सरगुजा में इच्छा मृत्यु की मांग लेकर तहसील पहुंची महिलाएं, पति की मौत के 10 साल बाद भी नहीं मिला मुआवजा, बोली- अब नहीं जीना चाहते

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Shivam Dubey
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सरगुजा में इच्छा मृत्यु की मांग लेकर तहसील पहुंची महिलाएं, पति की मौत के 10 साल बाद भी नहीं मिला मुआवजा, बोली- अब नहीं जीना चाहते

नितिन मिश्रा, SURGUJA. सरगुजा में  दो महिलाओं ने इच्छा मृत्यु की मांग जाहिर की है। सड़क दुर्घटना में पति की मौत के लगभग 10 साल होने के बाद भी मुआवजा की रकम नहीं मिली। बेटी को पढ़ाने और घर चलाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। मृतक की पत्नी का कहना है कि जीवन यापन करना बहुत मुश्किल हो गया है इसलिए अब जीना नहीं चाहते हैं। 



क्या है मामला 



जानकारी के मुताबिक पोडी गांव की लखनपुर तहसील के अन्तर्गत रहने वाली पन्मेश्वरी रजवाड़े और ललिता रजवाड़े ने इच्छा मृत्यु के लिए तहसीलदार को आवेदन दिया है। दरअसल 2014 के एक सड़क हादसे में ट्रैक्टर से श्री चंद रजवाड़े और गोपाल रजवाड़े  की मौत हो गई थी। ट्रैक्टर मालिक को न्यायालय ने 5 लाख 32 हज़ार रुपए प्रत्येक परिवार को देने को आदेशित किया था। लेकिन हादसे को 9 साल हो गए और अभी तक मुआवज़े की राशि मृतक के परिवारों को नहीं मिल पाई है। दोनों महिलाओं ने मुआवजा देने के लिए 1 महीने का समय दिया है। नहीं मिलने पर इच्छा मृत्यु के स्वीकार करने की मांग की है। 



महिलाओं ने लगाए हैं ये आरोप



पीड़ित महिलाओं ने ट्रैक्टर मलिक नवरतन रजवाड़े के ऊपर आरोप लगाया है कि मुआवजा देने से बचने के लिए उसने अपनी जमीन अपने जीजा के नाम से रजिस्ट्री करवा दी। उसके बाद उस जमीन को बेंच दिया। इसमें नायब तहसीलदार और पटवारी की मिलीभगत है। ज़िला कलेक्टर ने तहसीलदार को कुडकी जप्ति के लिए आदेश दिया था लेकिन तहसीलदार द्वारा भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। 



मुख्यमंत्री से की इच्छा मृत्यु की मांग 



महिलाओं ने आवेदन में लिखा है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मांग की जाती है कि मुआवजा की राशि येएक महीने के अंदर दिलवाएं। एक महीने के अंदर राशि नहीं मिलने पर तहसीलदार के कार्यालय के बाहर न्याय ना मिलने की स्थिति में पूरे परिवार को इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान करें।


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