संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी जिले के निर्वाचन अधिकारी हैं और विधानसभा चुनाव की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं के पास है, लेकिन जीएडी (सामान्य प्रशासन विभाग) ने यह जानते हुए भी किसी भी आईएएस की इंदौर कलेक्ट्रेट में पोस्टिंग नहीं की। इसके बाद सवाल उठ रहे है कि ऐसे चुनाव के समय में जीएडी यह पोस्टिंग करना भूल गया या फिर ऐसी इंदौर और कलेक्टर से नाराजगी थी, जो इस संवेदनशील समय में भी किसी आईएएस को यहां ट्रांसफर नहीं कर सकी। यह बात इसलिए भी उठ रही हैं, क्योंकि इंदौर नगर निगम में निगमायुक्त हर्षिका सिंह तो खुद आईएएस हैं ही, लेकिन उन्हें तीन-तीन आईएएस भी दिए गए हैं। पहले कभी भी नगर निगम में इतने आईएएस पदस्थ ही नहीं थे। एक समय तो अधिकांश निगमायुक्त भी आईएएस नहीं होकर अपर कलेक्टर स्तर के ही अधिकारी होते थे।
इंदौर में दो आईएएस अपर कलेक्टर की पोस्ट, दोनों खाली
इंदौर कलेक्ट्रेट में औपचारिक तौर पर ही दो आईएएस अपर कलेक्टर की पोस्ट हैं और दोनों खाली हैं। इंदौर में हमेशा आईएएस मौजूद रहा है, यदि कलेक्ट्रेट में कोई डायरेक्ट आईएएस नहीं रहा तो जिला पंचायत में रहा है। जो कलेक्टर के कामों में मदद करते रहे हैं। इंदौर में अभी अपर कलेक्टर के नाम पर साल 2007 बैच की राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी सपना लौवंशी, साल 2012 बैच के संयुक्त कलेक्टर रोशन राय (जो 20 जुलाई को ही देवास निगमायुक्त बने थे लेकिन देवास महारानी की नाराजगी के चलते जॉइन नहीं कर सके और 29 को उनका ट्रासंफर इंदौर हो गया) और राजेंद्र रघवुंशी है।
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इंदौर नगर निगम में कुल चार आईएएस
इंदौर नगर निगम में साल 2012 बैच की आईएएस हर्षिका सिंह खुद निगमायुक्त है, इसके साथ ही आईएएस सिद्धार्थ जैन, दिव्यांक सिंह और अब नवागत आईएएस अभिलाष मिश्रा ने भी ज्वाइन कर लिया है। इस तरह कुल चार आईएएस है और चारों ही डायरेक्ट आईएएस यानी आरआर (रेगुलर रिक्रूटमेंट) वाले हैं ना कि प्रमोटी।
कलेक्टर को नई नवेली टीम से लेना है काम, जिन्हें इंदौर का अनुभव नहीं
निगम में आए आईएएस मिश्रा इंदौर महू में एसडीएम रह चुके हैं, ऐसे में उन्हें इंदौर अपर कलेक्टर बनाने से कलेक्टर और प्रशासन को मदद मिलती। वहीं, इंदौर कलेक्ट्रेट में जो अधिकारी पदस्थ हैं, इसमें अपर कलेक्टर पद वाले तीनों अधिकारी तो पहली बार ही इंदौर पोस्टेड हुए हैं, इन्हें इंदौर में काम का अनुभव नहीं है, हालांकि, सपना लौवंशी को ही अभी पर्याप्त समय इंदौर में हुआ है। राय और रघुवंशी को सप्ताह भर भी नहीं हुआ है। वहीं एसडीएम स्तर की बात करें तो इंदौर जिले में काम करने का अनुभव केवल अक्षय मरकाम को ही है, देपालपुर एसडीएम रवि वर्मा को भी कुछ समय अब हो चुका है, महू एसडीएम बनाए गए विनोद राठौर को है, लेकिन वह तहसीलदार तौर पर रहे हैं, इसी तरह निधि वर्मा को भी नायब तहसीलदार तौर पर काम करने का अनुभव है। जिन्हें अभी नजूल शाखा का काम दिया हुआ है। खुडैल एसडीएम अजीत श्रीवास्तव भी तहसीलदार रह चुके हैं, लेकिन इसके अलावा यहां पदस्थ हुए 2017 बैच के संयुक्त कलेक्टर ओमनारायण सिंह बड़कुल, कल्याणी पांडे और 2018 बैच के घनश्याम धनगर के साथ ही एसडीएम प्रभार में आए विजय कुमार मंडलोई, गोपाल वर्मा, चंद्र प्रकाश धार्वे, अजय शुक्ला यह सभी पहली बार ही इंदौर पदस्थ हुए हैं।
पहले यह आईएएस थे अपर कलेक्टर, टीम थी मजबूत
इसके पहले इंदौर में अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर और अजय देव शर्मा थे, जो बाद में आईएएस भी हो गए थे। इसके साथ ही 2011 बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी राजेश राठौड़ भी थे, प्रमोटी अपर कलेक्टर के तौर पर आरएस मंडलोई थे और बाद में सपना लौवंशी ने भी जॉइन कर लिया था। अपर कलेक्टर के तौर पर कलेक्टर के पास मजूबत टीम मौजूद थी, इसके चलते एसडीएम, तहसील स्तर पर भी पर्याप्त मॉनीटरिंग मौजूद थी लेकिन अब यह नहीं है। अब केवल तीन अपर कलेक्टर है, ऐसे में लौवंशी के पास भी काफी कम बढ़ गए हैं।
इंदौर में तहसीलदारों को भी कलेक्टर ने दिए प्रभार
कलेक्टर ने इंदौर में जॉइन करने वाले तहसीलदार, नायब तहसीलदारों के बीच भी कार्यविभाजन के आदेश कर दिए हैं।
- शेखर चौधरी- प्रभारी तहसीलदार देपालपुर