राजस्थान हाई कोर्ट ने जयपुर हेरिटेज नगर निगम की पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर की याचिका खारिज कर दी है। गुर्जर ने अपने तीसरे निलंबन को चुनौती दी थी। कोर्ट ने जांच को तीन महीने में पूरा करने के आदेश दिए हैं। पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर पर पट्टा जारी करने के बदले रिश्वत लेने का आरोप था। इस मामले में कोर्ट ने पहले ही आदेश दिए थे कि इस पर जल्द न्यायिक जांच पूरी की जाए, लेकिन राज्य सरकार ने जांच प्रक्रिया में काफी देरी की। कोर्ट ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए इसे निष्क्रिय और कछुए की चाल से चलने वाली बताया।
अदालत ने राज्य सरकार पर सवाल उठाए
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद जांच को नौ महीने तक स्थगित किया गया और फिर जांच अधिकारी की नियुक्ति जून, 2024 में की गई। कोर्ट ने इसे अवमानना की श्रेणी में रखा और कहा कि राज्य सरकार की निष्क्रियता से यह मामला लंबा खिंच रहा है।
गुर्जर की याचिका में क्या था?
याचिका में मुनेश गुर्जर के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मेहता ने यह कहा कि गुर्जर को 5 अगस्त, 2023 को निलंबित किया गया था, लेकिन हाईकोर्ट की रोक के बाद राज्य सरकार ने 1 सितंबर को निलंबन वापस ले लिया था। फिर से 22 सितंबर, 2023 को पुनः निलंबित किया गया। याचिका में यह भी दावा किया गया कि बिना सुनवाई का मौका दिए जनप्रतिनिधि को निलंबित नहीं किया जा सकता।
राज्य सरकार की ओर से एएजी जीएस गिल ने कहा कि मुनेश गुर्जर के खिलाफ एसीबी ने आरोप-पत्र पेश किया है। गुर्जर ने नोटिस का जवाब देने के बजाय तकनीकी आपत्तियां पेश की थीं। गिल ने यह भी कहा कि न्यायिक जांच लंबित है और एक बार जब यह प्रक्रिया शुरू हो जाए, तो प्रारंभिक जांच का कोई महत्व नहीं रह जाता है।
न्यायिक जांच के आदेश
अदालत ने इस पर विचार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया और राज्य सरकार को निर्देश दिए कि तीन महीने के भीतर न्यायिक जांच पूरी की जाए। कोर्ट ने कहा कि किसी जनप्रतिनिधि को बिना उचित सुनवाई के निलंबित नहीं किया जा सकता और यह प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए।
FAQ
1. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुनेश गुर्जर की याचिका को क्यों खारिज किया?
हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज की क्योंकि गुर्जर ने निलंबन को चुनौती दी थी, लेकिन न्यायिक जांच में भाग लिया और आरोप-पत्र को चुनौती नहीं दी।
2. राज्य सरकार पर कोर्ट ने क्या आरोप लगाए?
कोर्ट ने राज्य सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाया और कहा कि जांच प्रक्रिया को नौ महीने तक स्थगित रखा गया, जो अवमानना की श्रेणी में आता है।
3. न्यायिक जांच में कितना समय लगेगा?
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को तीन महीने में न्यायिक जांच पूरी करने के आदेश दिए हैं, ताकि इस मामले का शीघ्र निस्तारण हो सके।