संजय गुप्ता, INDORE. राज्य सेवा परीक्षा 2019 की चली पांच साल की लंबी लड़ाई और इंतजार खत्म हो रहा है। मप्र लोक सेवा आयोग ने सभी कानूनी बाधाएं खत्म होने के बाद रिजल्ट को तैयार कर लिया है। अंतिम क्रास चेक जारी है। माना जा रहा है कि इसे मंगलवार देर रात या बुधवार को जारी कर दिया जाएगा। इसके लिए आयोग के अधिकारी-कर्मचारी छुट्टियों के दिन में भी लगातार लगे हुए थे और विधिक चर्चा भी की थी, इसके बाद यह रिजल्ट तैयार हो रहा है।
87 फीसदी पर ही रिजल्ट, 13 फीसदी होल्ड होगा
कुल 571 पदों के लिए साल 2019 में विज्ञप्ति निकली थी और जनवरी 2020 में इसकी प्री हुई थी। मप्र शासन द्वारा सितंबर 2022 में लागू किए गए 87-13 फीसदी के फार्मूले के बाद अब केवल 87 फीसदी का ही अंतिम रिजल्ट जारी होगा और बाकी 13 फीसदी पदों का रिजल्ट लिफाफे में बंद होगा। यह 13 फीसदी के तभी जारी होंगे जब ओबीसी आरक्षण 14 या 27 फीसदी पर कोर्ट का फैसला आएगा। यदि ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने पर मंजूरी मिलती है तो यह बाकी बचे हुए 13 फीसदी पद ओबीसी कैटेगरी के अंतिम चयनित मेरिट होल्डर के पास जाएंगे नहीं तो यह अनारक्षित कैटेगरी के खाते के उम्मीदवारों के पास चले जाएंगे। दोनों ही वर्ग के उम्मीदवारों के नाम मेरिट के आधार पर चयनित होकर लिफाफे में बंद हो जाएंगे।
389 उम्मीदवारों ने अब की मांग हमे दो इच्छा मृत्यु
पांच साल से अंतिम चयन का इंतजार कर रहे उम्मीदवारों ने हाल ही में पीएससी और शासन को पत्र लिखकर कहा था कि बस बहुत हो गया, हमारा रिजल्ट जारी करो या फिर इच्छा मृत्यु का अधिकार हमे दे दो। हम मानसिक, आर्थिक सभी रूप से परेशान हो चुके हैं। अब इंटरव्यू देने वाले 1983 उम्मीदवारों का रिजल्ट जारी हो रहा है, उन्हें तो राहत है। लेकिन वहीं दोबारा घोषित हुए मेंस रिजल्ट में पहले पास हो चुके 389 उम्मीदवारों में भारी हताशा है। अब उनकी ओर से कुछ उम्मीदवारों ने कहा कि यह गलत हो रहा है और अब हमे इच्छामृत्यु का अधिकार दे दिया जाए। हमारे साथ गलत किया जा रहा है।
389 उम्मीदवारों ने यह लिखा सीएम को पत्र
इन 389 उम्मीदवारो की ओर से सीएम को पत्र लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि अंतिम रिजल्ट पर रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट में पांच फरवरी को सुनवाई है। सुनवाई तक रिजल्ट रोका जाना चाहिए। यदि रोक नहीं सकते तो हम सभी को इच्छामृत्यु की मंजूरी दी जाए। पीएससी को निर्देश तकिया जाए कि एशएलपी पर अंतिम फैसला आने तक रिजल्ट नहीं दिया जाए। हम 389 को साक्षात्कार से बाहर नार्मलाइजेशन के गलत प्रयोग के कारण किया गया है। जबकि हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश से हम सब का इंटरव्यू होना चाहिए। उधर कुछ उम्मीदवार हाईकोर्ट के रिट अपील के फैसले के अंतरिम आदेश के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
क्यों बोल रहे 389 उम्मीदवार कि हमारे साथ हुआ गलत
यह 389 उम्मीदवार आयोग द्वारा पूर्व में घोषित मेंस रिजल्ट में पास होकर 1918 उम्मीदवारों मे शामिल थे और इन्हें इंटरव्यू के लिए पात्र घोषित किया गया। लेकिन जब नए सिरे से रिजल्ट बना तो इन्हें फेल घोषित किया गया। हाईकोर्ट में जाने के बाद आयोग को निर्देश हुए कि इनके इंटरव्यू भी कराए जाएं। लेकिन बाद में आयोग विविध मुद्दों को लेकर हाईकोर्ट डबल बेंच में अपील में गया और वहां नार्मलाइजेशन संबंधी आर्डर और 389 उम्मीदवारों के इंटरव्यू वाले आदेश दोनों पर रोक लग गई। इसके बाद आयोग रिजल्ट जारी करने के लिए स्वतंत्र हो गया क्योंकि वह नए रिजल्ट के आधार पर 1983 उम्मीदवारों के इंटरव्यू पहले ही कर चुका था।
