Damoh. बीते 10 दिनों से चर्चाओं में छाए दमोह के गंगा जमना स्कूल पर बच्चों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करने के आरोप पर आरोप लगते ही जा रहे हैं। ताजा खुलासा राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने किया है, उन्होंने बताया कि आयोग की टीम ने जब स्कूल की जांच की तो पता चला कि इस स्कूल पर डीईओ जरूरत से ज्यादा ही मेहरबान थे। उन्होंने बताया कि हिंदूवादी संगठन 2 साल पहले भी स्कूल की शिकायत कलेक्टर से की थी, लेकिन स्कूली शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने उस शिकायत को दबा दिया। 14 सितंबर 2021 को की गई शिकायत में लगभग-लगभग वे ही आरोप थे जो हाल के दिनों में सामने आए हैं।
मान्यता निलंबन पर भी जाहिर किया शक
प्रियंक कानूनगो ने प्रशासन द्वारा स्कूल पर की गई मान्यता रद्द करने की कार्रवाई पर भी संदेह जताया है। उन्होंने कहा कि स्कूल में इतनी गंभीर गतिविधियां संचालित की जा रही थीं। जबकि मान्यता खत्म करने के पीछे महज इंफ्रास्ट्रक्चर और लैब की कमी का हवाला देते हुए मान्यता निलंबित की गई है। जो कि जल्द ही आसानी से बहाल भी हो जाएगी। कानूनगो ने इस पूरे घटनाक्रम में डीईओ और डीपीआई की भूमिका पर संहेद व्यक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि अपनी ज्वाइनिंग के 15 दिन बाद ही इसी डीईओ ने स्कूल की जांच की थी।
- यह भी पढ़ें
हिंदू बच्चों ने भी पढ़कर सुनाया कलमा
एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि आयोग की जांच में यह पाया गया है कि स्कूल का गेटकीपर गुड्डू खान हिजाब न पहनने वाली छात्राओं को स्कूल गेट से ही वापस कर देता था। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि स्कूल में फाइव पिलर्स ऑफ इस्लाम बच्चों को पढ़ाया जा रहा था, कई हिंदू बच्चों ने टीम को कलमा भी पढ़कर सुनाया। यह पूरी तरह से बच्चों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करना माना जाएगा। ऐसे में स्कूल की मान्यता हमेशा के लिए रद्द की जानी चाहिए।
एसजीएसटी ने मारे कई ठिकानों पर छापे
इधर दमोह में गंगा जमना स्कूल और उससे जुड़े प्रतिष्ठानों पर आज एसजीएसटी ने छापे डाले हैं। संस्था से जुड़ी फर्मों, उनके कारोबार संबंधी दस्तावेज बड़ी मात्रा में जब्त किए गए हैं। जीएसटी के अधिकारी अब इन दस्तावेजों की गहन छानबीन करेंगे। बता दें कि संस्था से जुड़ी फर्मों का व्यापक कारोबार है और इसकी मिल से बनने वाली दाल अरब देशों में निर्यात की जाती है। जीएसटी की चोरी के शक में विभाग ने यह कार्रवाई की है।
असदउद्दीन ओवैसी ने भी मारी एंट्री
दूसरी तरफ अब इस मामले में एमआईएमआईएम के नेता असदउद्दीन ओवैसी ने भी एंट्री मार दी है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के दमोह में एक स्कूल है, जिसने प्रचार किया कि हमारी बच्चियां अच्छे नंबर से पास हुईं। बच्चियों ने स्कार्फ पहना था। सीएम ने कहा हम अपनी भांजियों को जबरन हिजाब नहीं पहनाने देंगे। उस स्कूल पर कार्रवाई कर दी गई। जबकि कलेक्टर हो, एसपी हो या डीईओ सब कह रहे थे ऐसा कुछ नहीं हैं। फिर वहां डीईओ पर स्याही फेंक दी गई, आरोप लगाया कि तुमने गलत रिपोर्ट दे दी।
इधर ओवैसी के बयान पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार किया है, उन्होंने कहा कि मप्र में धर्मांतरण का कुचक्र नहीं चलने दिया जाएगा। ओवैसी को साक्षी पर बोलते तो कभी नहीं सुना, दमोह पर बड़ी लंबी तकरीरें कर रहे हैं। साक्षी और श्रद्धा तकरीर नहीं की। उनकी यही मानसिकता जिहादी कहलाती है। दमोह में पासपोर्ट की जांच के आदेश दे दिए गए हैं, स्कूल से जुड़े लोग कब-कब विदेश गए इसकी जांच की जाएगी।
धर्मांतरण करने वाली टीचर्स की भी हो रही जांच
इधर स्कूल में पढ़ाने वाली 3 कन्वर्टेड टीचर्स के मामले की भी जांच एनसीपीसीआर कर रहा है। बताया जा रहा है कि तीनों टीचर्स के मायके वालों का कहना है कि वे उनके लिए मर चुकी हैं। मायके पक्ष का कहना है कि उनके कारण उन्हें समाज में काफी बदनामी झेलनी पड़ी।