सीएम ने लिया राजस्थान पुलिस के नौ दागी इंस्पेक्टर को हटाने का फैसला, इनमें से दो का प्रमोशन, जानें पूरा मामला

राजस्थान सरकार और पुलिस हेडक्वार्टर ने 9 दागदार इंस्पेक्टरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का निर्णय लिया था लेकिन इनमें से दो इंस्पेक्टरों के प्रमोशन दिया जा चुका हैं। ऐसे में पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान सरकार और राजस्थान पुलिस हेडक्वार्टर (पीएचक्यू) ने हाल ही में उन 9 इंस्पेक्टरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला किया है, जिनकी कार्यशैली पर सवाल उठे थे। इन इंस्पेक्टरों की छवि को दागदार मानते हुए यह निर्णय लिया गया था। 6 अगस्त 2025 को राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजस्थान पुलिस के दागी इंस्पेक्टर को हटाने के फैसले पर मुहर लगाई, लेकिन इसके बाद एक दिलचस्प मोड़ आया। जांच के दौरान यह पाया गया कि इन 9 में से 2 इंस्पेक्टरों को पहले ही डिप्टी एसपी (डीएसपी) के पद पर पदोन्नत किया जा चुका था। इस मामले में सवाल उठते हैं कि इन अफसरों के प्रमोशन के बावजूद उनका नाम अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सूची में क्यों था।

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जयपुर स्थि​त पुलिस मुख्यालय। Photograph: (The Sootr)

राजस्थान में किन पुलिस इंस्पेक्टर की पदोन्नति पर सवाल उठ रहे हैं?

राज्य के गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय ने 2024 में एक विशेष स्क्रूटनी (जांच) प्रक्रिया शुरू की थी, जिसमें इन 9 इंस्पेक्टरों के सेवा रिकॉर्ड का मूल्यांकन किया गया। यह पूरी प्रक्रिया पुलिस मुख्यालय, गृह विभाग राजस्थान और आरपीएससी (राजस्थान लोक सेवा आयोग) द्वारा की गई। इस जांच के बाद इन 9 अफसरों का नाम उनकी कार्यशैली को लेकर विवादित पाया गया, और उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का निर्णय लिया गया। हालांकि, इन 9 अफसरों में से दो अफसर, गिर्राज गर्ग और रवीन्द्र सिंह, की छवि डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) द्वारा ठीक मानी गई और उन्हें प्रमोट कर डिप्टी एसपी (डीएसपी) बना दिया गया। ऐसे में राजस्थान पुलिस के दागी इंस्पेक्टर की अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर विवाद शुरू हो गया है।

गर्ग चित्तौड़गढ़ तो सिंह उदयपुर में तैनात

गिर्राज गर्ग और रवीन्द्र सिंह का प्रमोशन 2024 में ही हुआ था। गिर्राज गर्ग को चित्तौड़गढ़ में और रवीन्द्र सिंह को उदयपुर में तैनात किया गया। गिर्राज का प्रमोशन 1 अगस्त 2024 से और रवीन्द्र का प्रमोशन जुलाई 2024 से प्रभावी माना गया। इन दोनों अफसरों के प्रमोशन की प्रक्रिया में कोई भी अधिकारी, चाहे वह पुलिस मुख्यालय हो या गृह विभाग, इस बारे में ध्यान नहीं दे पाए। इसके परिणामस्वरूप, इन अफसरों के प्रमोशन को न तो गृह विभाग और न ही पुलिस मुख्यालय ने सही से नोटिस किया।

