BHOPAL. एमपी का बहुचर्चित हनीट्रैप कांड एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। सरकार ने 1992 बैच के आईपीएस आदर्श कटियार को स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम यानी एसआईटी का अध्यक्ष बना दिया। क्या है ये हनी ट्रैप कांड, जिसकी चार साल में भी जांच पूरी नहीं हो पाई है।
ब्लैकमेल करके तीन करोड़ रुपए मांगे
कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के समय 17 सितंबर, 2019 को इंदौर नगर निगम के तत्कालीन इंजीनियर हरभजन सिंह पलासिया पुलिस थाने पहुंचे। उन्होंने जो बताया उससे हनी ट्रैप की परतें खुलना शुरू हुईं। उन्होंने कहा कि महिलाएं उनसे अश्लील वीडियो के नाम पर ब्लैकमेल करके तीन करोड़ रुपए मांग रही हैं। पुलिस ने ब्लैकमेल करने वाली भोपाल की एक महिला को अपनी गिरफ्त में लिया। पता चला कि श्वेता स्वप्निल जैन (48), श्वेता विजय जैन (39), आरती दयाल (29), मोनिका यादव (19), बरखा सोनी (34) इस पूरे मामले में मुख्य किरदार हैं। केस में दिन प्रतिदिन नए खुलासे होने लगे तो 31 अक्टूबर 2020 को एसआईटी का गठन किया गया।
कई मंत्री और अफसरों के आए वीडियो
हनीट्रैप गैंग ने ब्लैकमेलिंग करके करोड़ों रुपए जमा किए। इनके पास 100 से अधिक सेक्स वीडियो मिले, इनमें 20 से ज्यादा IAS, IPS अफसरों के साथ नेताओं के भी वीडियो हैं। इन महिलाओं ने एक पूर्व मुख्यमंत्री, दो मंत्री, तीन पूर्व मंत्री, एक पूर्व सांसद, 14 IAS अफसर, 9 IPS अफसरों को अपना शिकार बनाया है। हालांकि, इनमें से एक-दो नेताओं और दो अफसरों के वीडियो ही लीक हुए।
पॉश कॉलोनी में रहकर फंसाती थी जाल में
महिला भोपाल के बेहद पॉश इलाके रिवेरा टाउन में रहती थी। वह रसूख झाड़ने के लिए एक विधायक के घर में 35 हजार रुपए महीने के किराए पर रहती थी। इस कॉलोनी में पूर्व मंत्रियों और तत्कालीन कमलनाथ सरकार के मंत्री और विधायकों के भी घर हैं। महिला यहीं से साजिश रचती थी इसलिए नेता उसके जाल में आसानी से फंस गए। जिस बंगले मे ये महिला रहती थी, उसे एक पूर्व मुख्यमंत्री ने उसे दिलवाया था। ब्लेकमैलर महिला साल 2013 में ही एक बड़ी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन विधानसभा चुनाव से ऐन पहले खुद के ड्राइवर के साथ ही उसका एक अश्लील वीडियो भी वायरल हो गया। यहीं से उसका सपना चौपट हो गया।
सेक्स वीडियो बनाने के बाद होती थी वसूली
हनीट्रैप कांड की मुख्य आरोपी श्वेता विजय जैन अफसर और नेताओं से आरती की दोस्ती करवाती थी। बाद में आरती उन्हें अपने जाल में फंसाकर वीडियो बना लेती, फिर श्वेता के इशारे पर रुपए वसूलने का काम होता था। श्वेता स्वप्निल जैन, श्वेता विजय जैन, आरती दयाल, मोनिका यादव, बरखा सोनी इस पूरे मामले में मुख्य किरदार थे।
एक के बाद एक जांच अधिकारी बदलते गए
23 सितंबर 2019 को गठित एसआईटी की जिम्मेदारी सबसे पहले 1997 बैच के आईपीएस डी श्रीनिवास वर्मा को दी गई थी, लेकिन गठन के 24 घंटे के अंदर ही एसआईटी की जिम्मेदारी तेजतर्रार अफसरों में शुमार एडीजी संजीव शमी को दी गई। एक अक्टूर को संजीव शमी को एसआईटी प्रमुख के पद से हटाकर राजेंद्र कुमार को एसआईटी जांच की कमान सौंपी गई। श्वेता ने एक बार एसआईटी को बताया था कि आईपीएस और आईएएस अफसरों की डिमांड पर कॉलेज की छात्राओं को उनके पास भेजा जाता था। इन अधिकारियों में कई तो उन छात्राओं की पिता की उम्र के बराबर थे। अब कटियार के पास जांच का जिम्मा है देखना होगा चार साल से चल रही ये जांच अपने मुकाम तक कब पहुंचेगी।