Damoh. 29 जून को केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने दमोह पुलिस की सेवाएं नहीं लेने का बयान दिया था। दरअसल वे एक सुसाइड केस में बीजेपी पार्षद और कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज किए जाने से खफा थे। प्रहलाद पटेल की नाराजगी को देखते हुए गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मामले की सीआईडी जांच के निर्देश दे दिए। उधर कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बीजेपी और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को आड़े हाथों ले लिया है।
यह है मामला
दमोह में एक राशन दुकान के सेल्समेन विक्रम रोहित ने अपनी राशन दुकान में सुसाइड कर लिया था। उसने दो पेज का एक सुसाइड नोट भी छोड़ा था, जिसमें उसने नगर पालिका सांसद प्रतिनिधि यशपाल ठाकुर, बीजेपी नेता मोंटी रैकवार, नरेंद्र परिहार और नरेंद्र सूर्यवंशी पर प्रताड़ना के आरोप लगाए थे। सुसाइड नोट में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल का भी नाम लिखा है। लिखा था कि ये सभी लोग मंत्री के नाम से मानसिक प्रताड़ित कर रहे थे और राशन दुकान छीनने का प्रयास कर रहे थे। विक्रम की मौत के बाद गुस्साए परिजनों ने चक्काजाम कर दिया और पुलिस पर एफआईआर दर्ज कराने दबाव बनाया। पुलिस ने समझाइश दी कि मर्ग जांच के बाद ही एफआईआर हो सकती है। इस पर लिखित आश्वासन की मांग हुई, पुलिस ने आश्वासन देने के बाद चक्काजाम किसी तरह खुलवाया था।
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पुलिस ने दर्ज कर ली एफआईआर
घटना के 2 दिन बाद पुलिस ने यशपाल ठाकुर, मोंटी रैकवार, नरेंद्र परिहार और नरेंद्र सूर्यवंशी पर धारा 306 के तहत मामला दर्ज कर लिया। जिसके बाद इन लोगों के समर्थन में कुछ लोग केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के पास जा पहुंचे। पुलिस की इस कार्रवाई पर केंद्रीय मंत्री भड़क उठे और दमोह पुलिस की कार्रवाई को जल्दबाजी भरा निर्णय बताते हुए सुरक्षा लेने से मना कर दिया।
पुलिस कार्रवाई में निकाली खामियां
प्रहलाद पटेल ने कहा कि यशपाल ठाकुर बेगुनाह है। दबाव में आकर पुलिस ने यह कार्रवाई की है। हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से बगैर सुसाइड नोट की जांच कराए मामला दर्ज कर लिया गया। उन्होंने कहा कि सुसाइड नोट पर तो मेरा भी नाम है, फिर मुझ पर भी मुकदमा दर्ज होना चाहिए था, मैं हर कीमत पर अपने लोगों के साथ हूं। मामले की बारीकी से जांच होनी चाहिए थी, जब तक मेरे कार्यकर्ताओं को न्याय नहीं मिल जाता, दमोह पुलिस की कोई भी सेवाएं नहीं लूंगा।
केके मिश्रा ने ट्वीट कर साधा निशाना
इधर इस मामले में कांग्रेस भी कूद पड़ी है, कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने ट्वीट कर निशाना साधा है। केके मिश्रा ने लिखा कि ‘ यही है नरेंद्र मोदी जी का समान नागरिक कानून। भारतीय न्याय व्यवस्था में किसी भी व्यक्ति का मृत्यु पूर्व बयान अथवा सुसाइड नोट, एक महत्वपूर्ण साक्ष्य माना गया है। उसी के अनुरूप न्याय होता है, किंतु संविधान की रक्षा की शपथ लेने वाले केंद्रीय मंत्री श्री प्रहलाद पटेल का कानून कुछ और है? दमोह में राशन दुकान संचालक ने सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली, कथित आरोपियों के खिलाफ उसी आधार पर पुलिस ने कार्रवाई की, मंत्री जी को अपने चहेतों पर हुई यह कार्रवाई अनुचित लगी। बेचारी पुलिस क्या करे? राष्ट्रभक्त बने या राष्ट्रद्रोही? इंदौर में बजरंगियों पर हुए लाठीचार्ज के बाद भी पुलिस को अपने सम्मान के लिए सोशल मीडिया पर अपनी आवाज उठानी पड़ी थी?