निशा बांगरे ने जिस घर के उद्घाटन का हवाला दिया था, वह अभी निर्माणाधीन, बोलीं-अब हर घर अफसर का मिशन; आमला से लड़ सकती हैं चुनाव

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Chandresh Sharma
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निशा बांगरे ने जिस घर के उद्घाटन का हवाला दिया था, वह अभी निर्माणाधीन, बोलीं-अब हर घर अफसर का मिशन; आमला से लड़ सकती हैं चुनाव

Betul. मानसिक प्रताड़ना और घर के उद्घाटन में न जाने देने का हवाला देकर नौकरी से इस्तीफा देने वाली डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे सुर्खियों में हैं। इधर बैतूल के आमला में निशा का वह घर जिसके उद्घाटन में शामिल न होने देने का हवाला उन्होंने दिया था, वह अब भी निर्माणाधीन है, उधर जिस सर्वधर्म शांति सम्मेलन का उन्होंने हवाला दिया था, उसके संयोजक उनके पति सुरेश अग्रवाल ही हैं। इस कार्यक्रम में थाइलैंड से तथागत बुद्ध की अस्थियां लेकर बौद्ध भिक्षु आने वाले थे। कुल मिलाकर कहानी यही सामने आ रही है कि निशा बांगरे आमला की जमीन से अपनी सियासी बिसात बिछाने की तैयारी में हैं। 





संविधान को साक्षी मानक की थी शादी





डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया था, उस दौरान भी वे चर्चा का केंद्र रहीं और अब इस्तीफा देने के बाद भी चर्चाओं में हैं। आमला में हर 20 मीटर की दूरी पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के बैनरों में उनकी फोटो लगी है, जिसमें उनका पद अजाक्स प्रदेश उपाध्यक्ष लिखा हुआ है। इस्तीफा देने से पहले वे चाइल्ड केयर लीव पर थीं। वे पिछले कई दिनों से सम्मेलन के प्रचार में व्यस्त थीं। जिस मकान के उद्घाटन का उन्होंने जिक्र किया था उसमें न फर्श बना है, ना रंगरोगन हुआ है और न ही दरवाजे खिड़कियां लग पाए हैं। 





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प्रशासन ने सम्मेलन की नहीं दी अनुमति





आमला में निशा के घर के सामने बने मैदान में ही सम्मेलन की तैयारियां चल रही हैं, हालांकि बैतूल कलेक्टर ने एसपी के प्रतिवेदन के आधार पर सम्मेलन की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। प्रतिवेदन में हवाला दिया गया है कि सम्मेलन में 11 देशों के लोग आएंगे, जिनके वीजा की प्रकृति के संबंध में जानकारी नहीं दी गई। इसके अलावा आमला हवाई पट्टी के पास कार्यक्रम को सामरिक दृष्टि से संवेदनशील बताते हुए सम्मेलन की अनुमति देने पर आपत्ति उठाई गई है। 





जाति कार्ड भी खेला





निशा बांगरे ने कहा था कि दलितों को पहले मंदिर में नहीं जाने दिया जाता था, अब घर भी नहीं जाने दिया जाता। निशा ने सम्मेलन को अनुमति नहीं दिए जाने को प्रशासनिक और राजनैतिक षड़यंत्र करार दिया है। बता दें कि आमला में 25 फीसदी दलित वोट हैं, जिनमें से आधे बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। आमला में वर्तमान में बीजेपी विधायक हैं। निशा बांगरे भी बौद्ध अनुयायी हैं। सम्मेलन की तैयारी राजनैतिक छवि को मजबूत करने के लिए ही चल रही थी। 





हर घर अफसर का भी मिशन







निशा बांगरे का कहना है कि अब वे हर घर अफसर के मिशन पर लगेंगी, इस्तीफा वापस लेने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि दलित परिवारों के बच्चों को उचित मार्गदर्शन देकर वे अधिकारी बनाने के मिशन पर जुटेंगी। 



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