नीरज सोनी CHATARPUR. रिटायर्ड आईएएस को अपने गांव की मिट्टी याद आई और वे पहुंच गए वहां बच्चों का जीवन संवारने। गौरिहार के खड्डी ग्राम के निवासी रिटायर्ड आईएएस राजा भैया प्रजापति ने अपनी स्कूली शिक्षा ग्रामीण क्षेत्र ली है। इसलिए वे जानते हैं कि यहां पढ़ाई कैसी होती है और कितनी मुश्किल होता है अच्छी शिक्षा पाना। इसी समस्या का समाधान निकालने के लिए उन्होंने यह शुरुआत की।
पढ़ाई का हाल देखा
राजा भैया ने गांव आकर यहां शिक्षा का हाल देखा। उन्हें समझ में आया कि यहां के बच्चे अंग्रेजी में बहुत ही कमजोर हैं। इसके बाद वे बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने लगे। वे दिन में दो बार अंग्रेजी की क्लास लेते हैं, एक सुबह और एक शाम को। उनकी फ्री कोचिंग में 150 बच्चे आते हैं। फिलहाल कोचिंग कहीं भी लग जाती है, किसी मैदान में या किसी पेड़ के नीचे। सरकारी मिडिल स्कूल कोचिंग शुरू किए अभी 1 महीना हो चुका है। स्कूल की बात करें तो यहां इंग्लिश का टीचर नहीं है।
गरीबी में पढ़े और आईएएस बने
राजा भैया की बात करें तो उनकी पढ़ाई ग्रामीण परिवेश में और अभावों में हुई है। उनकी हायर एजुकेशन महाराजा कॉलेज छतरपुर के महाराजा कॉलेज से हुई है। पढ़ाई के दौरान उन्होंने ट्यूशन भी पढ़ाए और तैयारी कर 1985 में राज्य सेवा परीक्षा में सफल हुए। उन्हें 2002 में आईएएस का कैडर मिला। राज्य प्रशासनिक सेवा जॉइन करने से पहले वे तीन साल तक महाराजा कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर भी रहे।
पढ़ाई की नींव मजबूत होनी चाहिए
राजा भैया का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई की नींव अगर मजबूत हो तो वे जीवन में आगे कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन, ग्रामीण शिक्षा में यही नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं हर बच्चा फर्राटेदार अंग्रेजी बोले जिससे उसका भविष्य सुरक्षित हो सके, उनमें कॉन्फिडेंस आए, वे अपने जीवन को संवार सकें।
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