BHOPAL. मध्यप्रदेश कांग्रेस में हुई नियुक्तियों ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भविष्य या यूं कहें कि उनकी आगामी भूमिका को लेकर राजनीतिक हलकों में सवाल खड़े कर दिए हैं। अब तक ये माना जा रहा था कि कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष या विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद अपने पास रखेंगे, लेकिन इन दोनों ही महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां हो गई हैं। इसके साथ ही कमलनाथ के दिल्ली लौटने के भी कयास लगाए जाने लगे हैं। माना जा रहा है कि इसके साथ ही उनकी प्रदेश की राजनीति से विदाई हो गई है। पार्टी आलाकमान यानी गांधी परिवार के खास कमलनाथ का उपयोग कांग्रेस कैसे करती है, ये तो वक्त ही बताएगा।
2018 में कांग्रेस को मिली थी जीत
मई 2018 की गर्मियों में कमलनाथ को डेढ़ दशक से काबिज बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से हाईकमान ने मध्यप्रदेश भेजा था। अपने राजनीतिक करियर में ज्यादातर दिल्ली की राजनीति करने वाले कमलनाथ ने आलाकमान को निराश नहीं किया। उनकी अध्यक्षता में कांग्रेस का वनवास खत्म हुआ और पार्टी सत्ता में लौटी। हालांकि ये बात और है कि पार्टी के ही एक धड़े ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत से कांग्रेस के हाथ से सत्ता निकल गई और बीजेपी फिर सूबे में काबिज हो गई।
सरकार गिरने के बाद भी कमलनाथ MP में रहे
मध्यप्रदेश में 15 महीने की कांग्रेस सरकार गिरने के बाद भी कमलनाथ ने दिल्ली जाने की बजाय प्रदेश में ही रहने का विकल्प चुना। इस दौरान दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी चुनाव हुआ, जिसमें कमलनाथ को भी ये जिम्मेदारी देने की बात उठी थी। कमलनाथ ने प्रदेश में रहते हुए पार्टी को सक्रिए बनाए रखा। हाल ही में हुए 2023 के विधानसभा चुनाव में ऐसा लग रहा था कि उनकी मेहनत रंग ला रही है और कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है। हालांकि, ऐसा हो नहीं सका और कांग्रेस को 2018 से भी कम सीटें हासिल हुईं। इसके साथ ही उम्र के 8वें दशक से 3 साल दूर कमलनाथ के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने की आस खत्म हो गई।
कोषाध्यक्ष बनाए जा सकते हैं कमलनाथ
कमलनाथ गांधी परिवार के करीबी हैं। यही वजह है कि उन्हें पार्टी संगठन में मनचाही भूमिका मिलने में शायद ही कोई दिक्कत हो। इसलिए राजनीतिक हलकों में कयास लगाए जा रहे हैं कि अब वे पहले की ही तरह दिल्ली की राजनीति करेंगे। माना जा रहा है कि उन्हें कांग्रेस के कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है। दरअसल, ये जिम्मेदारी अभी अजय माकन के पास है। माकन का उपयोग पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव में सक्रिय रूप से करना चाहेगी। ऐसे में इस पद को गांधी परिवार अपने करीबी को ही देना चाहेगा। कमलनाथ के दिल्ली जाने पर उन्हें ये जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद है।
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क्या लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे नाथ ?
प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष जैसे दोनों ही महत्वूपर्ण पद स्वीकार नहीं करने के बाद ये तो तय माना जा रहा है कि कमलनाथ दिल्ली जा रहे हैं। ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है कि क्या कमलनाथ 2024 का लोकसभा चुनाव छिंदवाड़ा से लड़ेंगे। फिलहाल, कमलनाथ छिंदवाड़ा से विधायक हैं और उनके बेटे नकुल नाथ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से सांसद हैं। छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ है। उन्हें यहां से हरा पाना बीजेपी के लिए एक चुनौती बनी हुई है। 2014 और 2019 की मोदी लहर में भी नाथ परिवार यहां अपनी सीट बचाने में सफल रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि कमलनाथ लोकसभा का चुनाव लड़ें। ये देखना भी दिलचस्प होगा कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भी छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। कमलनाथ की अगली भूमिका क्या होगी, ये तो वक्त ही बताएगा। तब तक उनके अगले कदम को लेकर कयासों का दौर जारी रहेगा।