हाईकोर्ट के एक आर्डर को यह उम्मीदवार बना रहे आधार
जब अक्टूबर 2022 में आयोग ने संशोधित परीक्षा नियम के निरस्त होने और मप्र शासन द्वारा 87-13 फीसदी का फार्मूला के आधार पर अक्टूबर 2023 में नया रिजल्ट जारी किया तो उन्होंने पुराने मेंस रिजल्ट को जीरो घोषित करते हुए फिर से मेंस कराने की घोषणा की और रिजल्ट प्री का फिर से निकाला। लेकिन 1918 उम्मीदवार जो पहले हो चुकी मेंस में पास हो चुके थे उन्होंने जबलपुर हाईकोर्ट में अपील की और इस पर नंवबर 2022 में फैसला आया कि 1918 की फिर से मेंस की जरूरत नहीं है, वह पास हो चुके हैं, अब प्री के नए सिरे से घोषित रिजल्ट के आधार पर नए सफल घोषित 2711 उम्मीदवारों की स्पेशल मेंस लें और फिर रिजल्ट जारी करें। इस आर्डर के आधार पर ही 389 उम्मीदवारों की मांग है कि हम तो पास ही थे और हाईकोर्ट ने हमे बनाए रखा था।
लंबी है कानूनी लड़ाई
इन सभी हाईकोर्ट के आर्डर और सुप्रीम कोर्ट में लगी एसएलपी पर आयोग के अधिकारियों और विधिक जानकारों के बीच लंबी चर्चाएं हुई। हाईकोर्ट में भी एजी ने यही पक्ष रखा था कि दो स्तर पर जारी रिजल्ट का नार्मलाइजेशन नहीं हो सकता है। दरअसल पीएससी ने जब इस परीक्षा की विज्ञप्ति जारी की तब माइग्रेशन का पुराना परीक्षा नियम ही था, इसके आधार पर आरक्षित कैटेगरी का उम्मीदवार यदि अधिक नंबर लाता है तो वह अनारक्षित कैटेगरी में शिफ्ट हो जाता है। लेकिन जब प्री परीक्षा हो गई, इसके बाद फरवरी 2020 में मप्र शासन ने नया परीक्षा नियम लागू किया जिसके अनुसार ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी किया और साथ ही माइग्रेशन नियम के लिए कर दिया कि यह फाइनल स्तर पर ही लगेगा, यानि आरक्षित कैटेगरी का उम्मीदवार अपनी कैटेगरी में ही बना रहेगा वह माइग्रेट नहीं करेगा। इसके बाद रिजल्ट इसी नियम से आया और फिर मेंस 2019 हो गई और इसका रिजल्ट आ गया, इसमें 1918 उम्मीदवार पास हो गए, जिनके इंटरव्यू होना थे, लेकिन फिर हाईकोर्ट ने संशोधित परीक्षा नियम को गलत माना और इसे खारिज किया। आयोग के विधिक जानकारो के आधार पर फैसला लिया कि जब माइग्रेशन नियम ही बदल गया तो इस नियम के आधार पर प्री में पास हुए और फिर मेंस में पास हुए 1918 का मूल आधार ही खत्म हो गया। इसलिए फिर से मेंस होना चाहिए। इस आधार पर आयोग ने प्री का अक्टूबर 2022 में नया रिजल्ट जारी किया और मेंस फिर से कराने का फैसला लिया। वहीं 1918 उम्मीदवारों के आवेदन पर नवंबर 2022 में हाईकोर्ट ने कहा कि फिर से मेंस की जरूरत नहीं हो नए सिरे से जारी रिजल्ट में जो नए सफल उम्मीदवार है उनकी स्पेशल मेंस कराई जाए और फिर दोनों की लिस्ट मर्ज और नार्मलाइजेशन कर रिजल्ट जारी करें। आयोग ने 2711 की स्पेशल मेंस ली, जिसमें 1400 करीब लोग बैठे और फिर रिजल्ट जारी कर 1983 को इटंरव्य के लिए पात्र माना। इसमें 389 उम्मीदवार जो 1918 में शामिल थे वह बाहर हो गए। इन 389 उम्मीदवारों का अपना दावा है कि हमारे इंटरव्यू होने थे और फिर मेरिट बनना चाहिए थी। उधर आयोग इंटरव्यू दे चुके 1983 उम्मीदवारों का रिजल्ट तैयार कर रहा है।