राजस्थान पेयजल योजना घोटाला : इंजीनियरों ने उड़ाए 150 करोड़ रुपए, सात दोषी करार, जानें पूरा मामला

राजस्थान में एस्को मॉडल के ट्यूबवेल ऑपरेशन और मेंटेनेंस में 150 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया। इस मामले में 7 इंजीनियरों को दोषी ठहराया गया।

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Nitin Kumar Bhal
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Jal Ghotala in Rajasthan

Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान (Rajasthan) में पेयजल योजनाओं के तहत एस्को (एनर्जी सर्विस कंपनी) मॉडल पर आधारित ट्यूबवेलों के ऑपरेशन और मेंटेनेंस में 150 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। यह घोटाला राज्य के जलदाय विभाग से जुड़ा हुआ है, जिसने एस्को मॉडल के तहत ट्यूबवेलों के ऑपरेशन और मेंटेनेंस का ठेका दिया था। जांच में यह पाया गया है कि कई इंजीनियरों और ठेका फर्मों ने गलत तरीके से काम किया, जिससे राज्य को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।

क्या है एस्को मॉडल?

एस्को मॉडल का उद्देश्य ऊर्जा बचत और संचालन में दक्षता लाना था। राजस्थान के जलदाय विभाग ने इस मॉडल को अपनाया था ताकि ट्यूबवेलों की मेंटेनेंस और ऑपरेशन में सुधार हो सके। यह योजना जल संरक्षण और पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए थी। ट्यूबवेलों के ऑपरेशन के लिए ठेकेदारों को काम सौंपा गया था, लेकिन बाद में जांच में यह पाया गया कि ठेकेदारों और इंजीनियरों ने नियमों का उल्लंघन किया।

वित्तीय समिति की अनुमति के बिना ही ठेके जारी

जांच कमेटी ने आरोप लगाया है कि वित्तीय समिति की अनुमति के बिना ही ठेके जारी किए गए थे। पहले केवल 20 ट्यूबवेलों का ठेका दिया गया था, लेकिन बाद में बिना किसी उचित प्रक्रिया के इस संख्या को बढ़ाकर 981 कर दिया गया। इसके अलावा, वर्क ऑर्डर में भी अनियमितताएं पाई गईं। एस्को मॉडल के तहत यह निर्णय लिया गया था कि ट्यूबवेलों की मेंटेनेंस के लिए वित्तीय संसाधन और दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा, लेकिन घोटाले में लगे अधिकारियों और ठेकेदारों ने इन नियमों की अनदेखी की।

सात इंजीनियरों को दोषी ठहराया

जांच कमेटी ने कुल सात इंजीनियरों को दोषी ठहराया है, जिनमें से कुछ इंजीनियर पहले से दूसरी जगह पोस्ट हो चुके हैं और कुछ सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनमें ताराचंद कुलदीप, रमेश चंद्र मीणा, श्याम बिहारी बैरवा, उमेश कुमार मीणा, आशीष द्विवेदी, जितेंद्र त्रिवेदी, और हेमन्त कुमार वैष्णव शामिल हैं। इन इंजीनियरों पर आरोप है कि उन्होंने ठेकेदारों के साथ मिलकर घोटाले को अंजाम दिया।

जल घोटाला में जल्द मिलेगी चार्जशीट

जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी और अतिरिक्त मुख्य सचिव IAS अखिल अरोड़ा ने इस मामले में सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। दोषी इंजीनियरों को जल्द ही चार्जशीट दी जाएगी, और दो फर्मों- मैसर्स एमएम कंस्ट्रक्शन कंपनी और राज एंटरप्राइजेज को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। राज्य सरकार का इरादा है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े नियम और प्रक्रियाएं लागू की जाएं।

जल घोटाले में नोटिस और जांच की स्थिति क्या है?

एडिशनल चीफ इंजीनियर ने कुल 10 इंजीनियरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इनमें से तीन के जवाब संतोषजनक पाए गए, जबकि अन्य पर कार्रवाई जारी है। जांच अब भी जारी है, और जल्द ही अन्य संदिग्ध व्यक्तियों और फर्मों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

 

ESCO मॉडल के बारे में जानें

ESCO मॉडल क्या है ?

  • ESCO (Energy Service Company) मॉडल एक ऐसा व्यवसाय मॉडल है जिसमें एक ऊर्जा सेवा कंपनी (ESCO) अपने ग्राहक के साथ साझेदारी करती है, ताकि ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं को लागू किया जा सके। इसमें ग्राहक को अग्रिम भुगतान नहीं करना होता। ESCO कंपनी भविष्य में होने वाली ऊर्जा बचत से अपनी फीस प्राप्त करती है।
  • यह मॉडल प्रदर्शन-आधारित होता है। इसका मतलब है कि यदि ऊर्जा बचत नहीं होती, तो ESCO को कोई भुगतान नहीं मिलता। ESCO केवल तब भुगतान प्राप्त करती है जब वह निर्धारित ऊर्जा बचत की गारंटी दे पाती है।

