रणथंभौर में वीआईपी सफारी के नाम पर हुआ गड़बड़झाला, होटल वालों के साथ मिलीभगत से वीआईपी कोटे की होती रही ब्लैक मार्केटिंग

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Pooja Kumari
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रणथंभौर में वीआईपी सफारी के नाम पर हुआ गड़बड़झाला, होटल वालों के साथ मिलीभगत से वीआईपी कोटे की होती रही ब्लैक मार्केटिंग

मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क में बाघों की साइटिंग के लिए वीआईपी सफारी के नाम पर बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। यहां के अधिकारी और कर्मचारी होटल वालों को फायदा पहुंचाने के लिए वीआईपी कोटे की सफारी की ब्लैक मार्केटिंग करते रहे और इसके नाम पर मनमाने दाम वसूल किए जाते रहे। इस गड़बड़झाले का खुलासा विभाग की ही एक आंतरिक जांच में हुआ है।

VIP कोटा बना काली कमाई का जरिया

राजस्थान का रणथंभौर नेशनल पार्क पूरी दुनिया में अपने अलग पहचान रखता है। यहां 60 से ज्यादा बाघ है और दुनिया भर के पर्यटक यहां जंगल सफारी के लिए आते हैं। वन विभाग ने यहां पर सफारी की वैसे तो ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था की हुई है और सिर्फ ऑनलाइन ही टिकट बुक किए जाते हैं। लेकिन कुछ वाहन वीआईपी कोटे के लिए रखे जाते है और इन्हें ऑनलाइन बुक नहीं किया जाता। ये वीआईपी कोटे के वाहन ही यहां के अधिकारियों कर्मचारियों के लिए काली कमाई का साधन बन रहे। निजी होटल वालों के साथ मिली भगत कर इस वीआईपी कोटे की ब्लैक मार्केटिंग की जाती रही और निर्धारित दर के मुकाबले तीन से चार गुना तक राशि वसूल की जाती रही। जांच रिपोर्ट आने के बाद व्यवस्था में हालांकि कुछ सुधार बताया गया है, लेकिन गड़बड़ी की आशंका से अभी भी इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि होटल वालों की लॉबी यहां बहुत मजबूत है और ये बहुत ऊपर तक दखल रखती है।

बड़े नेता के जानकार फंसे तो हुई जांच

सूत्र बताते हैं कि खेल यहां लंबे समय से चल रहा था, लेकिन इस वर्ष मार्च में कांग्रेस के एक बड़े नेता के एक जानकार से जब वीआईपी कोटे के नाम पर मनमाने दाम वसूले गए तो इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंची और वहां के आदेश पर जब जांच शुरू हुई तो रणथंभौर नेशनल पार्क के अधिकारी और कर्मचारियों का निजी होटल वालों और बुकिंग एजेंट के साथ चल रहा मिलीभगत का खेल सामने आया।

ऐसे की जा रही थी गड़बड़ी

रणथंभौर में सुबह और शाम दो पारियों में जंगल सफारी कराई जाती है। इस जंगल सफारी में कुछ वाहन वीआईपी कोटे के नाम पर आरक्षित रखे जाते हैं और उनकी ऑनलाइन बुकिंग नहीं होती है। वीआईपी कोटे के वाहन जिनके रेफरेंस या नाम से बुक किए जाते हैं उनका मोबाइल नंबर और जानकारी नेशनल पार्क के रजिस्टर में अंकित करना होता है। लेकिन गड़बड़ी यहीं से शुरू की जाती है। रिकॉर्ड में दिखाने के लिए यहां फर्जी नंबर और रेफरेंस अंकित कर दिए जाते हैं और यह वीआईपी कोटा निजी होटलों के बुकिंग एजेंट के माध्यम से मनचाहे दामों पर बेच दिया जाता है। वन विभाग ने वीआईपी सफारी की दर भी तय कर रखी है, लेकिन होटल संचालक और बुकिंग एजेंट ग्राहकों को ये दर नहीं बताते हैं और मनमाने दाम वसूल कर लेते हैं। चूंकि बुकिंग होटल और उसके एजेंट के माध्यम से होती है तो अक्सर इस सफारी का खर्चा भी होटल के बिल में ही जोड़ दिया जाता है।

