संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के कुख्यात भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश अजमेरा के बेटे आर्जव अजमेरा पर 15 करोड़ के जमीन घोटाले में दर्ज एफआईआर मामले में हाईकोर्ट इंदौर बेंच ने सुनवाई के बाद आर्डर रिजर्व कर लिया है। चंपू और आर्जव ने बाणगंगा थाने में दर्ज हुए एफआईआर को रद्द करने को लेकर यह याचिका दायर की है। याचिका की सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि जांच प्रारंभिक स्तर पर है और इसमें एक पीड़ित भी सामने आ चुका है और सबसे बड़ी बात है कि पुलक बिल्डकॉन के बैंक खाते की सिग्नेचर अथॉरिटी आर्जव अजमेरा और एक अन्य आरोपी अनोखेलाल पाटीदार है। यह दस्तावेज सामने आने के बाद आर्जव की मुश्किल बढ़ गई है।
चंपू, आर्जव के अधिवक्ता की यह रही दलीलें
चंपू और आर्जव के अधिवक्ता ने दलील देते हुए कहा कि जब कालिंदी गोल्ड कॉलोनी के मामले सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आर्डर से कमेटी द्वारा किए जा रहे हैं तो फिर यह नया केस करने की क्या जरूरत थी, यह प्रेशर टैक्टिक है और परेशान किया जा रहा है। जमीन तो जगन्नाथ ने बेची और खरीदी अनोखेलाल ने, तो इसमें रितेश और आर्जव दोनों का कोई लेना-देना नहीं था। पुलक बिल्डकॉन बनी 2020 में, आर्जव ने 16 मार्च 2021 को डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया और जमीन की रजिस्ट्री 31 मार्च को हुई, तब आर्जव कंपनी में ही नहीं था। अधिवक्ता ने इस मामले में चंपू की जगह एक बार फिर चिराग, महावीर जैन आदि का नाम लिया और कहा कि कालिंदी में उनका कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद भी उन्हें बेवजह उलझाया जा रहा है।
शासकीय अधिवक्ता की यह रही दलीलें
शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि सर्वे नंबर 25/2 कालिंदी गोल्ड का ही हिस्सा था, जब साल 2010 में टीएडंसीपी से नक्शा पास हुआ। लेकिन बाद में इस सर्वे को अलग कर दिया गया। इस सर्वे नंबर परर 28 प्लाट आते हैं, इधर आरोपी कालिंदी के पीड़ितों को प्लॉट देने से यह कहकर बच रहे है कि जमीन नहीं है, जबकि यह सर्वे नंबर उन्होंने अलग कर बेचना शुरू कर दिया। यह जमीन मिल जाए तो कई पीड़ितों को लाभ होगा। रही बात आर्जव की यदि उसने जमीन खरीदी के पहले कंपनी से इस्तीफा दिया तो फिर वह अभी तक साइनिंग अथॉरिटी कैसे है? अनोखेलाल भी है। यह बैंक के दस्तावेज में साफ है। साथ ही इन लोगों ने सरकार को भी स्टाम्प ड्यूटी में भी चूना लगाया, क्योंकि जमीन को आवासीय की जगह खेती की बताकर खरीदी-बिक्री गई। पुलक बिल्डकॉन के खाते से कई अन्य खातों में कंपनियों और व्यक्तिगत भी लेन-देन हुआ है जिनकी जांच की जाना है। जांच प्रारंभिक स्तर पर है, ऐसे में एफआईआर रद्द करने का सवाल ही नहीं होता है। शसकीय अधिवक्ता ने कहा कि रितेश इस मामले में कहीं नहीं है, इसलिए उनका नाम एफआईआर में नहीं है, वह अग्रिम तौर पर अपील कर रहे हैं। हालांकि, ऑन पेपर यह लोग कहीं नहीं है, लेकिन है यही सभी लोग।
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आर्डर आने पर होगी स्थिति क्लीयर
इस मामले में आगे स्थिति हाईकोर्ट के आर्डर जारी होने पर ही क्लीयर होगी। चंपू और आर्जव ने इसमें 482 के तहत एफआईआर रद्द करने की अपील की है। एफआईआर 24 जून को हुई थी और दोनों ने यह अपील 26 जून को ही दायर कर दी थी। इस मामले में बीती सुनवाई के समय हाईकोर्ट ने केस डायरी बुलाई थी। इसमें सभी पक्षों की लंबी बहस सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आर्डर रिजर्व पर रख लिया।