एमपी में बीजेपी नहीं ले रही कोई रिस्क, खराब परफॉर्मेंस और जातिगत समीकरण के चलते कट सकते हैं 8 मंत्रियों के टिकट

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Chandresh Sharma
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एमपी में बीजेपी नहीं ले रही कोई रिस्क, खराब परफॉर्मेंस और जातिगत समीकरण के चलते कट सकते हैं 8 मंत्रियों के टिकट

BHOPAL. बीजेपी के विधानसभा चुनाव के दावेदार बेसब्री से चौथी लिस्ट पर टकटकी लगाए इंतजार कर रहे हैं। बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि हाईकमान 55 विधानसभा सीटों पर नाम करीब-करीब तय कर चुका है। खास बात यह है कि इस लिस्ट में 8 मंत्रियों के टिकट कटने की प्रबल संभावना जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस बाबत पार्टी नेताओं को संकेत दे चुके हैं। बड़ी बात यह है कि जिन मंत्रियों के टिकट कटने हैं उनमें दो ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। हालांकि अंतिम फैसला पीएम मोदी पर छोड़ा गया है।

सर्वे रिपोर्ट, जातीय समीकरण और रिस्क फैक्टर के चलते फैसला

बताया जा रहा है कि मंत्रियों का पत्ता काटने के पीछे जातिगत समीकरण के अलावा सर्वे रिपोर्ट और रिस्क फैक्टर बड़े कारण हैं। इससे पहले साल 2018 के चुनाव में शिवराज सरकार के 27 में से 13 मंत्री चुनाव हारे थे, बीजेपी इस बार यह रिस्क नहीं लेना चाह रही। 3 केंद्रीय मंत्रियों समेत 7 सांसदों को चुनाव मैदान में उतारकर बीजेपी ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है।

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इन मंत्रियों पर लटकी है तलवार

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जिन मंत्रियों के टिकट कटने की संभावनाएं ज्यादा हैं उनमें पशुपालन और सामाजिक न्याय मंत्री प्रेम सिंह पटेल, नगरीय विकास एवं आवास राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया, पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री सुरेश धाकड़, उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री भारत सिंह कुशवाहा, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री रामखिलावन पटेल और पीएचई राज्यमंत्री बृजेंद्र सिंह यादव के नाम बताए जा रहे हैं। वहीं कृषि मंत्री कमल पटेल और महेंद्र सिंह सिसौदिया को लेकर असमंजस की स्थिति बताई जा रही है।

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इस कारण कटेगा टिकट

बड़वानी से निर्वाचित प्रेम सिंह पटेल की बीते साल बाईपास सर्जरी हुई है, ऐसे में उनके बेटे को भी टिकट दिया जा सकता है, वहीं सांसद गजेंद्र पटेल को भी यहां से चुनाव मैदान में उतारे जाने की चर्चा पार्टी हल्कों में चल रही है। उधर मंत्री जी कहते हैं कि क्षेत्र में मेरे अलावा कोई प्रबल दावेदार नहीं है और बेटे की चुनाव लड़ने की कोई इच्छा नहीं है।

ओपीएस भदौरिया भिंड क्षेत्र से आते हैं वहां अरविंद भदौरिया के अलावा बीएसपी से आए संजीव भदौरिया तीनों एक ही जाति के नेता हो गए हैं। पार्टी के सर्वे में भी मंत्री की स्थिति सही नहीं पाई गई है। ऐसे में हो सकता है कि पार्टी उन्हें विश्राम दे दे। उधर भदौरिया का कहना है कि किसे चुनाव लड़वाना है यह पार्टी डिसाइड करेगी। मुझे पूरा भरोसा है कि पार्टी मुझे ही मौका देगी।

इसके अलावा पीडब्ल्यूडी राज्य मंत्री सुरेश धाकड़, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री भारत सिंह कुशवाहा और पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री रामखिलावन पटेल की स्थिति भी डांवाडोल है। शिवपुरी में सुरेश धाकड़ की सर्वे रिपोर्ट उनके पक्ष में नहीं है। उधर ग्वालियर में नारायण सिंह कुशवाहा की प्रबल दावेदारी के कारण जातिगत समीकरण भारत सिंह कुशवाहा के पक्ष में नहीं है। वहीं सतना में सांसद गणेश सिंह को टिकट मिलने के बाद रामखिलावन पटेल को टिकट दिए जाने से अमरपाटन में ब्राम्हण समाज नाराज हो सकता है।

बृजेंद्र सिंह यादव की बात की जाए तो मुंगावली से इस बार बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया की सीट खाली कराने सांसद केपी यादव पर दांव लगाने का विचार कर रही है। यादव को पूर्व विधायक देशराज के परिवार का समर्थन प्राप्त था लेकिन अब वे कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में इनकी टिकट भी कटने की प्रत्याशा बढ़ गई है।

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इन पर असमंसजस

दूसरी तरफ बीजेपी कृषि मंत्री कमल पटेल और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया की टिकट पर असमंजस में है। हरदा से विधायक कमल पटेल की शिकायतें दिल्ली तक पहुंची हैं। वहीं सिसौदिया कई दिनों से विवादों में हैं। यशोधरा राजे सिंधिया पहले ही चुनाव न लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं।

पिछले चुनाव में 5 मंत्रियों को दे दिया था विश्राम

बता दें कि बीजेपी साल 2018 के विधानसभा चुनाव में 5 मंत्रियों के टिकट काटकर मैदान में उतरी थी। इनमें माया सिंह, हर्ष सिंह, सूर्यप्रकाश मीणा, लक्ष्मीकांत शर्मा और गौरीशंकर शेजवार के टिकट कटे थे। जबकि अर्चना चिटनिस, अंतर सिंह आर्य, जयंत मलैया, रूस्तम सिंह, उमाशंकर गुप्ता, शरद जैन, दीपक जोशी, जयभान सिंह पवैया, नारायण सिंह कुशवाहा, ओमप्रकाश धुर्वे, लाल सिंह आर्य, ललिता यादव, और बालकृष्ण पाटीदार मंत्री रहते हुए चुनाव हार गए थे।






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