नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में आरटीई के पैसों में गड़बड़ी की शिकायत को लेकर नई व्यवस्था लागू की जा रही है। अब डीपीआई स्कूलों के द्वारा दिए गए अकाउंट नंबर की एक बार जांच करेगा। उसके बाद हमेशा एक ही अकाउंट नंबर में पैसे ट्रांसफर होंगे। आरटीई एक बच्चे के लिए प्रत्येक सत्र में 7 हजार रुपए खर्चता हैं।
गड़बड़ी रोकने नई व्यवस्था
छत्तीसगढ़ में आरटीई प्रत्येक बच्चे के हिसाब से हर सत्र में एक निश्चित राशि प्रदान करता है। इसमें गड़बड़ी की शिकायतें मिलती हैं। ज्यादातर शिकायतें निजी व्यक्ति के खाते और बंद हो चुके निजी स्कूलों को लेकर आती थीं। लेकिन अब यह बंदरबाट का खेल बंद हो जाएगा। आरटीई ने इसके लिए नई व्यवस्था लागू की है। अब स्कूलों को अपना अकाउंट नंबर लोक शिक्षण संचालनालय को जमा करना होगा। इसके बाद डीपीआई इसकी एक बार जांच करेगा। उसके बाद हर साल इसी अकाउंट नंबर में राशि भेजी जाएगी। पहले स्कूलों की सूची डीपीआई द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को भेजी जाती थी। यहां वेरिफिकेशन के बाद फाइल वापस डीपीआई भेजी जाती थी। इसके बाद डीपीआई कार्यालय से पैसे भेजे जाते थे।
एक बच्चे पर हर सत्र में 7 हजार खर्च
आरटीई हर नए सत्र में एक बच्चे पर 7 हजार रुपए खर्च करता है। निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का खर्च भी सरकार उठाती है। इन्ही 7 हजार रुपए से स्कूलों की फीस अदा की जाती है। सत्र 2023–24 के लिए भी प्रवेश पूरे हो चुके हैं। वहीं आरटीई द्वारा प्राइवेट स्कूलों को सत्र 2021–22 में 23 करोड़ रुपए, 2022–23 में 200 करोड़ रुपए लिया जाना शेष है।