BHOPAL. प्रदेश की राजधानी भोपाल में आम लोगों के लिए परेशानी की वजह बन चुके बीआरटीएस कॉरिडोर को खत्म किया जाएगा। इसकी जगह 6 लेन बनाई जाएगी। इसके चौड़ीकरण पर 26 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में हुई बैठक में भोपाल में बीआरटीएस को हटाने पर सहमति बनी। मीटिंग में बीआरटीएस के कारण यातायात में उत्पन्न हो रही विभिन्न परेशानियों पर विस्तृत चर्चा हुई। इसके बाद बीआरटीएस हटाने पर सहमति बनी। बीआरटीएस शिवराज सिंह चौहान की सरकार का फैसला था।
कई फेज में हटेगा
सीएम की मीटिंग में राजधानी में बीआरटीएस की लंबाई के अलग-अलग हिस्सों को चरणबद्ध रूप से हटाने एवं सड़क के समतलीकरण एवं सुगम यातायात के अनुकूल मार्ग के विकास के कार्यों की योजना पर भी बातचीत हुई। इस बैठक के साथ ही लोक निर्माण विभाग द्वारा लेक कॉरीडोर के प्रस्ताव पर भी बात हुई।
बनेगा सेंट्रल रोड डिवाइडर
प्रदेश की राजधानी भोपाल में आम लोगों के लिए परेशानी की वजह बन चुके बीआरटीएस कॉरिडोर के चौड़ीकरण पर 26 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। इस 6 लेन रोड के बीच एक सेंट्रल डिवाइडर भी होगा। यह राशि किस विभाग की ओर से खर्च की जाएगी, इस पर मुख्य सचिव वीरा राणा 30 तारीख को मीटिंग करेंगी।
राणा दिल्ली से लौटकर लेंगी मीटिंग
एमपी की मुख्य सचिव वीरा राणा दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी की कॉनफ्रेंस में शामिल होने तीन दिन वहां रहेंगी। पीएम की देशभर के मुख्य सचिव के साथ कॉनफ्रेंस है। यह कार्यक्रम 27 से 29 दिसंबर तक है। इसके बाद राणा भोपाल आने पर बीआरटीएस को लेकर मीटिंग करेंगी।
जानें BRTS कॉरिडोर को लेकर विस्तार से सबकुछ-
वर्ष 2009-10 में मिसरोद से बैरागढ़ तक लगभग 24 किमी लंबा बीआरटीएस कॉरिडोर बनाया गया था। तब इस पर 360 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
बीसीएलएल और नगर निगम ने 13 साल में कॉरिडोर के रख रखाव पर लाखों रुपए खर्च किए। बावजूद कॉरिडोर से गुजरने वाले लाखों लोगों के लिए यह मुसीबत बना है।
इसी कॉरिडोर पर सरकार के ही मंत्रियों ने सवाल उठाए थे और रिव्यू करने की बात कही थी।
ये मंत्री और नेता उठा चुके आपत्ति
पिछले साल हबीबगंज अंडरब्रिज के लोकार्पण के दौरान तत्कालीन प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने इस कॉन्सेप्ट को ही गलत बताया था। वहीं, मंत्री विश्वास सारंग ने इसे उखाड़ फेंकने की बात कही थी। विधायक रामेश्वर शर्मा, कृष्णा गौर ने भी कॉरिडोर को लेकर आपत्ति की थी।
कॉरिडोर की खासियतें और कमियां...
एक्सपर्ट की माने तो बीआरटीएस कॉरिडोर की अच्छी बातें भी हैं। जैसे 24 किमी में सड़क की चौड़ाई बढ़ गई। अतिक्रमण हटे और ब्रिज बने। बीआरटीएस नहीं होता तो शायद यह आसान नहीं रहता, लेकिन सिस्टम में कमजोरी ने परेशानी बढ़ाए रखी।
कॉरिडोर से सिर्फ सिटी बसें ही गुजर रही हैं। दूसरी गाड़ियां नहीं निकल पाई। इस कारण दोनों ओर वाहनों के जाम की स्थिति बन रही है। यदि मिनी बसें या अन्य गाड़ियां कनेक्ट होती तो जाम की स्थिति नहीं बनती।
इन्हीं कारणों की वजह से दिल्ली से भी कॉरिडोर हट चुका है। कॉरिडोर हटा तो दोनों ओर एक-एक लेन मिल जाएगी। इससे ट्रैफिक का मूवमेंट ठीक होगा, लेकिन इसे हटाने के बाद बसों के लिए भी सिस्टम क्रिएट करना पड़ेगा। ताकि, पब्लिक ट्रांसपोर्ट को यूज करने के लिए भी सुविधा देना पड़ेगा।
रोड सेफ्टी पर भी ध्यान देना पड़ेगा। बस स्टॉप भी बनाने होंगे। ताकि, बसों के ठहराव के साथ दिव्यांग और सीनियर सिटीजन के लिए व्यवस्था जुटाई जा सके। इसे हटाने के बाद बेहतर नॉन बीआरटीएस सिस्टम देना होगा।
4 साल पहले हुआ था रिव्यू
वर्ष 2019 में भी बीआरटीएस को हटाने को लेकर मामला सुर्खियों में रहा था। तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने बीआरटीएस कॉरिडोर के प्रेजेंटेशन को भी देखा था। रिव्यू भी किया गया था। बाद में सरकार चली गई और कॉरिडोर को लेकर कोई बात नहीं हुई। 2022 में मंत्री सिंह और सारंग समेत अन्य जनप्रतिनिधियों ने फिर से सवाल उठाए थे।
200 से ज्यादा बसें दौड़ रही
बीआरटीएस कॉरिडोर से अभी 200 से ज्यादा सिटी बसें दौड़ रही हैं। जिसमें हर रोज सवा लाख लोग यात्रा करते हैं। इसमें से आधी बसें कॉरिडोर से होकर गुजरती है।