  • ESCO कंपनी, ऊर्जा दक्षता को बेहतर बनाने के लिए किसी सुविधा में निवेश करती है। इसके बाद, ग्राहक को उस परियोजना की लागत को भविष्य में होने वाली ऊर्जा बचत से चुकाने की अनुमति मिलती है।

ESCO मॉडल के मुख्य तत्व

  1. ऊर्जा दक्षता परियोजना
    ESCO कंपनी सबसे पहले ऊर्जा लेखा परीक्षा (Energy Audit) करती है, फिर एक व्यवहार्यता अध्ययन (Feasibility Study) करती है। इसके बाद वह ऊर्जा-कुशल उपकरणों को स्थापित करती है या मौजूदा प्रणालियों को अपग्रेड करती है।

  2. प्रदर्शन-आधारित अनुबंध
    ESCO और ग्राहक के बीच एक ऐसा अनुबंध होता है जिसमें ESCO को यह गारंटी देना होता है कि वह परियोजना से होने वाली ऊर्जा बचत सुनिश्चित करेगी।

  3. वित्तपोषण
    ESCO कंपनी आमतौर पर परियोजना के लिए वित्तपोषण प्रदान करती है या फिर तीसरी पार्टी वित्तपोषकों से मदद दिलवाती है।

  4. भुगतान
    ग्राहक को परियोजना की लागत का भुगतान तब करना होता है, जब उन्हें भविष्य में होने वाली ऊर्जा बचत मिलनी शुरू हो जाती है। यह भुगतान आमतौर पर एक निश्चित अवधि में किया जाता है।

ESCO मॉडल के लाभ

  1. कम लागत) : ESCO मॉडल में ग्राहकों को अग्रिम पूंजी खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती। इससे उनके लिए परियोजना को शुरू करना आसान हो जाता है।

  2. जोखिम कम : ESCO कंपनी ऊर्जा बचत की गारंटी देती है, जिसका मतलब है कि ग्राहक को ऊर्जा लागत में वृद्धि का कोई जोखिम नहीं होता।

  3. पर्यावरणीय लाभ : ऊर्जा दक्षता में सुधार से कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

  4. आसान कार्यान्वयन : ESCO कंपनियां ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं को लागू करने में विशेषज्ञ होती हैं, इसलिए यह प्रक्रिया ग्राहकों के लिए सहज और सरल होती है।

 

भ्रष्टाचार पर सख्त है राजस्थान सरकार

राजस्थान सरकार ने इस घोटाले पर गहरी चिंता व्यक्त की है और इसे राज्य की पानी की आपूर्ति व्यवस्था पर गंभीर असर डालने वाली घटना बताया है। जलदाय विभाग ने घोटाले के आरोपियों के खिलाफ एक कड़ी कानूनी कार्रवाई की योजना बनाई है, ताकि भविष्य में इस तरह के मामले न सामने आएं।

घोटाले से उत्पन्न संकट

यह घोटाला न केवल राज्य के लिए एक वित्तीय संकट उत्पन्न करता है, बल्कि यह एक संकेत भी है कि कैसे प्रशासनिक ढांचे में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताएं सार्वजनिक योजनाओं को प्रभावित कर सकती हैं। इस मामले में अधिकारियों की भूमिका और ठेकेदारों के साथ उनके संबंधों की जांच की जा रही है।

घोटाले के प्रभाव

  • राज्य पर वित्तीय दबाव:
    यह घोटाला राज्य के जल संसाधनों और पानी की आपूर्ति योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

  • विकास में रुकावट:
    जब ऐसे घोटाले सामने आते हैं, तो जनता का विश्वास प्रशासनिक और सरकारी योजनाओं में कम हो सकता है।

  • प्राकृतिक संसाधनों की हानि:
    पानी की आपूर्ति में अनियमितताएं होने से राज्य में जल संकट और अधिक गहरा सकता है।

FAQ

1. एस्को मॉडल क्या है और यह किसलिए इस्तेमाल किया जाता है?
एस्को (एनर्जी सर्विस कंपनी) मॉडल एक वित्तीय प्रणाली है जिसे ऊर्जा बचत और दक्षता में सुधार के लिए अपनाया जाता है। इस मॉडल का उपयोग सरकारी और निजी योजनाओं में किया जाता है।
2. राजस्थान में जल घोटाले में कितने इंजीनियर दोषी पाए गए हैं?
इस घोटाले में कुल 7 इंजीनियरों को दोषी ठहराया गया है, जिनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
3. क्या जल घोटाले में शामिल ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा?
हां, इस घोटाले में शामिल ठेकेदारों—मैसर्स एमएम कंस्ट्रक्शन कंपनी और राज एंटरप्राइजेज को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा।
4. जल घोटाले के बाद राजस्थान सरकार क्या कदम उठा रही है?
राजस्थान सरकार ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं, और घोटाले के दोषियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने का फैसला किया है।
5. क्या जल घोटाले से राजस्थान के जल आपूर्ति व्यवस्था पर असर पड़ेगा?
इस घोटाले का असर जल आपूर्ति व्यवस्था पर पड़ सकता है, क्योंकि इससे राज्य की पानी की योजनाओं में अनियमितताएं हो सकती हैं।

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