संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर हाईकोर्ट रिटायर जज की अध्यक्षता में बनी कमेटी के सामने शुक्रवार को फिनिक्स के साथ ही कालिंदी गोल्ड के मामले सुने गए। फिनिक्स में संदीप तेल (जिनकी विजयनगर चौराहे पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी) के भाई प्रदीप अग्रवाल की भी जमीन है।
प्लॉट मिलने का रास्ता मुश्किल भरा हो गया है
इस जमीन को पहले अग्रवाल ने प्रशासन को सौंपने पर सहमति दे दी थी, जिससे कि 23 प्लाटधारकों को प्लाट मिल जाते लेकिन अब अग्रवाल ने जमीन देने से साफ इंकार कर दिया। कमेटी के सामने चंपू अजमेरा और प्रदीप अग्रवाल के बीच बहस हुई और अग्रवाल ने साफ बोल दिया कि यह मेरा निवेश है, इसके लिए भुगतान किया है तो फिर मैं यह दूसरों को कैसे दे दूं। इसके बाद फिनिक्स में बाकी बचे हुए प्लॉटधारकों के लिए प्लॉट मिलने का रास्ता मुश्किल भरा हो गया है।
इधर डायरियों को खारिज करने में जुटे भूमाफिया
उधर कालिंदी गोल्ड को लेकर भी मामले में सुनवाई हुई। इसमें कमेटी के सामने पीड़ित और भूमाफिया व उनके वकील रहे। इसमें मुख्य उलझन डायरियों की आ रही है, भूमाफियाओं ने कालिंदी गोल्ड में चलने वाली कई डायरियों को मानने से इंकार कर दिया है और इन्हें नकली बताया गया है। इसे लेकर कई पीड़ितों और भूमाफियाओं के बीच में लंबी बहस भी चली और कहा गया कि जब साल 2021 में जिला प्रशासन की कमेटी सुनवाई कर रही थी, तब यह शिकायत ली गई थी और तब भूमाफियाओं ने भी इन्हें नकली नहीं माना था, लेकिन अब भुगतान की बात आई तो मना किया जा रहा है कि यह नकली डायरियां हैं। सबूत हम पीड़ितों से मांगा जा रहा है कि यह नकली है, लेकिन भूमाफिया सबूत देकर बताएं कि यह नकली कैसे हैं? इस पर कमेटी ने सभी पक्षों से लिखित में जवाब मांगा है। लेकिन वहीं कंपनी से जुडे एक व्यक्ति निकुल कपासी मान चुके हैं कि डायरियों पर यह साइन हमारी ही है, ऐसे में भूमाफियाओं का यह दावा कमेटी के सामने फेल होने की संभावना अधिक है।
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भारी लग रहा है 12% ब्याज, भूमाफियाओं का देने की मंशा नहीं
उधर भूमाफियाओं को हाईकोर्ट कमेटी द्वारा 12 फीसदी का तय किया गया ब्याज भारी लग रहा है। इसके पहले कमेटी ने 6.6 फीसदी का ब्याज दर देना तय किया था जो भूमाफियाओं के छह फीसदी ब्याज देने के प्रस्ताव पर आधारित था, लेकिन जब कमेटी के सामने सभी बातें आई और द सूत्र की न्यूज आई कि रेरा एक्ट में लैंडिंग रेट पर दो फीसदी की दर से ब्याज के भुगतान के आदेश होते हैं, इसके बाद कमेटी ने भी यह दर 12 फीसदी तय कर दी। इसके बाद से ही भूमाफियाओं को पीड़ितों को राशि लौटाना भारी लग रहा है और वह राशि देने से इंकार करने लगे हैं या फिर उनके किए भुगतान को कम बताकर राशि लौटाने की बात कह रहे हैं।