पूर्व IAS अधिकारी निर्मला मीणा को हाईकोर्ट से झटका, याचिका खारिज: अभियोजन स्वीकृति को दी थी चुनौती

राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व IAS अधिकारी निर्मला मीणा की याचिका खारिज की, जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार मामले में अभियोजन स्वीकृति को चुनौती दी थी।

author-image
Gyan Chand Patni
New Update
raj court
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

Jodhpur. राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व आईएएस अधिकारी निर्मला मीणा की याचिका को खारिज कर दिया है। उन्होंने राजस्थान सरकार द्वारा दी गई अभियोजन स्वीकृति (प्रॉसिक्यूशन सैंक्शन) रद्द करने की मांग की थी, जो गेहूं के कथित दुरुपयोग से जुड़े एक घोटाले से संबंधित थी। मामले में न्यायाधीश सुनील बेनीवाल की अदालत ने यह फैसला सुनाया और कहा कि अभियोजन स्वीकृति देने का निर्णय न तो मनमाना था और न ही अवैध।

क्या था पूरा मामला?

निर्मला मीणा पहले जोधपुर में जिला रसद अधिकारी (डीएसओ) के पद पर तैनात थीं। उन पर 2017 में गेहूं के दुरुपयोग का आरोप लगा था। इस मामले में उन्हें और उनके निर्देश पर अतिरिक्त सप्लाई करने के कारण लाखों रुपए का घोटाला करने का आरोप था। 2 नवंबर 2017 को एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। 

चार्जशीट, क्लीनचिट और दूसरी एफआईआर

जब यह मामला सामने आया, तो पहले विभाग ने मीणा के खिलाफ चार्जशीट जारी की थी, लेकिन जांच अधिकारी ने यह कहा कि उन पर कोई आरोप सिद्ध नहीं हो पाए। बाद में, मामले में एक और एफआईआर दर्ज की गई, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईपीसी की धारा 109 के तहत थी। हालांकि, इसमें अभियोजन स्वीकृति के बिना चार्जशीट दाखिल की गई। 27 जनवरी 2025 को सरकार ने अभियोजन स्वीकृति दे दी। यह मामला तब का है जब वह जोधपुर जिला रसद अधिकारी थीं। 

ये खबरें भी पढ़िए

ओडिशा से राजस्थान पहुंचा 5 करोड़ का गांजा, कंटेनर के गुप्त तहखाने में छिपाकर लाए; पुलिस ने किया बड़ा खुलासा

राजस्थान में बुजुर्गों के खिलाफ अपराध हुए दोगुने, 2023 में 12 हत्या के मामले आए सामने

अभियोजन स्वीकृति सात साल बाद

पूर्व IAS अधिकारी निर्मला मीणा के वकीलों ने कोर्ट में तर्क दिया कि इस मामले में एफआईआर 2017 में दर्ज की गई थी और चार्जशीट 2018 में दाखिल की गई थी। उनके अनुसार, अभियोजन स्वीकृति सात साल बाद दी गई, जो पूरी तरह से मनमानी थी। इसके अलावा, अभियोजन स्वीकृति देने से पहले की गई अस्वीकृति पर विचार किए बिना नया आदेश पारित किया गया था।

सरकार का पक्ष और अदालत का फैसला

सरकार की तरफ से तर्क दिया गया कि पूर्व IAS अधिकारी निर्मला मीणा के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और उन्होंने अपनी पद के दुरुपयोग कर करोड़ों रुपए के गेहूं का गबन किया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला दिया कि अभियोजन स्वीकृति से इनकार का कोई औपचारिक आदेश नहीं था। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई ठोस आधार नहीं था, इसलिए इसे खारिज कर दिया।

ये खबरें भी पढ़िए

बॉर्डर पर बसा राजस्थान में देश पहला गांव अकली, 75 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे लोग

राजस्थान के 18 IAS-IPS बने चुनाव पर्यवेक्षक, बिहार चुनाव में निभाएंगे महत्वपूर्ण भूमिका

कोर्ट के फैसले के मुख्य बिंदु

  • न्यायालय ने पाया कि अभियोजन स्वीकृति अस्वीकार करने का कोई औपचारिक आदेश कभी जारी नहीं हुआ।
  • नोट-शीट में उल्लेख था कि प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता, पर यह निर्णय प्रभावी नहीं माना गया।
  • सक्षम प्राधिकारी की ओर से अभियोजन न देने का कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया।
  • न्यायालय ने याचिका को बिना ठोस आधार के कारण खारिज कर दिया।
  • सभी लंबित आवेदन भी निस्तारित माने गए।

FAQ

FAQ

1. निर्मला मीणा ने हाईकोर्ट में किस संबंध में याचिका दायर की थी?
निर्मला मीणा ने सरकार द्वारा दी गई अभियोजन स्वीकृति को रद्द करने की मांग की थी, जो गेहूं के दुरुपयोग से जुड़े एक घोटाले से संबंधित थी।
2. कोर्ट ने याचिका खारिज करते समय कौन से मुख्य बिंदु बताए?
कोर्ट ने कहा कि अभियोजन स्वीकृति देने का निर्णय न तो अवैध था और न ही मनमाना। इसके अलावा, याचिका में कोई ठोस आधार नहीं था।
3. अभियोजन स्वीकृति से इनकार करने करने के मामले में कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने पाया कि अभियोजन स्वीकृति से इनकार करने का कोई औपचारिक आदेश जारी नहीं किया गया था।

अभियोजन स्वीकृति जोधपुर जिला रसद अधिकारी पूर्व IAS अधिकारी निर्मला मीणा राजस्थान सरकार राजस्थान हाईकोर्ट
Advertisment