JAIPUR. राजस्थान कांग्रेस के दो बड़े नेताओं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच खींचतान को खत्म करने के पार्टी आलाकमान के प्रयासों के बीच मंगलवार को सीएम अशोक गहलोत के ट्वीट ने इस बात के संकेत दिए हैं कि दोनों नेताओं के बीच मामला अब सुलह की ओर बढ़ रहा है।
यह है सीएम गहलोत का ट्वीट
गहलोत ने ट्वीट में कहा है कि राज्य में आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में और पारदर्शिता लाने के लिए मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि राजस्थान लोक सेवा आयोग, कार्मिक विभाग और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड व अन्य हितधारकों के साथ चर्चा कर बेहतर प्रक्रिया तैयार करें। पेपर लीक के खिलाफ बनाए गए कानून में भी अधिकतम सजा का प्रावधान उम्र कैद करने के लिए आगामी विधानसभा सत्र में बिल लाने का फैसला किया है।
राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि RPSC, DOP, RSSB एवं अन्य हितधारकों के साथ चर्चा कर बेहतर प्रक्रिया तैयार करें। पेपर लीक के खिलाफ बनाए गए कानून में भी अधिकतम सजा का प्रावधान उम्रकैद करने के लिए आगामी विधानसभा…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) July 4, 2023
पायलट ने की थी यह मांग
सरकार के खिलाफ अपने उपवास और उसके बाद अजमेर से जयपुर की “आक्रोश यात्रा” की समाप्ति पर पायलट ने की मांग थी कि राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग किया जाए, पेपर लीक से प्रभावित अभ्यर्थियों को मुआवजा दिया जाए और वसुंधरा राजे सरकार के समय हुए घोटालों की जांच कराई जाए।
गहलोत के इस ट्वीट को पायलट द्वारा राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग किए जाने के बारे में उठाई गई मांग से जोड़ा जा रहा है। दरअसल राजस्थान लोक सेवा आयोग एक संवैधानिक संस्था है। इसलिए भंग किया जाना आसान नहीं है। ऐसे में गहलोत द्वारा इस आयोग और भर्ती से जुड़ी अन्य संस्थाओं की कार्य प्रणाली में सुधार के निर्देश को इसी मांग की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है।
यह खबर भी देखें...
राजस्थान में गहलोत सरकार कर रही नकल माफिया पर नकेल की तैयारी, पेपर लीक किया तो होगी उम्रकैद
इसके साथ ही पेपर लीक से प्रभावित अभ्यर्थियों को मुआवजा देने की मांग भी व्यवहारिक नहीं है, लेकिन पेपर लीक मामले में अधिकतम सजा का प्रावधान उम्रकैद किए जाने का संशोधित बिल लाना बेरोजगारों को खुश करने का ही उपाय माना जा रहा है।
पार्टी नेताओ का कहना है कि पायलट ने जो मांगे उठाई थीं, उनको तत्काल पूरा करना सम्भव नहीं था। इसलिए माना यही जा रहा था कि गहलोत मांगों के सम्बन्ध में कोई समिति बना कर मामले को शांत करेंगे और अब गहलोत ने कुछ ऐसा ही करने का प्रयास किया है। हालांकि वसुंधरा राजे के कार्यकाल के भ्रष्टाचार की जांच की मांग सबसे बड़ी है और यह देखना दिलचस्प होगा कि गहलोत उस पर क्या फैसला लेते हैं।
आलाकमान जुटा है विवाद निपटाने में
गौरतलब है कि पार्टी आलाकमान गहलोत और पायलट के बीच विवाद को शांत करने के प्रयासों में जुटा हुआ है। इस बारे में जुलाई की शुरुआत में बैठक होनी थी, लेकिन गहलोत के पैरों में चोट के कारण यह टल गई। बताया जा रहा है कि मौजूदा सप्ताह के अंत तक पार्टी कुछ ना कुछ फैसला कर लेगी। गहलोत के ट्वीट से भी इस बात के संकेत मिले हैं।