गुडी-गुडी दौर था वसुंधरा-गहलोत सरकारों का, नहीं पूछते थे एक-दूसरे से सवाल, सदन से भी रहते थे गायब

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Pooja Kumari
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गुडी-गुडी दौर था वसुंधरा-गहलोत सरकारों का, नहीं पूछते थे एक-दूसरे से सवाल, सदन से भी रहते थे गायब

JAIPUR. वसुंधरा और गहलोत का 25 साल का युग अब समाप्त हो चुका है। जानकारी के मुताबिक अगले साल जनवरी के दूसरे सप्ताह में भजनलाल सरकार बनने के बाद पहला विधानसभा सत्र बुलाया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक 14वीं विधानसभा में न गहलोत ने वसुंधरा राजे सरकार से और 15वीं विधानसभा में न वसुंधरा राजे ने गहलोत सरकार से किसी तरह के सवाल किए। साथ ही सचिन पायलट जो सदन के बाहर गहलोत सरकार के खिलाफ गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले बैठे रहे, उन्होंने ने भी सदन में कोई सवाल नहीं किया।

वसुंधरा राजे : 147 में 20 बैठकों में हुई शामिल

15वीं राजस्थान विधानसभा में बतौर एमएलए पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की उपस्थिति महज 14 फीसदी रही। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार वे 147 बैठकों में से केवल 20 बैठकों में ही उपस्थित रहीं। उन्होंने इस दौरान सदन में सरकार से कोई प्रश्न भी नहीं पूछा।

अशोक गहलोत : 139 में 25 बैठकों में हुए शामिल

15वीं राजस्थान विधानसभा में सरदारपुरा सीट से कांग्रेस विधायक अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे। वहीं 14वीं राजस्थान विधानसभा में भी वे सरदारपुरा सीट से जीते थे। विधायक के तौर पर वे 139 बैठकों में से केवल 25 बैठकों में ही शामिल हुए। इस दौरान एक भी प्रश्न उन्होंने सदन में नहीं पूछा।

सचिन पायलट : सिर्फ 14 बैठकों में शामिल

टोंक से विधायक और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट 15वीं राजस्थान विधानसभा की 14 बैठक में ही शामिल हुए। यानी 15वीं राजस्थान विधानसभा में उनकी उपस्थिति केवल 10 प्रतिशत ही थी।

सिद्धी कुमारी : 147 में से सिर्फ 8 बैठकों में शामिल

बीकानेर ईस्ट की विधायक सिद्धी कुमारी 15वीं राजस्थान विधानसभा में 147 बैठकों में से केवल 8 बैठक में ही उपस्थित रहीं। उनकी उपस्थिति महज 5 प्रतिशत रही। सदन में उन्होंने अतारांकित 57 प्रश्न पूछे। वहीं 14वीं विधानसभा में वे 139 बैठकों में से 18 में उपस्थित रहीं और 11 प्रश्न पूछे।

नेता प्रतिपक्ष

बता दें कि सदन में नेता प्रतिपक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चूरू से बीजेपी विधायक और विपक्ष के नेता के तौर पर राजेंद्र राठौड़ 15वीं विधानसभा की 119 बैठकों में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने 477 प्रश्न पूछे। वहीं 14वीं विधानसभा में नोखा विधायक रामेश्वर लाल डूडी विपक्ष के नेता थे। वे सदन की 139 बैठकों में से 102 में शामिल हुए। लेकिन उन्होंने किसी तरह के सवाल नहीं पूछे।

उपस्थिति में निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों से पिछड़ी बीजेपी

अगर 15वीं राजस्थान विधानसभा में औसत उपस्थिति की बात करें तो निर्दलीय और क्षेत्रीय दल बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों से आगे रहे। 14 निर्दलीय 131 बैठकों में उपस्थित रहे। 128 बैठकों के साथ भारतीय ट्राइबल पार्टी दूसरे स्थान पर रही।

इन विधायकों ने पूछे सर्वाधिक प्रश्न

15वीं राजस्थान विधानसभा में 176 विधायकों ने कुल 42 हजार 454 प्रश्न पूछे गए। इस मामले में जन समस्याएं उठाने के मामले में अनूपगढ़ से बीजेपी की विधायक संतोष पहले स्थान पर रहीं। उन्होंने सदन में 550 प्रश्न पूछे लेकिन इस बार वे निर्वाचित नहीं होने के कारण 16वीं विधानसभा का हिस्सा नहीं है। वहीं बीजेपी विधायक फूल सिंह मीणा ने 542 प्रश्न पूछे। इस बार भी वे अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अनुसार अगर पार्टी के स्तर पर औसतन प्रश्न पूछने की बात करें तो सीपीआई के 2 विधायकों ने सबसे ज्यादा 397 प्रश्न पूछे।

चिकित्सा, शिक्षा और ऊर्जा पर उठाए सवाल

बीजेपी 73 विधायकों और मुख्य विपक्षी दल होने के बावजूद 355 प्रश्न पूछकर दूसरे स्थान पर रही। सदन में विधायकों ने चिकित्सा, शिक्षा और ऊर्जा से संबंधित सवाल अधिक पूछे थे। इस बार 199 में से 75 विधायक ही सदन में दोबारा जीतकर आए हैं। इसमें बीजेपी के 36 और कांग्रेस के 35 विधायक हैं।

विधायकों पर गंभीर मामले का आरोप

बता दें कि इस बार विधायकों पर आपराधिक और गंभीर केस के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। इस बार सदन के 61 विधायकों पर पुलिस केस हैं। जबकि 2018 में 199 में से 46 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। 2018 की तुलना में गंभीर आपराधिक केस के मामले भी दोगुने हो गए हैं। 2018 में 28 एमएलए पर आईपीसी की गंभीर धाराओं में केस दर्ज थे। वहीं इस बार 44 विधायकों पर गंभीर मामले दर्ज हैं।

85 प्रतिशत विधायक करोड़पति

बात करें करोड़पति विधायको के बारे में तो इस बार करोड़पति विधायकों की संख्या सबसे में भी इजाफा हुआ है। 199 विधायकों में से 169 विधायक करोड़पति हैं। 85 प्रतिशत वे विधायक हैं, जिन्होंने अपनी घोषित संपत्ति एक करोड़ रुपये से ज्यादा बताई है। जबकि पिछली बार 2018 में 158 विधायक करोड़पति थे। इन विधायकों में 78 विधायकों की संपत्ति पांच करोड़ रुपए या इससे अधिक है।

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