गैजेट्स पर बढ़ती निर्भरता से युवाओं में हो रही सेहत की समस्याएं, जानें कैसे करें बचाव

अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस पर चर्चा, गैजेट्स की बढ़ती निर्भरता से राजस्थान के युवा वर्ग की सेहत पर पड़ रहा नकारात्मक असर, जानें बचाव के तरीके और उपाय।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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12 अगस्त को हर साल अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस (International Youth Day) मनाया जाता है। इस दिन हम अपने देश के युवा वर्ग के योगदान और भविष्य की दिशा पर विचार करते हैं। भारत में युवाओं की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है, जो इस देश की सबसे बड़ी ताकत मानी जाती है। 

हालांकि पिछले कुछ वर्षों में युवाओं की सेहत में गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण है गैजेट्स पर बढ़ती निर्भरता। इससे युवा वर्ग रीढ़, कमर और गर्दन की समस्याओं का शिकार हो रहा है। गैजेट्स पर निर्भरता से युवाओं में कई स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं।

युवाओं में बढ़ती शारीरिक समस्याएं

डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में मोबाइल फोन और लैपटॉप का लगातार उपयोग युवाओं की जीवनशैली को बदल रहा है। इसके परिणामस्वरूप रीढ़, कमर और गर्दन से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। आमतौर पर ये समस्याएं 50 वर्ष से ऊपर के लोगों में देखी जाती थीं, लेकिन अब 20-30 साल के युवा भी इन समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण है गलत बैठने की आदतें, शारीरिक गतिविधियों की कमी, और घंटों तक स्क्रीन के सामने बैठना।

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कोविड के बाद स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि

कोविड महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन शिक्षा ने स्क्रीन टाइम को कई गुना बढ़ा दिया। लॉकडाउन के दौरान लोग मोबाइल फोन और लैपटॉप के साथ अधिक समय बिताने लगे। यह आदत अब भी जारी है। डॉक्टरों का कहना है कि इस दौरान रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याएं सबसे ज्यादा बढ़ी हैं। लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठने से हड्डियों और मांसपेशियों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे शरीर में दर्द और अन्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

अस्पतालों में बढ़ती संख्या में मरीज

प्रदेश के अस्पतालों में इन समस्याओं से जूझ रहे युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि 25 से 35 साल के हर चौथे या पांचवें युवा को कमर दर्द, गर्दन में अकड़न या रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत है। यह समस्याएं पहले केवल मध्यम आयु वर्ग या बुजुर्गों में होती थीं, लेकिन अब यह युवा वर्ग में भी बढ़ रही हैं।

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व्यायाम और जीवनशैली में सुधार की आवश्यकता

चिकित्सकों का कहना है कि डिजिटल दुनिया से जुड़ा रहना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ ही एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना भी उतना ही आवश्यक है। यदि इन समस्याओं पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो रीढ़ स्थायी रूप से प्रभावित हो सकती है। इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि सही बैठने की आदतें अपनाई जाएं, स्क्रीन टाइम को नियंत्रित किया जाए और रोजाना कम से कम 30 मिनट का व्यायाम किया जाए। इस तरह, युवा वर्ग को शारीरिक समस्याओं से बचाया जा सकता है।

ध्यान रखने योग्य बातें

सीधे बैठने की आदत डालें : बैठते वक्त हमेशा पीठ को सीधा रखें और गर्दन को झुका कर स्क्रीन को देखना बंद करें।
30 मिनट व्यायाम : हर दिन 30 मिनट व्यायाम, योग या हल्की दौड़ से शरीर को सक्रिय रखें।
स्क्रीन टाइम को सीमित करें : मोबाइल या लैपटॉप का उपयोग सीमित समय तक करें और बीच-बीच में ब्रेक लें।

FAQ

1. युवाओं में रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याएं क्यों बढ़ रही हैं?
गैजेट्स पर बढ़ती निर्भरता, लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठना, और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसके मुख्य कारण हैं।
2. कोविड के बाद क्या बदलाव आया है?
कोविड के दौरान वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन शिक्षा से स्क्रीन टाइम बढ़ा, जिससे युवाओं में शारीरिक समस्याएं तेज़ी से बढ़ीं।
3. कैसे इन समस्याओं से बचाव किया जा सकता है?
सही बैठने की आदतें, स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करना, और नियमित रूप से 30 मिनट का व्यायाम करना इन समस्याओं से बचने के लिए मददगार है।

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