11हजार के 57 हजार वसूल लिए

कांग्रेस के नेता के जानकारी की शिकायत पर यह जांच हुई उस व्यक्ति से होटल वालों ने लगभग 46000 की ज्यादा वसूली कर ली। वन विभाग में इस वीआईपी सफारी की कुल दर 11660 निर्धारित की गई है। इस दर में अपनी पसंद की जिप्सी और गाइड का शुल्क भी शामिल है। जबकि इस वीआईपी से होटल संचालक ने 57820 रुपए वसूल कर लिए। चूंकि संबंधित वीआईपी को दर पता ही नहीं थी इसलिए उन्होंने चुका दिए। बाद में असलियत पता लगी तो उन्होंने इसकी शिकायत अपने जानकार कांग्रेस नेता से की और तब यह खेल उजागर हुआ।

सफारी वाहनों के रोस्टर में भी की गई गड़बड़ी

रणथंभौर नेशनल पार्क में सिर्फ विप कोट की सफारी में ही नहीं बल्कि सफारी के लिए जाने वाले वाहनों के रोस्टर में भी गड़बड़ियां सामने आई। दरअसल यहां पर सफारी करने के लिए कैंटर और जिप्सियां पंजीकृत की जाती हैं। यह पंजीकृत कैंटर और जिप्सियां ही सफारी कर सकती हैं। इनका नंबर रोस्टर के जरिए आता है, लेकिन जांच में सामने आया कि कुछ वाहनों को रोस्टर के मुकाबले ज्यादा बार सफारी के लिए भेजा गया और इनमें वह वाहन ज्यादा थे जो किसी होटल की ओर से रजिस्टर कराए गए थे।

बुकिंग एजेंट का प्रावधान नहीं लेकिन यही करते हैं खेल

रणथंभौर नेशनल पार्क में सफारी बुकिंग के लिए पूरी तरह से ऑनलाइन व्यवस्था है लेकिन इसके बावजूद यहां बुकिंग एजेंट बड़ी मात्रा में सक्रिय हैं और यह बुकिंग एजेंट ही सारे खेल को अंजाम देते हैं। आम लोग भी जिन्हें ऑनलाइन बुकिंग करना नहीं आता वे बुकिंग एजेंट की सहायता लेते हैं और इस सुविधा के बदले उन्हें ज्यादा पैसा चुकाना पड़ता है।

यह रखें ध्यान

रणथंभौर नेशनल पार्क में जब भी जाएं तो कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखें जैसे रणथंभौर नेशनल पार्क के लिए सामान्य बुकिंग सिर्फ ऑनलाइन होती है। इसलिए किसी बुकिंग एजेंट के चक्कर में न फंसे। यदि वीआईपी कोटे की सफारी करना चाहते हैं तो उसका भी शुल्क वन विभाग ने निर्धारित कर रखा है जो पसंद की सफारी और गाइड मिला कर 11 हजार 660 रुपए है। इससे ज्यादा यदि वसूली की जा रही है तो संबंधित अधिकारियों से शिकायत करें।

फैक्ट फाइल

रणथंभौर नेशनल पार्क में कुल 10 जोन में सफारी की जा सकती है। इनमें एक से पांच तक के जून मानसून के समय बंद रहते हैं जबकि 6 से 10 जोन में पूरे समय सफारी कराई जाती है। प्रतिदिन दो पारी यानी सुबह और दोपहर बाद सफारी कराई जाती है। हर पारी में 130 वाहन सफारी के लिए उपलब्ध होते हैं। पर्यटकों की संख्या अधिक होती है, तो पांच अतिरिक्त वाहन उपलब्ध कराए जाते हैं।

यहां सफारी के लिए 269 जिप्सी और 286 कैंटर उपलब्ध है।

कैंटर में सफारी शुल्क प्रति व्यक्ति 806 रुपए और जिप्सी में प्रति व्यक्ति 1332 रुपया निर्धारित है। विदेशी नागरिकों के लिए ये राशि क्रमश 1980 और 24960 रूपए निर्धारित है। टिकट बुकिंग के बाद यदि आप अपना जोन परिवर्तित करना चाहते हैं तो उसके लिए दोगुनी राशि वसूल की जाती है।

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