मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में नई नवेली बीजेपी सरकार को सत्ता में आने के साथ ही बड़ा झटका लगा है। राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की श्रीकरनपुर सीट का स्थगित किया गया चुनाव कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी रूपिंदर सिंह कुन्नर जीत गए हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को 11261 वोटों से हराया है। भारतीय जनता पार्टी की नई सरकार के लिए यह बड़ा झटका इस मायने में है कि पार्टी ने नया प्रयोग करते हुए सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को प्रत्याशी रहते हुए ही मंत्री पद की शपथ दिला दी थी और उन्हें कृषि विपणन और इंदिरा गांधी नहर जैसे विभाग दे दिए थे। वहीं कांग्रेस ने यहां सहानुभूति कार्ड खेलते हुए पहले प्रत्याशी बनाए गए गुरमीत सिंह कुन्नर के पुत्र रूपिंदर सिंह कुन्नर को चुनाव मैदान में उतारा था। अब नजर इस बात पर है कि टीटी इस्तीफा देते हैं या नहीं क्योंकि अभी भी वे 6 माह मंत्री बने रह सकते हैं।
ट्रेंड बदला, कांग्रेस का सहानुभूति कार्ड चला
श्री करनपुर सीट आमतौर पर सत्ता के साथ जाने वाली सीट मानी जाती है और यहां से आमतौर पर उसी पार्टी के विधायक जीत रहे हैं जिनकी प्रदेश में सरकार होती है, लेकिन इस बार यहां ट्रेंड बदल गया है और कांग्रेस की ओर से खेला गया सहानुभूति कार्ड एक बार फिर काम कर गया है। कांग्रेस प्रत्याशी पहले राउंड में तो पीछे रहे, लेकिन उसके बाद हर राउंड में उनके बढ़त लगातार बढ़ती चली गई और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को आखिर हार का सामना करना पड़ा।
रूपिंदर के पिता ने पहले ही बेटे को टिकट देने की कही थी बात
चुनाव से पहले गुरमीत सिंह कुन्नर, जो यहां विधायक थे। उन्होंने कांग्रेस पार्टी से कहा भी था कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए मेरे बेटे रूपिंदर सिंह को टिकट दे दिया जाए, लेकिन पार्टी ने उनकी बात नहीं मानी और गुरमीत सिंह को ही प्रत्याशी बना दिया। नामांकन प्रक्रिया के बाद तबीयत खराब होने के चलते गुरमीत सिंह का निधन हो गया और इस सीट का चुनाव स्थगित करना पड़ा। बाद में कांग्रेस ने रूपिंदर सिंह को ही प्रत्याशी बनाया।
टीटी को मंत्री बनाने का नहीं चला दांव
कांग्रेस के इस सहानुभूति कार्ड की काट के लिए भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा दांव खेला और अपने प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को राज्य मंत्री की शपथ दिलवा दी। विभागों के बंटवारे में उन्हें कृषि विपणन राज्य मंत्री भी बना दिया विभागों के बंटवारे में उन्हें कृषि विपणन, इंदिरा गांधी नहर योजना और अल्पसंख्यक कल्याण जैसे विभाग भी दे दिए। पार्टी को उम्मीद थी कि मंत्री बनाए जाने के बाद यहां की जनता का पूरा समर्थन भारतीय जनता पार्टी को मिल जाएगा, लेकिन करणपुर की जनता ने कांग्रेस के सहानुभूति कार्ड पर मोहर लगाई और भाजपा को सरकार बनते ही एक बड़ा झटका दे दिया।्र
दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं ने किया था कैंपेन
सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री बजाए जाने के कारण यह चुनाव एक सामान्य चुनाव से बेहद खास चुनाव बन गया था और यही कारण था कि कांग्रेस और भाजपा दोनों के ही बड़े नेताओं ने यहां कैंपेन किया था। कांग्रेस की ओर से पार्टी के सभी बड़े नेता जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और गोविंद सिंह डोटासरा ने यहां लगातार कैंपेन किया। वहीं भाजपा की बात की जाए तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित पार्टी के सभी बड़े नेता यहां सभाएं करने पहुंचे थे।
क्या टीटी इस्तीफा देंगे
चुनाव परिणाम के बाद अब नजर इस बात पर है कि क्या सुरेंद्र पाल सिंह टीटी मंत्री पद से इस्तीफा देंगे। नियम अनुसार वे अभी छह माह तक मंत्री बने रह सकते हैं और इस दौरान एक बार फिर चुनाव लड़कर विधायक बन सकते हैं, लेकिन अब सभी 200 सीटों पर चुनाव हो चुका है और उन्हें चुनाव लड़ने के लिए पार्टी को अपने किसी एक विधायक की सीट खाली करवानी होगी, जिसकी संभावना बहुत कम है। यदि सुरेंद्र पाल सिंह टीटी इस्तीफा देते हैं तो भजनलाल सरकार के 25 सदस्य मंत्रिमंडल में एक मंत्री काम हो जाएगा और उनके विभाग या तो दूसरे मंत्रियों को देने होंगे या किसी नए विधायक के मंत्री बनने की संभावना बनेगी।
लोकसभा चुनाव के हिसाब से बड़ी जीत
कांग्रेस की इस जीत से राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी सरकार को कोई खतरा नहीं है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही दलों को 3 महीने बाद ही लोकसभा चुनाव के लिए जाना है और इससे पहले कांग्रेस के लिए यह जीत एक बड़ा संबल बनेगी।
गहलोत, डोटासरा ने दी बधाई, जोशी ने हार स्वीकारी
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने रुपिंदर सिंह कुन्नर को जीत की बधाई दे दी है। गोविंद सिंह डोटासरा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि भारतीय जनता पार्टी की पर्ची सरकार हमारी योजनाएं बदलती रही उधर जनता ने इनका मंत्री ही बदल दिया। वहीं राजस्थान भाजपा ने भी हार मान ली है। प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि हार के कारणों की समीक्षा करेंगे।
इन फैक्टर्स ने किया काम
- सहानुभूति फैक्टर: कांग्रेस को यहां ग्रामीण क्षेत्रों से काफी वोट मिले हैं। कुन्नर की मां प्रचार में काफी सक्रिय रहीं और उन्होंने झोली फैलाकर अपने बेटे के लिए वोट मांगे। इसका सीधा फायदा कुन्नर को मिला।
- किसान आंदोलन: देश में 2000 पहले हुए किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर राजस्थान में गंगानगर और इससे लगते हुए जिलों में ही देखने में आया था। यहां उसे समय भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ मारपीट तक की घटनाएं देखने मे आई थी। इसके अलावा पंजाब से लगता हुआ इलाका होने के कारण यहां आम आदमी पार्टी का असर भी ठीक-ठाक है। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार पृथपाल सिंह ने यहां लगभग 12000 वोट हासिल किए हैं और यह माना जा सकता है कि बीजेपी के प्रत्याशियों को हराने में आम आदमी पार्टी ने अहम भूमिका निभाई है।
बीजेपी नेता का बयान
विधानसभा चुनावों के दौरान अलवर में बीजेपी नेता संदीप दायमा का विवादित बयान भी हार की वजह माना जा रहा है। उन्होंने तिजारा में हुई सभा के दौरान मस्जिद और गुरुद्वारों को तोड़ने की बात कह दी थी। इसके बाद बीजेपी ने उन पर एक्शन लेते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता तो दिखा दिया था।