BHOPAL. मुख्यमंत्री की शपथ पूरी, अब मंत्रियों की बारी, चौंकिए क्योंकि चौंकाने की फिर होगी पूरी तैयारी। मध्यप्रदेश ही नहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी जिस तरह बीजेपी ने मुख्यमंत्रियों के चेहरे चुने हैं। राजनीतिक जानकारों, तजुर्बेकारों अपना साथियों सहित आम लोगों को चौंकाया है। कुछ उसी अंदाज में अब मंत्रिमंडल के गठन में भी चौंकाने वाले नतीजे सामने आ सकते हैं।
मध्यप्रदेश का मंत्रिमंडल अब कैसा होगा ?
शिवराज मंत्रिमंडल की जगह पूरे 20 साल बाद प्रदेश में अब मंत्रिमंडल का नाम बदल रहा है। अब मध्यप्रदेश में मोहन मंत्रिमंडल होगा। नाम बदला है तो जाहिर है कि कुछ चेहरे और पहचान भी बदल सकती है। हो सकता है कुछ पुराने चेहरों की पूरी तरह से छुट्टी हो जाए और आलाकमान की तर्ज पर मोहन यादव भी अपनी कैबिनेट में कुछ नए और फ्रेश चेहरों को शामिल करें। तो सवाल पूछा जा सकता है कि क्या सीनियर मोस्ट विधायक गोपाल भार्गव इस कैबिनेट का हिस्सा होंगे। शिवराज के खास नेताओं में शुमार भूपेंद्र सिंह क्या मोहन कैबिनेट में नजर आएंगे।
कितने सिंधिया समर्थकों को अब कैबिनेट में जगह मिलेगी ?
ताजपोशी के बाद मोहन यादव ने उमा भारती से मुलाकात की, तो क्या उमा समर्थक को या उमा की सलाह से कैबिनेट का कोई फैसला होगा। उमा भारती के अलावा मोहन यादव नरोत्तम मिश्रा से भी मिले। उनके शपथ ग्रहण समारोह के दौरान नरोत्तम मिश्रा बड़े नेताओं को रिसीव करने की कतार में सबसे आगे नजर आए। समारोह के दौरान भी जीते हुए विधायकों से आगे की पंक्ति में बैठे नजर आए। समंदर की लहरें पलटकर आती हैं, वो ये ऐलान भी कर ही चुके हैं। तो, क्या येन केन प्रकारेण उनकी कैबिनेट में वापसी संभव होगी। मोहन केबिनेट से जुड़े ऐसे कई सवाल हैं जो राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के दिमाग में कोहराम मचा रहे होंगे। कुछ कयास का दौर शुरू भी हो चुका है। जैसा पहले ही बताया है कि इस बार मोहन कैबिनेट में कुछ नए ताजा चेहरे जनता के सामने होंगे। जिनसे ये उम्मीद लगाई जा सके कि ये नए हैं तो कुछ नया करके दिखाएंगे। इन ताजा चेहरों में बहुत से नाम हो सकते हैं।
मोहन कैबिनेट में ये हो सकते हैं फ्रेश चेहरे
पिछली बार प्रोटेम स्पीकर रहे रामेश्वर शर्मा जो बड़ी जीत हासिल करके विधानसभा पहुंचे हैं। भोपाल जिले की विधानसभाओं में से ही विष्णु खत्री और कृष्णा गौर चेहरा हो सकते हैं। इंदौर से रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़, सागर से शैलेंद्र जैन, प्रदीप लारिया, होशंगाबाद से विजयपाल सिंह, ठाकुरदास नागवंशी, गायत्री राजे पंवार, आशीष शर्मा, धार से नीना वर्मा, विंध्य से नागेंद्र सिंह गुढ़, दिव्यराज सिंह, ब्यौहारी से शरद कोल, कुंवर सिंह टेकाम, शिवनारायण सिंह, जबलपुर से अशोक रोहाणी, बैतूल से हेमंत खंडेलवाल, विदिशा से हरी सिंह सप्रे, उमाकांत शर्मा, रतलाम से चेतन्य कश्यप, डॉ. राजेंद्र पांडेय को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
किसकी चमकेगी किस्मत ?
