क्या अब रडार पर आएंगे राजस्थान के सबसे प्रभावशाली अधिकारी, ACB ने 2 महीने पहले मांगी थी जांच की अनुमति

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Rahul Garhwal
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क्या अब रडार पर आएंगे राजस्थान के सबसे प्रभावशाली अधिकारी, ACB ने 2 महीने पहले मांगी थी जांच की अनुमति

मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में पिछली सरकार के समय सबसे प्रभावशाली अधिकारियों में रहे वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने सरकार से जांच की अनुमति मांगी है। ये अनुमति 2 महीने पहले मांगी गई थी, लेकिन अभी तक सरकार ने अनुमति नहीं दी है। अब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया है और नई सरकार को इस बारे में फैसला करना है। ऐसे में नजर इस बात पर बनी रहेगी नई सरकार जिसने चुनाव में भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया था, वो एसीबी की मांग पर क्या फैसला करती है।

अरोड़ा के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी

अखिल अरोड़ा अतिरिक्त मुख्य सचिव होने के साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी विभाग का काम भी देख रहे थे। एसीबी ने कुछ टेंडर्स के मामले में अनियमित की संभावना को देखते हुए सरकार से अरोड़ा के खिलाफ जांच शुरू करने की अनुमति मांगी है। एसीबी को मिली शिकायतों में वीडियो वॉल लगाने के 2 टेंडर और ई-मित्र कियोस्क लगाने संबंधी 2 अन्य टेंडर में अनियमितता की बात है और इसी संबंध में जांच के लिए एसीबी ने अखिल अरोड़ा के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी है।

नकदी और सोना मिलने की घटना से जुड़े हो सकते हैं तार

एसीबी ने जिन मामलों में अखिल अरोड़ा के खिलाफ जांच के अनुमति मांगी है। उनका संबंध सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के कार्यालय के बेसमेंट में कुछ महीने पहले मिले सोने और नकदी की घटना से हो सकते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के कार्यालय के बेसमेंट में इस साल मई में ये घटना सामने आई थी और उसे मामले में एक जॉइंट डायरेक्टर वेद प्रकाश यादव को आरोपी मानते हुए आरोप पत्र पेश कर दिया गया। सूत्रों का कहना है कि वेद प्रकाश यादव ही इन चारों टेंडर्स का काम देख रहे थे। ऐसे में एसीबी ने उस समय मामले की जांच करते हुए जो फाइल है जब्त की है, उसमें अनियमितता की बात सामने आई है और उस मामले की जांच से ही आगे की कड़ी जुड़ती दिख रही हैं।

2 महीने पहले मांगी थी जांच की अनुमति

इस मामले में 2 महीने पहले यानी 6 अक्टूबर को जांच की अनुमति मांगी थी। इसके बाद 9 अक्टूबर को चुनाव के आचार संहिता लागू हो गई। अब आचार संहिता चुकी समाप्त हो चुकी है और नई सरकार जल्द ही काम संभाल लेगी। ऐसे में एसीबी की ओर से मांगी गई इस अनुमति पर फैसला नई सरकार को ही करना है। चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया था और पार्टी के नेता और मौजूदा विधायक किरोड़ी लाल मीणा ने सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में ही 5 हजार करोड़ के घोटाले के आरोप तक लगाए थे। ऐसे में माना जा रहा है कि अखिल अरोड़ा के लिए आने वाला समय कुछ मुश्किल भरा हो सकता है।

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बीजेपी सरकार में भी रही धाक

अखिल अरोड़ा उन अधिकारियों में है जिनकी धात सिर्फ कांग्रेस सरकार में ही नहीं बल्कि बीजेपी सरकार में भी रही है। अरोड़ा उसे समय सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ही संभाल रहे थे और बीजेपी सरकार के समय सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में किए गए कई नवाचारों में उनकी अहम भूमिका रही है। जयपुर में अत्याधुनिक भामाशाह टेक्नो सेंटर की स्थापना से लेकर भामाशाह कार्ड बनाने और सरकार के स्तर पर आईटी मेले आयोजित करने में भी उनकी भूमिका रही है।

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