BHOPAL. मध्यप्रदेश में सोमवार को मोहन यादव के मंत्री मंडल का विस्तार हुआ। इसमें नौवीं बार विधायक चुने गए बीजेपी से सबसे वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव को मंत्री मंडल में शामिल न करने को लेकर राजनीति के जानकार चौंक गए। ऐसा ही नाम भूपेंद्र सिंह, प्रभुराम चौधरी का भी है। बताया जाता है कि इनके नाम ऐन वक्त पर हटाए गए हैं। यानी रविवार की वो शाम ही थी, जब केंद्रीय नेतृत्व ने सीनियर और दिग्गज विधायकों को मंत्री मंडल में शामिल न करने के प्लान पर अंतिम मुहर लगाई। रविवार की शाम को राहु काल चल रहा था। राहु काल इन दिग्गजों पर भारी पड़ गया और मंत्री पद हाथ से निकल गया।
3 बार दिल्ली गए सीएम
पहली बार 17 को गए
मोहन यादव ने 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और उसके बाद उनका पहला दिल्ली दौरा 17 दिसंबर को हुआ। सीएम यादव ने 17 दिसंबर को दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के निवास पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ मंत्रियों के नाम को लेकर चर्चा की। इस मीटिंग में प्रहलाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता शामिल हुए थे।
21 को फिर बुलावा आया
सीएम मोहन यादव दूसरी बार दिल्ली दौरे पर 21 दिसंबर यानि गुरुवार को पहुंचे। इस दौरान सीएम के साथ दोनों डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा भी दिल्ली गए थे। सीएम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके बाद शुक्रवार रात भोपाल लौट आए थे। यह दौरा उनका तब हुआ था जब शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली बुलाया गया था और उन्होंने जेपी नड्डा से मुलाकात की थी।
रविवार को था राहु काल
मुख्यमंत्री मोहन यादव 23 दिसंबर शनिवार को फिर से दिल्ली बुलावे पर पहुंचे। इसके बाद रविवार को फिर से जेपी नड्डा से मुलाकात की और मंत्रिमंडल गठन को लेकर फाइनल मुहर लगने के बाद रविवार को ही भोपाल लौट आए। यहां पर कैबिनेट गठन की तारीख और समय तय कर दिया। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार रविवार की शाम करीब 4 बजे से 7 बजे तक राहु काल चल रहा था। शाम को यही वो वक्त था जब मुख्यमंत्री मोहन यादव केंद्रीय नेतृत्व से मंत्री मंडल में शामिल होने वाले नामों पर मुहर लगवाने की कवायद में लगे थे। यह राहु काल इन वरिष्ठ और दिग्गज नेताओं पर भारी पड़ गया और उनका पत्ता कट गया।
20 साल में पहली बार हुआ ऐसा
मोहन यादव ने 13 दिसंबर को मध्य प्रदेश का सीएम पद संभाला था। सोमवार यानी 25 दिसंबर को 12वां दिन था। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि एमपी के 20 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब मंत्री मंडल के गठन या यूं कहें कि विस्तार में 12 दिन लगे हों।
अब इनका क्या होगा....
गोपाल भार्गव:
सागर जिले की रहली सीट से लगातार 9वीं बार जीते हैं। पिछली सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री थे। सागर में जब पीएम संत रविदास संग्रहालय के भूमिपूजन में पहुंचे थे, तब सबसे ज्यादा भीड़ रहली से ही पहुंची थी।
भविष्य दर्शन : ये इनका आखिरी चुनाव है। फिलहाल नई भूमिका मिलती नहीं दिख रही।
भूपेंद्र सिंह:
भूपेंद्र सिंह, सागर जिले की खुरई सीट से लगातार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। पिछली बार नगरीय प्रशासन विभाग के कद्दावर मंत्री थे। शिवराज कैबिनेट में ताकतवर होने का भी नुकसान उठाना पड़ा।
भविष्य दर्शन: केंद्रीय नेतृत्व की नाराजगी की वजह से इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलती नहीं दिख रही।
बृजेंद्र प्रताप सिंह:
बृजेंद्र प्रताप सिंह पन्ना से विधायक और पिछली सरकार में खनिज मंत्री थे। चार बार के विधायक रहे। बृजेंद्र सामान्य क्षत्रिय समाज से आते हैं, इस कारण जातिगत समीकरण भी इस बार इनके पक्ष में नहीं रहे। शिवराज के करीबी होने का नुकसान भी उठाना पड़ा।
भविष्य दर्शन : फिलहाल कोई जिम्मेदारी मिलती नहीं दिख रही।
मीना सिंह:
मानपुर विधानसभा से पांचवीं बार विधायक बनीं मीना सिंह पिछली सरकार में मंत्री थीं। आदिवासी एवं महिला कोटे से मौका मिला था। इस बार पार्टी ने उनकी बजाय मंडला से पूर्व राज्यसभा सांसद संपतिया उइके को मंत्री बनाया।भविष्य दर्शन : फिलहाल सरकार में कोई जिम्मेदारी मिलती नहीं दिख रही। संगठन में मौका मिल सकता है।
हरदीप सिंह डंग:
सुवासरा से चार बार के विधायक हरदीप सिंह डंग को पिछली बार मंत्री बनने का मौका मिला था। ये भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। मालवा-निमाड़ से सीएम, डिप्टी सीएम के अलावा 7 विधायक मंत्री बन चुके हैं। इस वजह से भी बाहर रहना पड़ा।
भविष्य दर्शन: आगे मौका मिल सकता है।
ओमप्रकाश सखलेचा :
जावद से पांचवीं बार विधायक ओमप्रकाश सखलेचा पूर्व सीएम वीरेंद्र सखलेचा के बेटे हैं। पिछली सरकार में मंत्री थे। जैन समाज से आते हैं। मालवा में पहले ही सबसे अधिक प्रतिनिधित्व हो चुका था।
भविष्य दर्शन : लोकसभा चुनाव के लिए दावेदारी कर रहे हैं।
बिसाहूलाल:
1980 में अनूपपुर से जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे बिसाहूलाल सिंह महाकौशल के बड़े आदिवासी नेता हैं। 7वीं बार विधायक बने। उम्र 73 साल हो चुकी है, यही मंत्रिमंडल से बाहर होने की वजह बनी।
भविष्य दर्शन: 73 साल की उम्र को देखते हुए इन्हें कोई जिम्मेदारी मिलती नहीं दिख रही।
ऊषा ठाकुर:
मालवा में भाजपा का प्रमुख चेहरा ऊषा ठाकुर चौथी बार विधायक बनीं। चार बार तीन सीटों से लड़ चुकी हैं। क्षेत्रीय समीकरणों की वजह से मौका नहीं मिल पाया।
भविष्य दर्शन : श्रीरामचंद्र वनगमन पथ न्यास में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है।
प्रभुराम चौधरी:
सांची से विधायक प्रभुराम चौधरी सिंधिया समर्थक हैं। पिछली बार कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। इनके विभाग से संबंधित कई शिकायतें चर्चा में थीं। परफार्मेंस भी उल्लेखनीय नहीं रही।
भविष्य दर्शन: फिलहाल कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद नहीं।
बृजेंद्र यादव:
बृजेंद्र मुंगावली विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार जीते। सिंधिया समर्थक हैं। पिछली बार राज्यमंत्री बनाए गए थे। 5वीं पास बृजेंद्र यादव जातीय समीकरण के चलते बाहर हो गए।
भविष्य दर्शन : लोकसभा चुनाव में मौका मिल सकता है।