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मुकेश शर्मा
राजस्थान हाईकोर्ट Rajasthan High Court ने एक अहम अंतरिम आदेश में कहा है कि भ्रष्टाचार के मामलों में अदालती आदेशों के खिलाफ ऊपरी अदालत में चुनौती नहीं देना एक परंपरा बन गई है। अदालत ने सरकार से इस मामलें में जवाब मांगा है।
जस्टिस समीर जैन ने यह अंतरिम आदेश अशोक कुमार सांखला की याचिका पर दिए। इस मामले में अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी। अदालत ने तब तक याचिकाकर्ता के खिलाफ सख्त एक्शन लेने पर रोक लगा दी है।
क्या है मामला
दरअसल, हाईकोर्ट ने 19 मार्च,2023 के एक आदेश से अलवर के तत्कालीन कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया को पांच लाख रुपए रिश्वत लेने के मामले में बरी कर दिया था।
इस आदेश के खिलाफ सरकारी एडवोकेट व अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश चौधरी और एसीबी के अधिकारियों ने कई बिंदुओं के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की राय दी थी। इसके बावजूद सरकार ने मामले में अपील नहीं करने का फैसला किया।
रिटायर हो चुके नन्नूमल पहाड़िया के साथ ही मामले में आरोपी तत्कालीन भू—प्रबंध अधिकारी अशोक सांखला ने भी हाईकेार्ट में याचिका दायर कर मामला रद्द करने की गुहार की थी। 24 जुलाई को अशोक सांखला की सुनवाई के दौरान उनके एडवोकेट राजेश गोस्वामी ने अदालत को बताया था कि नन्नूमल पहाड़िया के मामले में तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करने का फैसला भी कर लिया है। इसलिए उन्हें भी राहत दी जाए। इस पर अदालत ने प्रमुख विधि सचिव को मंगलवार को बुलाया था।
हाजिर हुए प्रमुख विधि सचिव
अदालती आदेश की पालना में प्रमुख विधि सचिव बृजेंद्र जैन सोमवार को अदालत में हाजिर हुए। अदालत के पूछने पर उन्होंने बताया कि किसी भी मामले में अपील का फैसला विभाग में तैनात तीन जिला जजों की कमेटी करती है।
अदालत के पूछने पर उन्होंने बताया कि सरकार के विधि विभाग में तैनात न्यायिक अधिकारियों की एसीआर मुख्स सचिव भरते हैं।
केस की जानकारी रखने वालों की राय भी नहीं मानते
कोर्ट ने कहा है कि मुकदमे की पुख्ता जानकारी रखने वालों की राय मिलने के बावजूद सरकार के स्तर पर अपील करने या नहीं करने के फैसला लेने में देरी की जाती है। अपील करने या नहीं करने का फैसला सरकार में उच्चतम स्तर पर होता है। ऐसे में मामलों में तेजी से न्याय दिलाने के लिए निर्णय जल्दी होने चाहिए।
अभी तो और समझना पड़ेगा
अदालत ने कहा है कि अभी मामलें और अधिक स्प्ष्टीकरण चाहिए कि सरकार में अदालती आदेशों के खिलाफ अपील करने या नहीं करने के निर्णय किस आधार पर लिए जाते हैं। अदालत ने मामले में अदालती सहायता के लिए एडवोकेट सुरेश साहनी और एडवोकेट पूनमचंद भंडारी को न्याय मित्र नियुक्त किया है।
मुख्य सचिव कैसे भर रहे न्यायिक अधिकारियों की एसीआर
इस दौरान कोर्ट ने सरकार में तैनात न्यायिक अधिकारियों की एसीआर मुख्य सचिव के भरने पर भी सवाल उठाया है।
अदालत ने अगली तारीख पर इस बिंदु पर भी सुनवाई करने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।
भ्रष्टाचार मामलों में अपील
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