राजुवास बीकानेर विवि: त्रिभुवन शर्मा को सर्च कमेटी अध्यक्ष बनाने पर विवाद

राजस्थान के राजुवास बीकानेर विवि में त्रिभुवन शर्मा को सर्च कमेटी अध्यक्ष नियुक्त करने को लेकर राज्यपाल के आदेश का उल्लंघन किया गया है। इस ​पर विवाद शुरू हो गया है

author-image
Gyan Chand Patni
New Update
rajuvas bikaner
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

राजुवास यानी राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर ( Rajasthan University of Veterinary and Animal Sciences, Bikaner )  के कुलपति की नियुक्ति के लिए गठित सर्च कमेटी के अध्यक्ष पद पर त्रिभुवन शर्मा की नियुक्ति को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है।

त्रिभुवन शर्मा को इस पद से हटाया नहीं गया है। इस निर्णय से विवि की पारदर्शिता और नियमों के पालन पर सवाल उठ रहे हैं।

क्या हैं नियम 

केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना और राज्यपाल के निर्देशों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को उस विश्वविद्यालय में पहले से कार्यरत होने के कारण सर्च कमेटी का अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता। त्रिभुवन शर्मा, जो इस विश्वविद्यालय में पेंशनधारी के रूप में कार्यरत थे और 30 साल तक इस संस्थान में प्रमुख पदों पर कार्य कर चुके थे, इस नियम के तहत अयोग्य हैं।

नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल क्यों

सर्च कमेटी के अध्यक्ष पद पर त्रिभुवन शर्मा की नियुक्ति से विश्वविद्यालय में पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। यह पद पहले से इस विश्वविद्यालय से जुड़े हुए व्यक्तियों के लिए सुरक्षित नहीं होना चाहिए था। इसके बावजूद, उन्हें यह जिम्मेदारी सौंप दी गई, जो राज्यपाल के निर्देशों का उल्लंघन प्रतीत होती है।

Rajasthan के झुंझुनूं में वन अधिकारियों को पड़ी फटकार | मामला क्या है ?

Big Expose | किसके दबाव में हो रही नाहरगढ़ की हत्या ? 'दीया' तले अंधेरा-5 | Diya Kumari | Rajasthan

क्या है राज्यपाल के आदेश और सरकार की अधिसूचना  

राज्यपाल ने 31 अगस्त 2020 को एक पत्र भेजा था, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि कोई भी व्यक्ति, जो स्वयं विश्वविद्यालय से वित्तीय सहायता, पीएचडी, फैलोशिप या किसी अन्य प्रकार की सेवा से जुड़ा हो, वह कुलपति चयन समिति का सदस्य या अध्यक्ष नहीं बन सकता। इस नियम के तहत, त्रिभुवन शर्मा की नियुक्ति अवैध और गैरकानूनी मानी जाती है।  त्रिभुवन शर्मा को सर्च कमेटी अध्यक्ष बनाने पर विवाद ने जोर पकड़ लिया है । 

कैसे हुआ अधिसूचना का उल्लंघन 

विशेषज्ञों के अनुसार, त्रिभुवन शर्मा का विश्वविद्यालय की पीएचडी फैलोशिप और अन्य सेवाओं से गहरा संबंध रहा है, जो उनकी नियुक्ति को पारदर्शिता के लिहाज से संदिग्ध बनाता है। इस मामले में राज्यपाल के निर्देशों और केंद्र सरकार की अधिसूचना का उल्लंघन हुआ है। इस नियुक्ति विवाद से विश्वविद्यालय की छवि भी प्रभावित हो रही है। 

राजस्थान भाजपा में सियासी उबाल! जानिए क्या हैं भजनलाल शर्मा और वसुंधरा राजे की दिल्ली यात्रा के मायने

राजस्थान में भारी बारिश का दौर, कई हाईवे बंद, 14 जिलों में स्कूलों की छुटटी, कई गांवों में बाढ़ से हालात

क्या नियम भी हो गए बेअसर

सरकार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वप्रसंज्ञान लिया और विश्वविद्यालय से रिपोर्ट भी मांगी। हालांकि, आज तक सर्च कमेटी के चेयरमैन त्रिभुवन शर्मा को पद से हटाया नहीं गया है, जिससे सरकार के नियमों की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

क्या है इस विवाद का प्रभाव  

इस विवाद ने राजुवास बीकानेर विश्वविद्यालय की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। यदि नियमों का पालन नहीं किया जाता है, तो यह अन्य महत्वपूर्ण निर्णयों पर भी प्रभाव डाल सकता है और विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकता है।

FAQ

1. सर्च कमेटी का अध्यक्ष बनाने पर सवाल क्यों? 
त्रिभुवन शर्मा को विश्वविद्यालय में अपने लंबे कार्यकाल के बावजूद सर्च कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जो राज्यपाल के आदेश और केन्द्र सरकार की अधिसूचना का उल्लंघन है।
2. क्या  नियुक्ति अवैध है? 
जी हां, त्रिभुवन शर्मा की नियुक्ति अवैध मानी जाती है क्योंकि वे स्वयं विश्वविद्यालय से जुड़े हुए थे और इस विश्वविद्यालय में पहले से कार्यरत रहे थे, जो राज्यपाल के निर्देशों के खिलाफ है।
3. इस विवाद का असर विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर क्या पड़ेगा?
इस विवाद से विश्वविद्यालय की पारदर्शिता और कार्यप्रणाली पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिससे अन्य प्रशासनिक निर्णयों पर भी सवाल उठ सकते हैं।

 1280x720 or 16:9 ratio."

Rajasthan सर्च कमेटी राजुवास, बीकानेर नियुक्ति विवाद त्रिभुवन शर्मा त्रिभुवन शर्मा को सर्च कमेटी अध्यक्ष बनाने पर विवाद