Jabalpur. जबलपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया की फायर ब्रिगेड के कर्मचारी को उस वक्त फैक्ट्री प्रबंधन ने धोखा दे दिया जब उसके खुदके घर में आग लग गई। घर में आग फैलने की खबर जब कर्मचारी को फोन के जरिए मिली तो उसने तत्काल अपने प्रभारी अधिकारी को सूचना दी और साथियों संग फायर ब्रिगेड लेकर घर को निकलने लगा, कि तभी अधिकारियों ने उसे वाहन ले जाने से रोक दिया। कर्मचारी ने अधिकारियों से हजार मिन्नतें कीं, यह दुहाई भी दी कि मैनें सैकड़ों जलते घरों को खाक होने से बचाया, क्या मेरे खुदके घर की आग बुझाने मेरी इतनी मदद नहीं की जाएगी। लेकिन अधिकारी प्रोटोकॉल का हवाला देते रहे और उसे दमकल वाहन फैक्ट्री के बाहर ले जाने नहीं मिला।
व्हीकल फैक्ट्री से पहुंची फायर ब्रिगेड
इधर कर्मचारी के घर में आग फैलती जा रही थी, दमकल कर्मचारियों ने कर्मचारी नेताओं से मदद मांगी, इस पर व्हीकल फैक्ट्री प्रबंधन ने अपनी फायर ब्रिगेड को मौके पर भेजा, किसी तरह घर में लगी आग पर काबू पाया जा सका। इसी बीच नगर निगम का फायर टैंकर भी मौके पर पहुंच गया।
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इंद्रानगर में है कर्मचारी का घर
जानकारी के मुताबिक आयुध निर्माणी खमरिया के दमकल कर्मी रविकांत पांडे के घर आग लग गई थी। उसके 75 साल के बूढ़े पिता घर पर ही थे। लेकिन रविकांत उस दमकल गाड़ी को लेकर घर नहीं जा सका, जिससे उसने सैकड़ों घर की आग बुझाई है। इस घटना को लेकर कर्मचारी नेता भी लामबंद हैं। संयुक्त संघर्ष समिति ने इस मामले में संवेदनशीलता दिखाए जाने के बजाए प्रोटोकॉल की दुहाई देने वाले एचओएस प्रदीप शर्मा और सीएसओ कैलाश चंद्र जैन के गैर जिम्मेदार बर्ताव के लिए मामले की जांच की मांग की है। कर्मचारी नेताओं का कहना था कि आयुध निर्माणी की दमकल ने समय-समय पर सिविल एरिया में जाकर आग पर काबू पाया है। ऐसे में स्वयं के कर्मचारी का घर बचाने दमकल भेजी जानी थी।
यह है प्रोटोकॉल
इस मामले में डीजीएम ओएफके आरके कुमार ने बताया कि निर्माणी बेहद संवेदनशील संस्थान है। जहां कभी भी फायर ब्रिगेड की जरूरत पड़ सकती है। वहीं इंद्रा नगर नगर निगम के क्षेत्राधिकार में आता है। शहर की अथॉरिटी जब मदद मांगती है तभी निर्माणी की ओर से सहयोग किया जाता है। इसी कारण निर्माणी से दमकल वाहन नहीं भेजा गया।