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Photograph: (the sootr)
राजस्थान में भजनलाल सरकार ने सियासी नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस कड़ी में भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. अरुण चतुर्वेदी को राज्य वित्त आयोग (Finance Commission) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इसके अलावा सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी नरेश ठकराल को आयोग का सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति भजनलाल सरकार की पहली महत्वपूर्ण सियासी नियुक्ति मानी जा रही है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इन दिनों दिल्ली दौरे पर हैं, जहां वे पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और वरिष्ठ पदाधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य जिलों से लेकर बोर्ड और निगमों तक की राजनीतिक नियुक्तियों पर चर्चा करना है। सूत्रों के अनुसार, यह दौरा संगठनात्मक और प्रशासनिक समीकरणों को मजबूती देने के लिए अहम माना जा रहा है।
मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना
दिसंबर, 2023 में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद भजनलाल शर्मा की सरकार में अब तक दो उपमुख्यमंत्रियों सहित कुल 24 मंत्री हैं। हालांकि मंत्रिमंडल में अभी भी छह पद खाली हैं। राज्य विधानसभा की सदस्य संख्या के आधार पर कुल 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं, जिससे मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाएं बढ़ रही हैं।
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सियासी नियुक्तियों में इन नेताओं की उम्मीदें बढ़ी
सियासी नियुक्तियों (Political Appointments) की शुरुआत के साथ भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में नई उम्मीदें जगी हैं। कई बड़े नेता अब नई जिम्मेदारियों के लिए कतार में हैं। इनमें प्रमुख नामों में राजेंद्र राठौड़, सतीश पूनियां, कैलाश चौधरी, महंत बालकनाथ, अल्का गुर्जर, अशोक परनामी, राजपाल शेखावत, ज्योति मिर्धा, नारायण पंचारिया, लालचंद कटारिया और राजेंद्र यादव शामिल हैं। इन नेताओं को राष्ट्रीय और प्रदेश संगठन या विभिन्न बोर्ड और निगमों में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया जा सकता है।
केंद्रीय संगठन में भी मिल सकती है जिम्मेदारी
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि मुख्यमंत्री का दिल्ली दौरा इन नियुक्तियों को अंतिम रूप देने में निर्णायक साबित हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी के संगठन और सरकार में संतुलन बनाए रखने के लिए इन नियुक्तियों में क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों का खास ध्यान रखा जाएगा। कुछ नेताओं को केंद्रीय संगठन में जिम्मेदारी मिल सकती है, जबकि अन्य को राज्य स्तर पर बोर्ड, निगमों या अन्य महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया जा सकता है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब तक सियासी नियुक्तियां हो पाएंगी?
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