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जयपुर। क्या राजस्थान की सियासत में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उनके करीबी रहे नेताओं ने दूरी बना ली है्? सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रविवार को उनकी आई एक पोस्ट से यही प्रतीत होता है। उन्होंने इस पोस्ट के जरिए दार्शनिक अंदाज में अपनी पीड़ा बयां की है।
उन्होंने अपनी पार्टी के उन नेताओं पर कटाक्ष किया है, जिन्होंने भाजपा के नए समीकरणों के बाद उनसे दूरी बना ली है। यह पोस्ट भाजपा में चर्चा का विषय बनी हुई है। राजस्थान पॉलिटिक्स में नई बहस शुरू हो गई है।
वसुंधरा राजे ने पूर्व मंत्री दिवंगत प्रो. सांवर लाल जाट का उदाहरण देते हुए लिखा कि मौसम और इंसान कब बदल जाए कोई भरोसा नहीं। आजकल राजनीति में लोग नई दुनिया बसा लेते हैं, एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं, पर प्रो.सांवर लाल जाट ऐसे नहीं थे। वे मरते दम तक मेरे साथ थे।
मौसम और इंसान कब बदल जाए कोई भरोसा नहीं। आजकल राजनीति में लोग नई दुनिया बसा लेते हैं, एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं, पर प्रो.सांवर लाल जाट ऐसे नहीं थे। वे मरते दम तक मेरे साथ थे।
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) July 6, 2025
आज अजमेर जिले के सिरोंज गांव में पूर्व मंत्री स्व. प्रो.जाट जी के मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में… pic.twitter.com/IR5f7EMfKM
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पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे रविवार को अजमेर के सिरोंज गांव में पूर्व मंत्री दिवगंत प्रो. सांवर लाल जाट की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में उपस्थित रहीं। उन्होंने कहा कि दिवगंत भैरों सिंह शेखावत, स्व. प्रो.सांवर लाल जाट और डॉ. दिगंबर सिंह के चले जाने से बहुत नुकसान हुआ। वे मेरी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे।
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पूर्व मुख्यमंत्री के अनुसार मेरी तरह प्रो.सांवर लाल जाट भी राजनीति में पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत की स्कूल के छात्र थे। उनकी अजमेर लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं थी, पर अनुशासित होने के कारण लड़े और जीते।
हमने 2018 में जब किसानों के 50 हजार तक का कर्जा माफ किया, तब दिवंगत सांवर लाल जाट होते तो बहुत खुश होते। अजमेर में बीसलपुर का पानी उन्होंने ही पहुंचाया। उनकी चाह थी कि चम्बल बेसिन का पानी बीसलपुर बांध में डले।
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वसुंधरा ने एक अहम बात यह भी लिखी कि हमने 2018 में ईआरसीपी {ERCP} शुरू की, जिससे सांवर लाल का सपना पूरा होगा। उनके निधन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा और राष्ट्र के लिए एक बड़ी क्षति बताया था। उनके पुत्र विधायक रामस्वरुप लांबा उनकी सोच को आगे बढ़ा रहे हैं।
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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा राजे इन दिनों राजस्थान भाजपा की राजनीतिक के नए समीकरणों में लगभग गुमनाम चेहरा बनकर रह गई हैं। वर्ष 2023 में राजस्थान सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्हें सीएम बनने की उम्मीद थी, लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतत्व ने युवा चेहरे भजनलाल शर्मा पर भरोसा जताया। इसके बाद से राजे के दरबार से लोगों की उपस्थिति लगभग बहुत कम हो गई है।
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