हिरासत में मौत पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, जनहित याचिका दर्ज करने के आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे न होने पर स्वतः संज्ञान लिया। इस साल पुलिस हिरासत में 11 मौतों के बाद कोर्ट ने जनहित याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान में पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे न होने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। एक प्रमुख दैनिक अखबार में प्रकाशित एक खबर के आधार पर न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने यह निर्णय लिया और जनहित याचिका दर्ज करने का आदेश दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में पुलिस हिरासत में 11 मौतें हो चुकी हैं। इन मौतों और सीसीटीवी कैमरों के मुद्दे पर कोर्ट ने सरकार से सख्त कार्रवाई की उम्मीद जताई है।

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सुप्रीम कोर्ट ने दिया था पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में आदेश दिया था कि पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं ताकि मानवाधिकार उल्लंघन (Human Rights Violations) पर रोक लगाई जा सके। कोर्ट ने इस बार फिर से इस मामले को गंभीरता से लिया है, और सीसीटीवी कैमरे खराब होने की स्थिति को लेकर राजस्थान सरकार को जनहित याचिका दायर करने का निर्देश दिया है।

राजस्थान में इस साल के 7-8 महीनों में पुलिस हिरासत में मौतें हो चुकी हैं। जब इन मौतों के संदर्भ में आरटीआई (RTI) के तहत जानकारी मांगी गई, तो पुलिस अधिकारियों ने कैमरे खराब होने, स्टोरेज फुल होने, बैकअप न होने जैसी गैर-जिम्मेदाराना प्रतिक्रियाएं दीं।

इस बारे में उदयपुर रेंज आईजी गौरव श्रीवास्तव ने कहा कि उदयपुर संभाग में पुलिस हिरासत में हाल में दो मौतें हुई हैं। दोनों ही मामलों में सीसीटीवी फुटेज पुलिस के पक्ष के हैं। इसी के आधार पर पुलिस ने परिजन को संतुष्ट किया था। एविडेंस के तौर पर सारी चीजें न्यायालय में निश्चित तौर पर जमा करवानी पड़ती है। आरटीआई मामले में अगर किसी स्थानीय अधिकारी ने सीसीटीवी फुटेज नहीं दिए हैं तो आगे अपील की जा सकती है।

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थानों में सीसीटीवी कैमरों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने परमवीर सैनी बनाम बलजीत प्रकरण में पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि इन कैमरों को 18 महीने तक फुटेज रखने की आवश्यकता है। यह आदेश हिरासत में मौत और क्रूरता को लेकर था, और अदालत ने कहा था कि सीसीटीवी फुटेज देना सभी के लिए आवश्यक है।

थानों में सीसीटीवी कैमरों पर सूचना आयोग के आदेश

सूचना आयोग ने भी सीसीटीवी के उपयोग पर कुछ महत्वपूर्ण आदेश दिए हैं। आयोग ने कहा कि सीसीटीवी कैमरे पुलिस थानों या सरकारी कार्यालयों के बाहर गोपनीयता के लिए नहीं होते, बल्कि इनका उद्देश्य पारदर्शिता और निष्पक्षता  सुनिश्चित करना है।

आरूषि जैन बनाम एडि.एसपी सुखेर थाना के मामले में आयोग ने यह कहा कि सीसीटीवी फुटेज आवेदक को देना जरूरी है। लक्ष्मी देवी बनाम एडि.एसपी प्रतापनगर मामले में भी आयोग ने सीसीटीवी फुटेज को आवेदक को देने का आदेश दिया।

राजस्थान के पुलिस थानों में कितनी माैत हुई?

1. कांकरोली थाना (राजसमंद)
अगस्त-2025 में खूबचंद की मौत
जवाब: विधि अनुसार उपलब्ध कराएंगे।

2. ऋषभदेव पुलिस थाना
अगस्त-2025 में सुरेश पंचाल की मौत
जवाब: जानकारी नहीं दे सकते

3. थाना गोगुंदा (उदयपुर)
मई 2025 में सुरेंद्र देवड़ा की मौत
जवाब: सीसीटीवी उपकरण पुराना होने से स्टोरेज नहीं है।

4. अलवर सदर थाना
जुलाई 2025 में अंकित सैनी की मौत
जवाब- रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं

5. खेतड़ी थाना (झुंझुनूं)
अप्रैल-2025 में पप्पूराम मीणा की मौत। (पूरा थाना लाइन हाजिर हुआ था)
जवाब: जांच चल रही है, इसलिए सीसीटीवी फुटेज नहीं दे सकते।