राजस्थान में इन नौ पुलिस इंस्पेक्टर को हटाने का हुआ था फैसला

नामजिलायह आरोपकार्रवाई
कुशाल सिंहजयपुर ग्रामीणशराब कार्रवाई में गड़बड़ीहटाने का फैसला
दिलीप दानडूंगरपुरएंटी करप्शन ब्यूरो में ट्रेप हुएहटाने का फैसला
भवानी सिंहसीकरएसीआर खराबहटाने का फैसला
देवीदानजालोरशराब कारोबारियों से मिलीभगतहटाने का फैसला
ओमप्रकाशजयपुरवार्षिक गोपनीय रिपोर्ट खराबहटाने का फैसला
मनोज राणाभरतपुरविभागीय कार्रवाई में दंड मिला हुआहटाने का फैसला
रामनिवास यादवजयपुरबार-बार अनुपस्थित रहने के आदीहटाने का फैसला
गिर्राज गर्ग, डीएसपीचित्तौड़गढ़वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट खराबसेवा में बने रहेंगे
रवीन्द्र, डीएसपीउदयपुरविभागीय कार्रवाई में दंड मिलासेवा में बने रहेंगे

एक ही सेवा रिकॉर्ड से प्रमोशन और अनिवार्य सेवानिवृत्ति

इन दोनों अफसरों के प्रमोशन को लेकर विवाद इसलिए उठता है क्योंकि उन्हें एक ओर जहां विभागीय पदोन्नति समिति ने प्रमोशन दिया, वहीं दूसरी ओर उनके सेवा रिकॉर्ड को अब अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लायक पाया गया। इस स्थिति ने गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय को कानूनी सलाह लेने की आवश्यकता महसूस कराई। यह विवाद इस तथ्य पर केंद्रित है कि एक ही सेवा रिकॉर्ड के आधार पर इन अफसरों को प्रमोशन दिया गया था और अब उन्हीं रिकॉर्डों पर उन्हें सेवानिवृत्ति देने का आदेश दिया जा रहा है।

कानूनी पहलुओं पर विचार कर रहा राजस्थान का गृह विभाग

गृह विभाग अब इस मामले के कानूनी पहलुओं पर विचार कर रहा है। गृह विभाग के अधिकारी इस समय यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या इन दो अफसरों के खिलाफ अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश लागू किया जा सकता है, जबकि उनकी पदोन्नति पूरी प्रक्रिया के तहत की गई थी। यह मामला पुलिस मुख्यालय, गृह विभाग और विभागीय पदोन्नति समिति के बीच समन्वय की कमी का परिणाम है।

FAQ

1. राजस्थान सरकार ने 9 इंस्पेक्टरों को क्यों अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला लिया?
राजस्थान सरकार ने इन 9 इंस्पेक्टरों को दागदार कार्यशैली के कारण अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का निर्णय लिया। उनकी कार्यशैली पर लगातार सवाल उठ रहे थे, जिससे उनका सेवा रिकॉर्ड ठीक नहीं माना गया।
2. क्या गिर्राज गर्ग और रवीन्द्र सिंह पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश लागू होगा?
नहीं, गिर्राज गर्ग और रवीन्द्र सिंह को डीपीसी की प्रक्रिया से पदोन्नति मिली थी, और उनके सेवा रिकॉर्ड को ठीक माना गया था। ऐसे में इन दोनों अफसरों पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश लागू नहीं होगा।
3. डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) की प्रक्रिया क्या है?
डीपीसी एक आधिकारिक प्रक्रिया है जिसके तहत अफसरों के सेवा रिकॉर्ड और उनके कार्यकुशलता का मूल्यांकन किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद ही किसी अफसर को प्रमोशन या अन्य पद पर नियुक्ति दी जाती है।
4. राजस्थान में इंस्पेक्टर अनिवार्य सेवानिवृत्ति मामला क्या विभागीय समन्वय की कमी को दर्शाता है?
हां, यह मामला विभागीय समन्वय की कमी को दर्शाता है। पुलिस मुख्यालय, गृह विभाग और विभागीय पदोन्नति समिति के बीच समन्वय की कमी के कारण गिर्राज गर्ग और रवीन्द्र सिंह के प्रमोशन के बाद भी उनका नाम अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सूची में था।
5. गृह विभाग राजस्थान में इंस्पेक्टर अनिवार्य सेवानिवृत्ति मामले पर क्या कार्रवाई करेगा?
गृह विभाग इस मामले के कानूनी पहलुओं पर विचार कर रहा है। वे यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या इन दोनों अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश दिया जा सकता है, जबकि उन्हें पहले ही प्रमोशन दिया जा चुका है।

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