छात्र आत्महत्या: सुप्रीम कोर्ट सख्त, राजस्थान, दिल्ली और बंगाल पुलिस से मांगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताते हुए राजस्थान, दिल्ली, और पश्चिम बंगाल की पुलिस से छात्रों की आत्महत्या की जांच पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।

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Nitin Kumar Bhal
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Supreme Court

Photograph: (The Sootr)

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने छात्रों की आत्महत्या के मामलों पर गंभीर चिंता जताते हुए राजस्थान (Rajasthan), दिल्ली और पश्चिम बंगाल की पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। इस आदेश के तहत कोर्ट ने इन घटनाओं की जांच के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए संबंधित पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया है। कोर्ट ने विशेष रूप से उन मामलों पर ध्यान दिया है, जिनमें आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi), आईआईटी खड़गपुर (IIT Kharagpur) और कोटा (Kota) में नीट (NEET) की तैयारी कर रही एक छात्रा की आत्महत्या शामिल है।


छात्रों की आत्महत्या गंभीर चिंता का विषय

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से यह पूछा कि 2023 में आईआईटी दिल्ली में आत्महत्या करने वाले दो छात्रों के मामले में एफआईआर दर्ज करने के बाद अब तक क्या कार्रवाई की गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि कोर्ट इस मामले में बहुत गंभीर है और चाहता है कि जांच में तेजी लाई जाए।

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कोटा में छात्रा की आत्महत्या का मामला

इसके अलावा, कोटा में नीट की तैयारी कर रही एक छात्रा की आत्महत्या का मामला भी सामने आया है। छात्रा अपने माता-पिता के साथ रहकर नीट की तैयारी कर रही थी और फंदे से लटकी हुई पाई गई थी। इस घटना ने फिर से उन दबावों को उजागर किया है, जो छात्रों पर परीक्षा के दौरान बनते हैं। कोटा में इस तरह की घटनाओं का सिलसिला बढ़ता जा रहा है, जिससे शिक्षा व्यवस्था और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

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गृह मंत्रालय को भी बनाया गया पक्षकार

सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय को भी पक्षकार बनाते हुए इस मामले में उनकी भूमिका को स्पष्ट करने के लिए निर्देश दिया। कोर्ट ने यह कहा कि ऐसे मामलों में सरकारी संस्थाओं को अपने कर्तव्यों को लेकर और अधिक जिम्मेदार होना चाहिए। सरकार और शिक्षा मंत्रालय को इस तरह के मामलों में अपनी नीतियों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है।

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स्पष्ट और प्रभावी कार्रवाई की जरूरत

सुप्रीम कोर्ट का यह कदम इस ओर इशारा करता है कि देश में छात्रों की आत्महत्या के मामलों में एक स्पष्ट और प्रभावी कार्रवाई की जरूरत है। छात्रों की मानसिक स्थिति और उन पर परीक्षा और शिक्षा के दबाव को देखते हुए, यह आवश्यक है कि इस प्रकार के मामलों की गंभीरता से जांच की जाए और उन्हें रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

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छात्रों की आत्महत्या के प्रमुख कारण

  1. अकादमिक दबाव : छात्रों पर परीक्षा और परिणामों का अत्यधिक दबाव होता है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। विशेष रूप से उन छात्रों के लिए जो मेडिकल, इंजीनियरिंग, और अन्य प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, यह दबाव और भी बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप, कुछ छात्र इस मानसिक दबाव से निपटने में सक्षम नहीं होते और आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं।

  2. परिवारिक समस्याएँ : घर में रिश्तों में तनाव, पारिवारिक आर्थिक समस्याएँ, या अकेलापन भी छात्रों की मानसिक स्थिति को प्रभावित करते हैं। घर के माहौल का सीधा असर उनकी पढ़ाई और मानसिक स्थिति पर पड़ता है। यदि छात्र को घर में समर्थन और समझ नहीं मिलती, तो वे आत्महत्या के विचारों से जूझ सकते हैं।

  3. मनोवैज्ञानिक तनाव : मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे, जैसे कि डिप्रेशन, एंग्जायटी, और तनाव, छात्रों के आत्महत्या के कारण हो सकते हैं। जब एक छात्र को सही समय पर मानसिक स्वास्थ्य सहायता नहीं मिलती है, तो उनकी स्थिति और भी बिगड़ सकती है।

  4. सामाजिक दबाव : समाज और दोस्तों के बीच खुद को साबित करने की दौड़ भी छात्रों में तनाव पैदा करती है। सोशल मीडिया पर दिखावे और दूसरों के साथ तुलना करने से वे खुद को कमतर महसूस करने लगते हैं, जो आत्महत्या की ओर ले जा सकता है।


छात्रों की आत्महत्या से कैसे बचा जा सकता है?

  1. मानसिक स्वास्थ्य समर्थन : सबसे महत्वपूर्ण कदम छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना है। स्कूल और कॉलेजों में काउंसलिंग सेवाएं उपलब्ध करवाना, छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना, और उनका समर्थन करना आत्महत्या के मामलों को घटा सकता है।

  2. परिवार का समर्थन : परिवार का सकारात्मक माहौल और समर्थन छात्र की मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद कर सकता है। अगर छात्र को परिवार में समझ और सहयोग मिलता है, तो वे अपने समस्याओं का हल निकालने में सक्षम होते हैं।

  3. अकादमिक दबाव को कम करना : शिक्षा व्यवस्था में छात्रों पर अत्यधिक दबाव को कम करना चाहिए। परीक्षाओं के बजाय छात्रों के विकास पर ध्यान देना चाहिए। छात्रों को उनके प्रयासों के लिए सराहा जाना चाहिए, न कि सिर्फ परिणामों के आधार पर आंकलन किया जाना चाहिए।

  4. सकारात्मक मानसिकता को बढ़ावा देना : छात्रों को खुद पर विश्वास रखना सिखाना और उनके आत्म-संवर्धन को प्रोत्साहित करना बेहद जरूरी है। उन्हें यह समझाना कि वे किसी भी हाल में अपनी अहमियत को नहीं खो सकते।

  5. समाज और स्कूलों का सहयोग : स्कूलों और समुदायों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रों के लिए एक सुरक्षित और सहायक वातावरण हो। छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करना और उनके साथ सकारात्मक बातचीत करना मददगार हो सकता है।

 

FAQ

1. सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की आत्महत्या के मामलों की जांच पर क्यों चिंता जताई?
सुप्रीम कोर्ट ने यह चिंता जताई क्योंकि उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या एक गंभीर समस्या बन चुकी है। इस पर उचित कार्रवाई और जांच की आवश्यकता है।
2. कोटा में छात्रा की आत्महत्या का कारण क्या था?
कोटा में नीट की तैयारी कर रही छात्रा की आत्महत्या का कारण मानसिक दबाव और पढ़ाई के अत्यधिक दबाव को माना जा रहा है। इस मामले ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर एक और सवाल उठाया है।
3. दिल्ली पुलिस ने आईआईटी दिल्ली के छात्रों की आत्महत्या पर क्या कार्रवाई की?
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि 2023 में आईआईटी दिल्ली में आत्महत्या करने वाले दो छात्रों के मामले में एफआईआर दर्ज करने के बाद अब तक क्या कार्रवाई की गई है। यह मामला अभी भी जांच के तहत है।

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