6.परसाद थाना (सलूंबर)
मार्च-2023 में अर्जुन मीणा की मौत
जवाब: सीसीटीवी उपलब्ध नहीं हैं, बेकअप नहीं है।

7.सुखेर थाना: (उदयपुर)
नवंबर-2024 में तेजपाल मीणा की मौत
जवाब: सीसीटीवी तकनीकी कारणों से खराब (जबकि स्टेट क्राइम रिपोर्ट में यहां के सीसीटीवी खराब की कोई रिपोर्ट नहीं हैं)

8. श्रीगंगानगर (राजियासर थाना)
जून-2025 में मोहन सिंह की संदिग्ध हालत में मौत।

9. जयपुर (सदर थाना)
जून-2025 में बाइक चोरी के आरोपी ने आत्महत्या की।

10. भरतपुर (उद्योग नगर थाना)
जुलाई 2025 में नाबालिक को भगाने के आरोपी गब्बर सिंह की मौत।

11. कोटा थाना
जुलाई 2025 में कोटा थाना लोकेश सुमन की मौत। एसएचओ सहित 23 पुलिसकर्मी निलंबित किए।

हिरासत में अत्याचार के ये मामले भी

खेरवाड़ा थाना: मई-2025 को अभिषेक मीणा से मारपीट, अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। जबाव-जानकारी नहीं दे सकते।
आमेट थाना: मोजीराम के साथ मारपीट, अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। जवाब-सीसीटीवी डिलीट हो गए।

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राजस्थान में सीसीटीवी कैमरे और पारदर्शिता का मुद्दा

राजस्थान में सीसीटीवी कैमरों का उपयोग पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए किया जा रहा है। हालांकि, सीसीटीवी कैमरे की खराब स्थिति और उनकी अनुपस्थिति ने पुलिस हिरासत में मौतें और क्रूरता के मामलों को बढ़ावा दिया है।

पुलिस अधिकारियों की ओर से की गई लापरवाहियों और घेराबंदी की वजह से आरोपियों के खिलाफ सही तरीके से न्याय नहीं मिल पा रहा है। अब, सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सूचना आयोग के निर्देशों के बाद राजस्थान पुलिस  के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि वे थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं और फुटेज उपलब्ध कराएं।

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सरकारी जवाबदेही और सुधार की आवश्यकता

राजस्थान सरकार और पुलिस विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरापूरी तरह से कार्यशील रहें और साक्ष्य सुरक्षित रूप से संरक्षित किए जाएं। इसके साथ ही, पुलिस हिरासत में मौतों (Death in Police Custody) के मामलों में भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

FAQ

1. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का कब आदेश दिया था?
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में आदेश दिया था कि राजस्थान पुलिस (Rajasthan Police) के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे (CCTV Cameras) लगाए जाएं ताकि मानवाधिकार उल्लंघन (Human Rights Violations) पर रोक लगाई जा सके।
2. राजस्थान में 2025 में पुलिस हिरासत में कितनी मौतें हुई हैं?
2025 के 7-8 महीनों (7-8 Months) में राजस्थान पुलिस हिरासत में 11 मौतें (Custodial Deaths) हुई हैं, जिनमें से अधिकांश उदयपुर (Udaipur) और राजसमंद (Rajsamand) जिलों में हुई हैं।
3. राजस्थान पुलिस थानों में सीसीटीवी फुटेज क्यों नहीं उपलब्ध कराए जा रहे हैं?
राजस्थान पुलिस थानों में सीसीटीवी फुटेज (CCTV Footage) की अनुपलब्धता के कारण पुलिस ने विभिन्न बहाने दिए, जैसे कि कैमरे खराब (Cameras Malfunctioning), स्टोरेज फुल (Storage Full), और बैकअप न होना (No Backup)।
4. सूचना आयोग ने सीसीटीवी फुटेज को लेकर क्या निर्देश दिए हैं?
सूचना आयोग (Information Commission) ने आदेश दिया कि सीसीटीवी फुटेज (CCTV Footage) पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आवेदक (Applicant) को उपलब्ध कराना जरूरी है।
5. पुलिस हिरासत में मौतों के मामलों में क्या कार्रवाई की जा रही है?
पुलिस हिरासत में मौतें (Custodial Deaths) के मामलों में सुप्रीम कोर्ट और सूचना आयोग (Information Commission) के निर्देशों के बाद अब पुलिस को सीसीटीवी फुटेज (CCTV Footage) उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा, जिससे उचित न्याय मिल सके।

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