इनमें से कुछ चेहरे जाने-माने हैं, लगातार जीत रहे हैं, लेकिन कैबिनेट में जाने का मौका उन्हें अब तक नहीं मिला। इस बार हो सकता है कि मोहन यादव की तरह उनकी किस्मत भी चमक जाए। नए चेहरों को मौका देने की रणनीति इसलिए ठोस नजर आती है क्योंकि बीजेपी ने इस चुनाव में इस फॉर्मूले को पूरी तरह आजमा भी लिया है। जिन चेहरों को लेकर नाराजगी ज्यादा थी उन चेहरों के टिकट काट दिए गए। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का फेस पीछे करके नरेंद्र मोदी का फेस आगे किया गया। अब यही फॉर्मूला कैबिनेट में भी आजमाया जा सकता है। जहां जनता को नए चेहरे नजर आएं और नई उम्मीद भी जगे। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एंटीइंकंबेंसी को कम से कम करना बीजेपी की पहली कोशिश होगी। जिसकी शुरूआत विधानसभा चुनाव से हो ही चुकी है और केबिनेट के जरिए ये दूसरी कोशिश होगी। ताकि पार्टी के प्रति लोगों की नाराजगी कम से कम रहे। यही फॉर्मूला अपनाया गया तो कुछ पुराने चेहरों को उनके तजुर्बे और बंपर जीत के बावजूद कैबिनेट में मौका मिलना मुश्किल है।
किसका नाम मंत्री पद की रेस से बाहर !
जयंत मलैया, गोपाल भार्गव, नागेंद्र सिंह नागौद, अजय विश्नोई, भूपेंद्र सिंह, ओमप्रकाश धुर्वे, करण सिंह वर्मा, अर्चना चिटनीस, विजय शाह, डॉ. सीतासरन शर्मा, उषा ठाकुर, ललिता यादव, प्रद्युम्न सिंह तोमर और बिसाहूलाल सिंह का नाम मंत्री पद की रेस से बाहर ही माना जा रहा है।
सांसदी छोड़ने वालों का क्या होगा ?
कुछ सवाल और हैं जिनके जवाब अपनी नई टीम तैयार करने से पहले मोहन यादव को खुद ही तलाशने होंगे। चंद सवाल तो हम पूछ ही चुके हैं। एक सवाल ये भी मुंह बाय खड़ा है कि जो दिग्गज चुनाव जीते हैं। जिन्हें खुद मुख्यमंत्री बनने की आस थी। या उनका कद मोहन यादव के राजनीतिक कद से कहीं ज्यादा बड़ा है। अब उनका क्या होगा। इन नामों में प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह, रीति पाठक, राव उदय प्रताप सिंह का नाम शामिल है। जो अपनी संसद की सदस्यता छोड़ चुके हैं। ये चेहरे कैबिनेट में दिखाई देंगे। इनकी दावेदारी से इनकार तो नहीं किया जा सका, लेकिन इन बड़े चेहरों को किस तरह एडजस्ट किया जाएगा ये भी बड़ा सवाल है।
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मोहन यादव की रणनीति क्या होगी ?
कुछ और सीनियर विधायक जैसे गोविंद सिंह राजपूत, तुलसीराम सिलावट, डॉ. प्रभुराम चौधरी, नारायण सिंह कुशवाहा, मीना सिंह, संजय पाठक, बृजेंद्र प्रताप सिंह, विश्वास सारंग और हरदीप सिंह डंग भी दावेदारी जता सकते हैं। ऐसे में नए नए मुख्यमंत्री बने मोहन यादव की रणनीति क्या होगी। उनकी कैबिनेट में किस तरह नए और पुराने चेहरे, सीनियर और जूनियर विधायकों का तालमेल बिठाया जाता है। किस तरह अहम विभाग से लेकर कमजोर विभागों का बंटवारा होता है, वो फैसला देखने लायक होगा। जो मोहन यादव का राजनीतिक कौशल का आइना भी बनेगा।