टैटिस्टिक्स 2024 के मुताबिक राज्य ने गाय के दूध का 14.8 लाख टन और भैंस के दूध का 16.7 लाख टन उत्पादन किया है। यानी कुल मिलाकर राजस्थान का वार्षिक दूध उत्पादन 31.5 लाख टन से अधिक है, भारत में दूध उत्पादन में राजस्थान का स्थान टॉप पोजिशन पर है।

देश के दूध मानचित्र में राजस्थान की पकड़

राजस्थान गाय के दूध उत्पादन में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों को पीछे छोड़ते हुए शीर्ष पर है। उत्तर प्रदेश में 13.1 लाख टन, मध्यप्रदेश में 10 लाख टन और महाराष्ट्र में 10.3 लाख टन गाय का दूध उत्पादित होता है। वहीं भैंस के दूध में भी उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा स्थान रखता है। उत्तर प्रदेश में गाय का दूध 24.3 लाख टन होता है, जबकि मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा 10.1 लाख टन है। डेयरी उद्योग राजस्थान की यह उपलब्धि कोई संयोग नहीं, बल्कि राज्य के विशाल पशुधन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में डेयरी की गहरी पैठ और परंपरागत पशुपालन पद्धतियों का नतीजा है।

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राजस्थान में दूध उत्पादन गांवों की अर्थव्यवस्था की रीढ़

राजस्थान के अधिकांश जिलों में दूध उत्पादन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की धुरी है। नागौर, अलवर, सीकर, भरतपुर, अजमेर और बीकानेर जैसे जिले डेयरी बेल्ट के रूप में जाने जाते हैं। यहां दूध न केवल आजीविका का साधन है, बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान भी है। महिलाएं भी बड़े पैमाने पर इस काम से जुड़ी हैं। इससे परिवार की आमदनी और सशक्तीकरण दोनों को बल मिलता है।

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राजस्थान को हरा चारा कहां से मिलता है?

हालांकि आंकड़े चमकदार हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत में कई समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं। बाजार में किसानों को दूध का उचित दाम नहीं मिलता, जबकि शहरों में उपभोक्ताओं को महंगा दूध खरीदना पड़ता है। यानी दूध खरीद-फरोख्त में बिचौलिए हावी हैं। इतना ही नहीं, ग्रामीण इलाकों में दूध को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए दूध संग्रहण और कोल्ड चेन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। राजस्थान में  सूखा और अनियमित मानसून के कारण हरा चारे की पैदावार सीमित है। इसके कारण प्रदेश को पड़ोसी राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। 

भारत में श्वेत क्रांति क्या है?

  • उद्देश्य : दूध उत्पादन में वृद्धि करना और देश को दूध की कमी से निजात दिलाना।

  • नेतृत्व : डॉ. वर्गीस कुरियन, जिन्हें ‘श्वेत क्रांति का जनक’ कहा जाता है।

  • क्रियान्वयन : 1970 में श्वेत क्रांति की शुरुआत हुई, जो तीन चरणों में एक सहकारी दुग्ध आंदोलन के रूप में आयोजित की गई।

श्वेत क्रांति के मुख्य उद्देश्य

  • बिचौलियों को हटाकर किसानों और उपभोक्ताओं के बीच सीधा संबंध स्थापित करना।
  • उत्पादकों को सीधे लाभ पहुंचाना और उपभोक्ताओं को कम कीमत पर दूध उपलब्ध कराना।
  • डेयरी क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का विकास करना।
  • दूध उत्पादन और वितरण में आत्मनिर्भरता हासिल करना।

भारत में श्वेत क्रांति के परिणाम

  • दूध उत्पादन में भारी वृद्धि।
  • भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बना।
  • दूध की प्रति व्यक्ति खपत में वृद्धि हुई।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी फार्मिंग के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़े।
  • दुग्ध उत्पादों का आयात कम हुआ या पूरी तरह से बंद हो गया।

​राजस्थान प्रोसेस्ड डेयरी उत्पादों के निर्यात में कैसे आगे आएगा?

राज्य सरकार ने हाल के बरसों में डेयरी कॉपरेटिव्स (Rajasthan Cooperative Dairy Federation) को मजबूत करने, पशुपालन ऋण योजनाओं और नस्ल सुधार परियोजनाओं पर जोर दिया है। राजस्थान डेयरी डेवलपमेंट पॉलिसी के तहत ग्रामीण इलाकों में मिनी डेयरी प्लांट्स, फीड बैंक और मोबाइल वेटरिनरी यूनिट्स की योजना है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इनका सही क्रियान्वयन हो तो प्रदेश आने वाले सालों में न केवल दूध उत्पादन में, बल्कि प्रोसेस्ड डेयरी उत्पादों के निर्यात में भी अग्रणी बन सकता है। अगर पशुपालकों को सही मूल्य, पशु को सही चारा और उपभोक्ता को शुद्ध दूध मिले तो ‘सफेद सोना’ सच में सबके लिए लाभकारी साबित हो सकता है।

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राजस्थान के दूध उद्योग में सुधार कैसे हो?

  • किसानों को उचित मूल्य: किसानों को दूध के सही मूल्य दिलाने के लिए बिचौलियों को कम करना आवश्यक है। इससे किसान को अच्छा लाभ मिलेगा और उपभोक्ता को भी उचित दामों पर दूध मिलेगा।

  • कोल्ड चेन की मजबूती: दूध संग्रहण और कोल्ड चेन की व्यवस्था को बेहतर करना पड़ेगा। इसके लिए राज्य सरकार को नए प्लांट्स और तकनीकी सुधारों पर जोर देना होगा।

  • हरे चारे की प्रबंधन: चारे की कमी को दूर करने के लिए जलवायु परिवर्तन के कारणों पर काम करना होगा और चारे की बेहतर फसल के लिए नीतियों में बदलाव करना पड़ेगा।

FAQ

1. राजस्थान में दूध उत्पादन कितना है?
राजस्थान का कुल दूध उत्पादन 31.5 लाख टन से अधिक है, जिसमें गाय का दूध 14.8 लाख टन और भैंस का दूध 16.7 लाख टन शामिल है।
2. राजस्थान में दूध उत्पादन के प्रमुख जिले कौन से हैं?
नागौर, अलवर, सीकर, भरतपुर, अजमेर और बीकानेर जैसे जिले प्रमुख दूध उत्पादन जिले हैं।
3. राजस्थान में दूध उत्पादन में कौन सी समस्याएं हैं?
मुख्य समस्याएं दूध के उचित मूल्य का न मिलना, कोल्ड चेन की कमी और हरे चारे की आपूर्ति में कमी हैं।
4. राजस्थान सरकार ने दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कौन सी योजनाएं बनाई हैं?
राज्य सरकार ने डेयरी कोऑपरेटिव्स को मजबूत करने, मिनी डेयरी प्लांट्स, फीड बैंक और मोबाइल वेटरिनरी यूनिट्स जैसी योजनाएं बनाई हैं।
5. राजस्थान के दूध उत्पादकों के लिए क्या सुधार की आवश्यकता है?
दूध के सही मूल्य, चारे की उपलब्धता, और बेहतर कोल्ड चेन प्रणाली की जरूरत है ताकि दूध उत्पादकों को उचित लाभ मिल सके।

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