Jabalpur. जबलपुर में बीते दिनों एक निकाह का कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद एसपी दफ्तर में हंगामा मचा था। हिंदुवादी संगठनों के साथ लड़की के माता पिता बेटी के धर्म परिवर्तन, निकाह के कार्ड में उनका नाम होने और दंगा भड़काए जाने का प्रयास किए जाने जैसे आरोपों को लेकर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। पुलिस जांच में यह दावा किया गया कि माता-पिता की सहमति से उनकी बेटी अनामिका ने मोहम्मद अयाज से शादी की थी। माता-पिता ने बेटी को दहेज का सामान भी दिया था। अब वे ही मां-बाप अपनी उस बेटी अनामिका को मृत मानकर उसके पिंडदान के लिए कार्ड छपवाकर बांट चुके हैं। रविवार को नर्मदा तट पर वे अनामिका के शोक में मृत्युभोज और पिंडदान आयोजित कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा कार्ड
शोक संदेश के इस कार्ड में परिवार वालों ने अनामिका का फोटो भी लगवाया है। जो कि अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लड़की के पिता चंद्रिका प्रसाद दुबे इस घटना के बाद काफी स्तब्ध हैं, वे ज्यादा किसी से कुछ बातचीत नहीं करते। पर अनामिका की मां ने कहा है कि वह अब उनके लिए मर चुकी है। उसने अपने धर्म के रीति रिवाजों को जरूर त्याग दिया हो, लेकिन हममें अभी भी संस्कार बाकी हैं। इसलिए अपनी बेटी के हर वो संस्कार पूरे करेंगे जो किसी परिजन की मौत के बाद किए जाते हैं।
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यह था मामला
31 मई की शाम से जबलपुर में सोशल मीडिया में एक निकाह का कार्ड वायरल होता है जिसमें उजमा फातिमा उर्फ अनामिका दुबे की शादी अमखेरा के मोहम्मद अयाज से होने की सूचना दी जाती है, दावते वलीमा 7 जून को रखा गया था। जैसे ही यह कार्ड सोशल मीडिया में वायरल हुआ। लोगों के तरह-तरह के कमेंट्स आने लगे। अगले दिन लड़की के माता-पिता हिंदुवादी संगठनों के साथ एसपी दफ्तर पहुंच गए। कार्रवाई की मांग को लेकर धरना दिया गया। जिसके बाद एसपी ने मामले की जांच बैठा दी। कुछ ही घंटों में पुलिस ने जांच कर बयान जारी कर दिया कि माता-पिता की सहमति से युवक-युवति का निकाह हो रहा था। मां-बाप ने लड़की को दहेज में गृहस्थी का सामान और जेवरात भी दिए थे।
जब सहमति थी तो शोक संदेश के कार्ड क्यों?
अब सवाल यह उठ रहा है कि पुलिस जांच यह दावा कर रही थी कि माता-पिता शादी से सहमत थे, तो वे अब शोक संदेश के कार्ड छपवाकर मृत्युभोज और पिंडदान क्यों कर रहे हैं। अनामिका के पिता चंद्रिका प्रसाद दुबे सरकारी शिक्षक हैं, वे इस घटना के बाद काफी स्तब्ध हैं। लेकिन उनकी चुप्पी और बेबसी काफी कुछ बयां कर रही है। यह सवाल भी खड़े कर रही है कि जिस तरह दमोह के गंगा जमना स्कूल के मामले में जिस तरह डीईओ-कलेक्टर और एसपी सतही जांच के बाद क्लीन चिट दे रहे थे, कहीं पुलिस ने भी सतही जांच करके मामले को रफा-दफा तो नहीं कर दिया।