Ramlala Ayodhya Uma Bharti LK Advan- 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती चर्चा में हैं। सोशल मीडिया अकाउंट X पर लंबी चिट्ठी लिखकर उन्होंने बाबरी मस्जिद और रथयात्रा के नेता रहे लालकृष्ण आडवाणी को लेकर कई खुलासे किए। उमा भारती ने जो कुछ लिखा, वह जस का तस इस प्रकार है–
1. एक सप्ताह पहले मैंने एक चैनल को साक्षात्कार दिया और फिर निरंतर साक्षात्कार चलते रहे।
2. जब मैंने अपने ही विभिन्न उत्तरों पर आत्म चिंतन किया तो मुझे लगा कि दो बातों में, यद्यपि है नहीं किंतु विरोधाभास लग सकता है।
3. दोनों प्रसंग जिनका मैंने उल्लेख किया, दोनों में आडवाणी जी की महानता है। 6 दिसंबर की घटना के तुरंत बाद जब 8 दिसंबर को आडवाणी जी एवं पांच अन्य नेताओं की गिरफ्तारी हुई उनमें से एक मैं भी थी। श्री अशोक जी सिंघल, श्री मुरली मनोहर जोशी जी, श्री विष्णुहरि डालमिया जी, श्री विनय कटियार जी और मैं।
4. हम छह लोग गिरफ्तारी के बाद आगरा की जेल में ले जाए गए, वहां पर सुबह आडवाणी जी 6 दिसंबर की घटना पर एक विज्ञप्ति बनाते हुए रिग्रेट (खेद) लिख रहे थे जिसको मैंने देखा और आपत्ति के बाद आडवाणी जी ने उस कागज को भेजा नहीं और अपनी जेब में डाल लिया।
5. उसी के कुछ दिनों बाद ही जब हम उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले की जिसको जेल का दर्जा प्राप्त था माता टीला रेस्ट हाउस में एक माह के लिए रखे गए तो वहां पर प्रतिदिन सुबह 8:00 बजे एवं शाम को 4:00 बजे लॉन में आडवाणी जी टहलते थे।
6. जिस पर जेल अधिकारियों ने मेरे द्वारा आडवाणी जी तक अपना अनुरोध भेजा कि इस स्थान पर पूर्ण सुरक्षा की व्यवस्था है किंतु बहुत दूर पेड़ से टेलिस्कोप राइफल से आडवाणी जी का जीवन संकट में पड़ सकता है इसीलिए आडवाणी जी शाम को अंधेरे के बाद टहला करें।
7. मैंने जब यह बात आडवाणी जी तक पहुंचाई तो आडवाणी जी का उत्तर अद्वितीय था, उन्होंने मुझसे कहा कि यदि मैं यहां शहीद हो गया तो इस राष्ट्र का राम मंदिर का संकल्प शीघ्र पूरा हो जाएगा यह बात उन्होंने मुझसे अकेले में कही जो एक पिता एवं एक नेता अपनी पुत्री एवं अपने अनुयायी से कह रहा था।
8. यह दोनों बातें विरोध में लग सकती हैं किंतु ऐसा है नहीं। जब आडवाणी जी सोमनाथ से रथ यात्रा लेकर चले तो उनका आह्वान था कि इस विवादास्पद ढांचे को नई टेक्नोलॉजी के द्वारा गिराए बगैर कहीं अन्यत्र शिफ्ट कर दिया जाए।
9. इसके विपरीत जो घटना हुई कि उनकी आंखों के सामने कारसेवकों ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए ढांचा ढहा दिया। आडवाणी जी को शायद इसी का खेद था, वह रामलला जहां विराजमान है वहीं मंदिर चाहते थे।
10. अयोध्या में जो भीड़ मौजूद थी वह रामभक्त, आस्थावान कारसेवक तो थे किंतु उनमें से बहुत सारे लोग हमारे अनुशासित कार्यकर्ता नहीं थे। वह तो किसी भी कीमत पर उस कलंक के ढांचे को गिराने के लिए आतुर थे और ढांचा ढह जाने के कारण ही तो पुरातत्व विभाग खुदाई कर सका, मंदिर होने के सबूत मिले, माननीय कोर्ट ने स्वीकार किया, शिलान्यास हुआ और अब 6 दिसंबर की घटना राम मंदिर का मूल कारण तो बनी ही, एक सबक भी बनी कि जन भावनाएं रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित नहीं होती, यह सबके लिए एक सबक बन गया।
11. मैंने यह इसलिए लिखा कि मैं अब और साक्षात्कार नहीं देना चाहती हूं। मैं तो 22 जनवरी को मेरे देश के, मेरे प्रधानमंत्री को रामलला के यजमान के रूप में रामलला (यानी कि राष्ट्रीय स्वाभिमान, पहचान एवं आत्मसम्मान) की प्राण प्रतिष्ठा को अपनी आंखों से देखूं। इससे अच्छा दिन मेरी जिंदगी में और हो ही नहीं सकता।