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BHOPAL. मध्य प्रदेश की 16वीं विधानसभा में बीजेपी के सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव प्रोटेम स्पीकर होंगे, जो सभी नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे। आमतौर पर प्रोटेम स्पीकर का काम नए सदस्यों को शपथ दिलाना और स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष ) का चुनाव कराना होता है। अब आप सभी जानना चाहते होंगे कि ये प्रोटेम स्पीकर क्या होता है? इनका काम और सैलरी क्या रहती है...तो आज हम इस सब के बार में आपको बताएंगे।
कौन होता है प्रोटेम स्पीकर ?
प्रोटेम शब्द लैटिन भाषा के शब्द प्रो टैम्पोर का संक्षिप्त रूप है। इसका मतलब- 'कुछ समय के लिए'। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है और इसकी नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है जब तक लोकसभा या विधानसभा अपना स्थायी विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) नहीं चुन लेती। प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलवाता है और शपथ ग्रहण का पूरा कार्यक्रम इन्हीं की देखरेख में होता है। सदन में जब तक सांसद शपथ नहीं ले लेते, तब तक उनको सदन का हिस्सा नहीं माना जाता। सबसे पहले सांसद को शपथ दिलाई जाती है। जब सांसदों की शपथ हो जाती है तो उसके बाद यह सभी लोकसभा स्पीकर का चुनाव करते हैं। संसदीय परंपरा के मुताबिक राष्ट्रपति सदन में वरिष्ठतम सदस्यों में से किसी एक को प्रोटेम स्पीकर के लिए चुनते हैं। यही व्यवस्था लोकसभा के अलावा विधानसभा के लिए होती है। अभी तक सामान्यत: सदन के वरिष्ठतम सदस्य को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
प्रोटेम स्पीकर का काम
- नए सदस्यों को शपथ दिलाना
- विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराना
- फ्लोर टेस्ट करने का काम करना
- स्थायी स्पीकर चुने जाने तक सदन की गतिविधियों को चलाना
- सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने का कार्य
प्रोटेम स्पीकर का कार्यकाल
- प्रोटेम स्पीकर का कार्यकाल 1-8 दिन का रहता है।
- ज्ञान सिंह 2013 में 41 दिन के लिए प्रोटेम स्पीकर रहे।
- 2013-14 में केडी देशमुख 18 दिन के लिए प्रोटेम स्पीकर रहे।
- 2 महीने तक जगदीश देवड़ा प्रोटेम स्पीकर रहे
कितनी होती है प्रोटेम स्पीकर की सैलरी ?
मध्यप्रदेश में पहली बार प्रोटेम स्पीकर पद पर रहते हुए विधायक के रूप में मिलने वाले वेतन के साथ ही प्रोटेम स्पीकर के रूप में वेतन देना भी शुरू किया गया। उस समय जगदीश देवड़ा को विधायक के अलावा प्रोटेम स्पीकर के रूप में 75 हजार रुपए अतिरिक्त आर्थिक लाभ दिया गया था। ये सैलरी राज्य सभा अध्यक्ष के समकक्ष होता है।