Jaipur. राजस्थान मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किए गए राजेंद्र सिंह गुढ़ा अपने बयानों में जिन धर्मेंद्र राठौड़ का जिक्र कर रही है वे राजस्थान की मौजूदा राजनीति का अहम किरदार हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने मौजूदा कार्यकाल में जिस तरह के राजनीतिक संकटों का सामना किया है उनसे पार पाने में धर्मेंद्र राठौड़ की अहम भूमिका रही है। उन्होंने साढ़े 4 साल में गहलोत पर आए सभी तरह के राजनीतिक संकटों में राठौड़ ने संकटमोचक की भूमिका निभाई है।
जुलाई 2020 के संकट के समय पड़े थे छापे
जुलाई 2020 में जब सचिन पायलट अपने विधायकों को लेकर मानेसर चले गए थे और गहलोत सरकार पर सबसे बड़ा सियासी संकट आया था उस समय सरकार को बचाने में धर्मेंद्र राठौड़ की अहम भूमिका रही थी। गहलोत के समर्थन में विधायकों को एकजुट रखने में उन्होंने साम दाम दंड भेद हर तरह की नीति का सहारा लिया था। इस संकट के समय ही आयकर विभाग ने धर्मेंद्र राठौड़ के ठिकानों पर छापेमारी की थी। 13 जुलाई 2020 को धर्मेंद्र राठौर और गहलोत के दूसरे नजदीकी लेता राजीव अरोड़ा के ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापे मारे थे।
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छापेमारी में आयकर विभाग के 200 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे। राठौड़ और अरोड़ा के करीब 24 ठिकानों पर जांच की गई थी। छापेमारी की सूचना स्थानीय पुलिस को नहीं दी गई थी। आयकर विभाग की टीम के साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के सिपाही भी थे। वहीं गहलोत के बेटे वैभव के बिजनेस पार्टनर रविकांत शर्मा के घर पर प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने छापा मारा था। ये तीनों ही लोग आर्थिक रूप से बहुत मजबूत हैं और तब कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि हमें डराने के लिए ये छापेमारी की गई है।
गौरतलब है कि राजेंद्र गुहा धर्मेंद्र राठौर के यहां पड़े इसी छापे का जिक्र करते हुए कह रहे हैं की वे केंद्रीय सुरक्षाबलों के डेढ़ सौ जवानों की मौजूदगी में वह लाल डायरी निकाल कर के ले आए थे जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए बहुत बड़े संकट का कारण बन सकती थी। हालांकि गुड़ा के बयान यह सवाल भी उठता है कि आखिर आयकर छापों के दौरान वे किस तरह यह डायरी निकालकर लाए और आयकर विभाग तथा केंद्रीय जांच एजेंसियों ने अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?
गहलोत के लिए अनुशासनहीनता का नोटिस भी झेला
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रति धर्मेंद्र राठौड़ की वफादारी का आलम यह है कि 25 सितंबर 2022 को जब कांग्रेस के विधायकों ने पार्टी आलाकमान की ओर से बुलाई गई विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया और अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सौंप दिए उस प्रकरण में भी धर्मेंद्र राठौड़ की अहम भूमिका थी। सरकार के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल और मुख्य सचेतक व जलदाय मंत्री महेश जोशी के साथ पार्टी आलाकमान ने धर्मेंद्र राठौर को भी अनुशासनहीनता का नोटिस थमाया था।
इसके अलावा राज्यसभा चुनाव में जब पार्टी आलाकमान ने तीनों प्रत्याशी राजस्थान से बाहर के भेज दिए और गहलोत पर उन्हें जिताकर राज्यसभा भेजने की जिम्मेदारी डाल दी उस समय भी पार्टी के पक्ष में जरूरी वोट एकत्र करने में भी राठौड़ ने अहम भूमिका निभाई थी।
लंबे समय से है साथ
धर्मेंद्र राठौड़ अलवर जिले के बानसूर तहसील के बिलारी गांव के रहने वाले हैं और पेशे से होटल कारोबारी है। गहलोत से उनका नाता बहुत पुराना बताया जाता है। गहलोत के पिछले कार्यकाल में वे बीज निगम के अध्यक्ष बनाए गए थे और उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था। इस बार गहलोत ने उन्हें राजस्थान पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष बनाया है। नेताओं को मैनेज करने में उन्हें महारत हासिल है और इसीलिए वे गहलोत के सबसे नजदीकी नेताओं में माने जाते हैं। इस बार के चुनाव में अजमेर जिले की किसी भी एक सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसमें पुष्कर की संभावना सबसे ज्यादा बताई जा रही है हालंकि वहा उन्हें कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ का विरोध झेलना पड़ रहा है