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Photograph: (The Sootr)
अगर आपको सरकारी नौकरी चाहिए और आप उसके योग्य भी नहीं हैं तो आपका राजस्थान में स्वागत है। दरअसल, राजस्थान में विकलांगता प्रमाण-पत्र और विशिष्ट विकलांगता पहचान-पत्र जारी करने में फर्जीवाड़ा चल रहा है। राजस्थान (Rajasthan) में हालिया जांच ने विकलांगता प्रमाण-पत्र (Disability Certificate) में फर्जीवाड़े (Fraud) की पोल खोल दी है। जयपुर के एसएमएस अस्पताल (SMS Hospital) की रिपोर्ट के अनुसार कई सरकारी कर्मचारी फर्जी प्रमाण-पत्र के जरिए नौकरी (Job) हासिल कर चुके हैं। यह घोटाला राज्यभर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
राजस्थान में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र कैसे बने ?
राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग (Social Justice and Empowerment Department) की जांच में कई मामलों में सीएमएचओ (CMHO) द्वारा जारी फर्जी प्रमाण-पत्र मिले। उदाहरणस्वरूप, राहुल कसाना (Rahul Kasana) और प्रमोद (Pramod) को भरतपुर (Bharatpur) के सीएमएचओ द्वारा गलत दस्तावेज़ दिए गए थे। इसी तरह जोधपुर (Jodhpur) में महेंद्र सिंह नैन (Mahendra Singh Nain) को 63% श्रवण बाधिता का फर्जी प्रमाण-पत्र मिला।
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फर्जी मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
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बहुत से मामले पुलिस जांच में लंबित हैं।
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दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
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असली पात्र आवेदक इससे वंचित रह सकते हैं।
केस स्टडी: जांच में फर्जी पाए गए प्रमाण-पत्र
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राहुल कसाना (Rahul Kasana): यूडीआईडी (UDID) क्रमांक 0730020030190150, भरतपुर से प्रमाण-पत्र फर्जी निकला।
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प्रमोद (Pramod): यूडीआईडी क्रमांक 0730419890181067, भरतपुर प्रमाण-पत्र फर्जी सिद्ध।
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महेंद्र सिंह नैन (Mahendra Singh Nain): जोधपुर के सीएमएचओ ने 63% श्रवण बाधिता का प्रमाण-पत्र दिया, जांच में फर्जी।
सीएस ने फर्जी प्रमाणपत्र मामले में यह दिए आदेश
मुख्य सचिव आईएएस सुधांशु पंत (Chief Secretary Sudhanshu Pant) ने अस्पतालों को सख्ती से जांच के निर्देश दिए हैं। वहीं, विभागीय सचिव आईएएस राजेश अग्रवाल (Rajesh Agrawal) ने अधिकारियों की लापरवाही पर चिंता जताई। अब मेडिकल कॉलेज स्तर पर विशेषज्ञों के बोर्ड गठन के निर्देश दिए गए हैं, जिससे प्रमाण-पत्र में पारदर्शिता बनी रहे।
फर्जी प्रमाण पत्र से किसे है खतरा?
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जो असली दिव्यांग (Real Disabled People) हैं, उनका हक मारा जा सकता है।
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सरकारी व्यवस्था पर जनता का भरोसा (Trust) कमजोर हो रहा है।
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फर्जी प्रमाण-पत्र बनवाने वालों पर कानूनी शिकंजा कस रहा है।
समाधान और सुझाव
सरकार को चाहिए कि हर प्रमाण-पत्र का डिजिटल सत्यापन हो। साथ ही, दोषी डॉक्टर, कर्मचारी एवं अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। जनता को भी सजग रहना होगा और फर्जीवाड़ा दिखने पर तुरंत शिकायत करनी चाहिए।
राजस्थान में बेरोजगारी और सरकारी नौकरी के हालात क्या हैेंराजस्थान में लगभग 28% आबादी युवा (15-29 वर्ष) है। कामकाजी आयु वाली जनसंख्या 2021 में 4.9 करोड़ थी, जो हर साल बढ़ती जा रही है। 2025 में राजस्थान में शहरी इलाकों में युवाओं की बेरोजगारी दर 16.1% पहुंच गई है, जो पूरे भारत (6.4%) से कहीं ज्यादा है। औसतन, राजस्थान की कुल बेरोजगारी दर लगभग 4.9% से 5.1% है, लेकिन युवाओं में यह दर 12-16% तक रह रही है। अनुमान है कि हर साल राजस्थान में लाखों नए युवा रोजगार बाजार में आते हैं। केवल 2025 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बेरोजगार युवाओं की संख्या लाखों में है, जिसमें हर वर्ष 8-10 लाख नए नाम जुड़ जाते हैं। सरकारी नौकरियों की उपलब्ध संख्या की तुलना में, एक ही भर्ती परीक्षा में लाखों युवा आवेदन करते हैं। बड़ी संख्या में बेरोजगार युवा हर साल परीक्षा के बाद भी चयन प्रक्रिया में रह जाते हैं। राजस्थान में बेरोजगारी के मुख्य कारण
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फर्जी प्रमाण-पत्र का होता है व्यापक असर
यह समस्या सिर्फ नौकरियों तक सीमित नहीं, बल्कि आरक्षण (Reservation), स्कॉलरशिप (Scholarship) समेत अन्य सरकारी योजनाओं में भी गहरा दखल रखती है। ऐसे फर्जी मामले असली दिव्यांगों का हक छीन लेते हैं।
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