संजय गुप्ता, INDORE. भूमाफियाओं द्वारा खेले जा रहे उलझाने के खेल में हाईकोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सामने भी पीड़ित उलझ गए हैं। सभी फाइल और सुनवाई को देखने के बाद पीड़ितों को कमेटी द्वारा कहा गया है कि जब तक फिनिक्स कंपनी और लिक्विडेटर का इश्यू नहीं सुलझ जाता है, अभी प्लाट की रजिस्ट्री में संशोधन और रजिस्ट्री कराने के काम नहीं हो सकते हैं। अब इस मामले में 16 जून को फिर से सुनवाई की बात कही जा रही है। वहीं भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश अजमेरा भी कमेटी के सामने पहुंचा और कहा कि लिक्विडेटर रोज नए नोटिस दे रहे हैं, इस पर कमेटी ने कहा कि जवाब तो देना होगा। चंपू लिक्विडेटर को 16 जून को जवाब देगा। उधर 14 जून को सेटेलाइट कॉलोनी के पीड़ितों को सुना जाएगा।
पीड़ित बोले फिर कैसे होगा हमारा सैटलमेंट, डेढ़ साल हो गए हैं
वहीं कमेटी के सामने पीड़ित और उनके वकीलों द्वारा उनकी पीड़ा बताई गई। पीड़ितों ने कहा सुप्रीम कोर्ट में इन सभी ने यह कहकर जमानत ली थी कि 90 दिन में सभी के सेटलमेंट कर देंगे, उस बात को डेढ़ साल हो चुके हैं। यह न प्लाट की रजिस्ट्री करा रहे हैं और न ही पैसे दे रहे हैं। हम कमेटी के सामने भी बार-बार इसी उम्मीद से आ रहे हैं कि पैसे मिलेंगे, लेकिन यह कुछ भी नहीं कर रहे हैं, लेकिन जमानत पर जरूर है।
इस तरह कमेटी के सामने रखी गई बात...
पीड़ित- सर हमारे प्लाट की रजिस्ट्री का क्या होगा
कमेटी- 16 को नया नोटिस दिया है लिक्वीडेटर को यह जवाब देंगे
पीड़ित- हमारी रजिस्ट्री में संशोधन होना है, जिसको प्लाट मिलना है
कमेटी- लिक्विडेटर के बाद ही संशोधन प्रक्रिया होगी, प्लाट भी लिक्वीडेटर के बाद ही आगे होगा
पीड़ित- इन्होंने तो 90 दिन में सेटलमेंट का वादा सुप्रीम कोर्ट में किया था
कमेटी- हम यही कह सकते हैं कि तेजी से सेटलमेंट हो सके, इसके लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।
पीड़ित- बाकी लोगों को तो कब्जे मिले हैं, फिर हमे क्यों नहीं मिल रहे हैं
कमेटी- इस पर अभी कुछ नहीं कह सकते हैं, कमेटी आपके सेटलमेंट के लिए ही लगी हुई है
पीड़ित- फिर हम लोग क्या करें सर कब से परेशान हो रहे हैं, हम तो वहीं के वहीं है
कमेटी- सेटलमेंट के प्रयास जारी है, आप लोगों को भी प्रॉपर्टी देखकर लेना चाहिए थी। हमारा प्रयास जारी है
सिर्फ एक करोड़ में चंपू ने उलझा दिए लोगों के 50 करोड़
चंपू की फिनिक्स कंपनी ने पेरेंटल ड्रग्स कंपनी से एक करोड़ का लोन लिया और फिर इसे चुकाया नहीं, जिसके बाद कंपनी लिक्वीडेशन में चली गई। इसके बाद से भी सभी पीडित उलझ गए हैं। जिला प्रशासन की सुनवाई के समय भले ही 88 शिकायतें आई है लेकिन हाईकोर्ट की कमेटी के सामनें कुल 266 शिकायतें अकेले फिनिक्स की आ चुकी है। चंपू ने मात्र एक करोड़ के लोन के खेल से 50 करोड से ज्यादा की कीमत के प्लाट पीड़ितों के उलझा दिए हैं। इस कंपनी में चंपू अजमेरा के साथ पत्नी योगिता अजमेरा, पिता पवन अजमेरा, भाई नीलेश अजमेरा और उसकी पत्नी सोनाली अजमेरा सभी आरोपी है, क्योंकि यह सभी कंपनी में डायरेक्टर रहे हैं।
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निराकरण के नाम पर कुछ नहीं हुआ
प्रशासन द्वारा पूर्व में दी गई रिपोर्ट के अनुसार कुल 88 शिकायतें आई थी। इसमें 56 रजिस्ट्री वाले और 32 रसीद पर भुगतान करने वाले थे। रजिस्ट्री वालों में से 26 को मौके पर कब्जे दिए गए है लेकिन इसका कोई मतलब नहीं क्योंकि संशोधित रजिस्ट्री नहीं हुई है, क्योंकि कंपनी लिक्वीडेशन में है। वहीं रसीद वाले 32 पीड़ितों में से केवल 20 को भुगतान किया है इसमें भी कई आधे-अधूरे ही है। बाकी 42 केस का कोई निराकरण नहीं हुआ है। इसके अतिरिक्त भी प्रशासन के पास 28 शिकायतें आई थी, वहीं अभी कमेटी के पास 266 मामले पहुंच चुके हैं। इसके मुकाबले निराकरण मात्र 46 का ही, जिसमें भी कब्जों का कोई मतलब ही नहीं है।
क्यों अब नाराज होने लगे हैं पीड़ित
पीड़ितों की यह ल़डाई एक-दो साल की नहीं है, कोई साल 2008-09 से पीड़ित है तो कई 2010 से। कई लोगों ने इनके खिलाफ केस कराए, भूमाफिया कभी पकड़े गए कभी छोड़े गए। नीलेश तो कभी पकड़ में ही नहीं आया। चंपू जेल में बंद हुआ तो पीड़ितों की लड़ई सुप्रीम कोर्ट तक गई और नवंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत दी कि पीड़ितों का निराकरण करेंगे। बाद में मामला हाईकोर्ट इंदौर बेंच भेज दिया गया। यहां जिला प्रशासन की कमेटी लगी रही लेकिन कुछ नहीं हुआ और भूमाफिया उलझाते रहे। बाद में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई तो वहां पीडितों ने खुद जाकर बात रखी, प्रशासन ने भी साफ कहा कि यह आरोपी सहयोग नहीं कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने इसमें हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता मे कमेटी बना दी, जो मई पहले सप्ताह से ही सुनवाई कर रही है लेकिन अभी तक सेटेलाइट और फिनिक्स दोनों में ही कोई खास हल नहीं निकला है और सभी भूमाफिया जमानत पर ही है। कमेटी को 21 जून से पहले अपनी रिपोर्ट देना है।