राजस्थान के इन गांवों में शराब पीना है अपराध, जुर्माना और बेदखली जैसी मिलती है सजा

राजस्थान के सिरोही जिले के 11 गांवों में शराब पीना और बेचना गुनाह माना जाता है। गलती से शराब पीने पर सख्त जुर्माना लगता है। अब यह गांव पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन रहे है।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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राजस्थान, जो अपनी सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, इन दिनों यहां का एक जिला महत्वपूर्ण सामाजिक बदलाव की वजह से चर्चा में है। सिरोही जिले के 11 गांवों में शराब पीना और बेचना अब अपराध माना जाता है। यह कदम गरासिया समाज ने उठाया है, जो नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए काम कर रहा है।

इन गांवों में शराब पर पूरी तरह से पाबंदी है। समाज का उद्देश्य शराब से होने वाली समस्याओं को कम करना और बच्चों को शिक्षा की ओर प्रेरित करना है। यहां के लोग अब नशा से दूर रहते हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। 

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इन 11 गांवों में शराब पीने और बेचने पर पाबंदी

इन 11 गांवों में शराब पीने और बेचने पर सख्त रोक है। इन गांवों में शराब की दुकानें नहीं हैं, और यहां तक कि शराब पीने पर भी जुर्माना लगता है। इन गांवों के नाम हैं:

  • बहादुरपुरा

  • मुदरला

  • उपलाखेजड़ा

  • निचलाखेजड़ा

  • पाबा

  • रणोरा

  • दानबोर

  • भमरिया

  • बूजा

  • उपलागढ़

  • चंडेला

इन गांवों में शराब पीने की गलती करने वाले व्यक्तियों को भारी जुर्माना भरना पड़ता है। यह कदम समाज की जागरूकता को बढ़ाने के लिए उठाया गया है, ताकि समाज में नशे के कारण होने वाले अपराधों और सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सके।  

शराब पर रोक लगाने से गांवों को यह मिले फायदें

1. समाज में अपराधों में कमी

शराब पर प्रतिबंध लगाने से अपराधों में कमी आई है। शराब के कारण उत्पन्न होने वाली हिंसा, घरेलू कलह और सड़क हादसों में भी गिरावट आई है। यह कदम समाज को एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण स्थान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

2. बच्चों की शिक्षा में वृद्धि

शराब पर पाबंदी से बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल रही है। पहले जो परिवार शराब के कारण आर्थिक संकट से जूझते थे, अब वे अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में भेजने में सक्षम हैं। इससे बच्चों का भविष्य बेहतर बन रहा है।

3. समाज में जागरूकता बढ़ी है

समाज की बैठकों और जागरूकता अभियानों के कारण अब लोग शराब के दुष्प्रभावों को समझने लगे हैं। इसका प्रभाव समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहा है, और लोग अपने स्वास्थ्य और परिवार के लिए शराब से दूर रहने की कोशिश कर रहे हैं।

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क्यों लेना पड़ा पंच-पटेलों को ऐसा निर्णय 

समाज के पंच-पटेलों ने शराब पर रोक लगाने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि नशे से जुड़ी कई समस्याएं सामने आ रही थीं। विशेष रूप से, शराब सेवन के कारण अपराधों में वृद्धि हो रही थी, सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोग बढ़ रहे थे, और परिवारों के टूटने के मामलों में भी वृद्धि हो रही थी।

बच्चों की शिक्षा पर भी नशे का गहरा असर पड़ रहा था, क्योंकि कई परिवार शराब के कारण गरीबी और संघर्ष से जूझ रहे थे। इस समस्या को देखते हुए गरासिया समाज ने सख्त निर्णय लिया कि शराब पीने और बेचने वालों पर सजा दी जाएगी, ताकि समाज को इस बुराई से बचाया जा सके। 

समाज कर रहा जागरूकता बढ़ाने के प्रयास

गरासिया समाज ने न केवल शराब पर रोक लगाई, बल्कि वे नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए नियमित बैठकों का आयोजन भी कर रहे हैं। इन बैठकों में नशे के कारण होने वाली समस्याओं पर चर्चा की जाती है, और समाज के सभी सदस्यों को इस विषय में जागरूक किया जाता है।

इसके परिणामस्वरूप, समाज के लोग अब नशे से दूर रहते हैं और शिक्षा के महत्व को समझते हुए अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करते हैं।

समाज ने यह भी घोषणा की है कि शराब छूना भी पाप माना जाएगा। इसका उद्देश्य समाज में नशे को पूरी तरह से समाप्त करना और एक स्वस्थ वातावरण की स्थापना करना है। 

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