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Photograph: (The Sootr)
यादव समाज राजस्थान ने बॉलीवुड अभिनेता और निर्देशक फरहान अख्तर (Farhan Akhtar) और प्रोडक्शन हाउस एक्सेल एंटरटेनमेंट (Excel Entertainment) को कानूनी नोटिस भेजा है। यह नोटिस फिल्म '120 बहादुर' (120 Bahadur) के लिए जारी किया गया है, जो 1962 के भारत-चीन युद्ध की रेजांग ला (Rezang La) की लड़ाई पर आधारित है।
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फरहान अख्तर को भेजे नोटिस में आरोप
फरहान अख्तर को यादव समाज का नोटिस में दावा किया गया है कि इस फिल्म में 18 नवंबर 1962 को 13 कुमाऊं रेजिमेंट की चार्ली कंपनी के 120 जवानों द्वारा चीनी सैनिकों से लड़ते हुए देश की सीमा की रक्षा की गई थी। इसमें से 114 जवान शहीद हुए थे, और इन शहीदों में से अधिकांश यादव समुदाय (Yadav Community) से थे। आरोप है कि फिल्म में यादव सैनिकों (Yadav Soldiers) के योगदान को गौण (minimized) किया गया है, जो कि इस लड़ाई के सामूहिक बलिदान को अनदेखा करने जैसा है। यादव समाज इस इतिहास से छेड़छाड़ को स्वीकार नहीं करेगा।
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नोटिस देने वाले एडवोकेट फूल सिंह (Advocate Phool Singh) का कहना है कि यह मामला केवल एक फिल्म का नहीं है, बल्कि यह पूरे यादव समाज और उन शहीद परिवारों की प्रतिष्ठा से जुड़ा है। अगर फिल्म में अहीर सैनिकों (Ahir Soldiers) की शहादत को सही तरीके से नहीं दिखाया गया, तो समाज न्यायालय (Court) का रुख करेगा।
फिल्म 120 बहादुर की कहानी क्या है ?
फिल्म ‘120 बहादुर’ रेजांग ला की लड़ाई (Rezang La Battle) पर आधारित है, जो 1962 के भारत-चीन युद्ध (India-China War) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। फिल्म में फरहान अख्तर (Farhan Akhtar) मेजर शैतान सिंह भाटी (Shaitan Singh Bhati) की भूमिका में नजर आएंगे, जो इस लड़ाई के एक महान नायक थे।
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रेजांग ला का युद्ध क्या है?
रेजांग ला का महत्व
रेजांग ला युद्ध स्मारक
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राजस्थान में भी हुई फिल्म 120 बहादुर की शूटिंग
फिल्म की शूटिंग लद्दाख (Ladakh), राजस्थान (Rajasthan), और मुंबई (Mumbai) में बड़े पैमाने पर की गई है, और यह फिल्म 14,000 फीट की ऊंचाई पर लद्दाख में शूट की गई है। फिल्म का निर्देशन रजनीश घई (Rajnish Ghai) ने किया है, जबकि इसका निर्माण रितेश सिधवानी (Ritesh Sidhwani), फरहान अख्तर (Farhan Akhtar) (एक्सेल एंटरटेनमेंट) और अमित चंद्रा (Amit Chandra) (ट्रिगर हैप्पी स्टूडियोज) द्वारा किया गया है।
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फिल्म 120 बहादुर को लेकर यादव समाज की आपत्ति क्या है?
यादव समाज की ओर से भेजे गए कानूनी नोटिस में आरोप लगाया गया है कि फिल्म में इस सामूहिक बलिदान को अनदेखा करते हुए केवल मेजर शैतान सिंह भाटी की शौर्यगाथा पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। जबकि यह लड़ाई पूरे यादव समुदाय (Entire Yadav Community) और सभी जवानों की सामूहिक वीरता की कहानी है। इस मुद्दे को समाज की अस्मिता (Community Identity) और उन शहीद परिवारों की भावनाओं से जोड़ा गया है।
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फरहान अख्तर को भेजे गए नोटिस की 3 बड़ी बातें
1. चार्ली कंपनी के वीर जवान
नोटिस में कहा गया है कि चार्ली कंपनी के 120 जवानों ने अपनी अंतिम सांस तक (Until Their Last Breath) दुश्मन के सामने मोर्चा संभाला। कई सैनिक अपनी खाइयों में शहीद हो गए थे, और उनकी अंगुलियां शहादत के बाद भी ट्रिगर पर जमी हुई थीं। इसमें नायब सूबेदार हरि राम, नायब सूबेदार सुरजा राम और नायब सूबेदार रामचंद्र जैसे तीन प्लाटून कमांडरों को वीर चक्र (Vir Chakra) और सेना पदक (Army Medal) से सम्मानित किया गया। यह लड़ाई केवल व्यक्तिगत वीरता की नहीं, बल्कि सामूहिक बलिदान की कहानी है।
2. किताब और अभिलेखों में यादव सैनिकों का जिक्र
फाउंडेशन का कहना है कि पूर्व नौसेना अधिकारी कुलप्रीत यादव की किताब में भी इस लड़ाई का जिक्र है, जिसमें यह बताया गया है कि रेजांग ला में शहीद हुए अधिकांश सैनिक यादव समुदाय (Yadav Community) से थे। रेजांग ला स्मारक (Rezang La Memorial) को ‘अहीर धाम (Ahir Dham)’ के नाम से भी जाना जाता है, और यहां सभी 114 शहीदों के नाम दर्ज हैं।
3. ‘दादा किशन की जय’ का उद्घोष
नोटिस में बताया गया है कि लड़ाई के दौरान चार्ली कंपनी के सैनिक ‘दादा किशन की जय’ का उद्घोष कर रहे थे। यह नारा यादव समुदाय की साहस और कर्तव्य का प्रतीक था। यह नारा केवल धार्मिक उद्घोष नहीं था, बल्कि अहीर सैनिकों की वीरता और उनकी सामुदायिक पहचान का प्रतीक था।
फिल्म 120 बहादुर को लेकर यादव समाज का सशक्त विरोध
फाउंडेशन ने साफ कहा है कि फिल्म में यादव सैनिकों का योगदान महत्वपूर्ण था, और इसे सही तरीके से चित्रित किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि इस सामूहिक बलिदान की बजाय केवल एक व्यक्ति के योगदान को प्रमुख बनाना समाज की भावनाओं के साथ अन्याय होगा।
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