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Raipur. छत्तीसगढ़ में शराबबंदी के वादे के आई भूपेश सरकार अब U Turn के मोड पर है। 2018 के चुनाव में महिलाओं के शॉफ्ट कॉर्नर के साथ शराबबंदी का वादा कर कांग्रेस सरकार ने वोट तो अपनी तरफ कर लिए थे, लेकिन अब फिर से चुनाव सिर पर हैं। इस बार चुनावी मुद्दा बनकर शराबबंदी को जनता के सामने रखना है या नहीं.. इस पर दोनों ही पार्टियां अभी असमंजस की स्थिति में है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही शराबबंदी को लेकर सोच विचार में हैं।
शराबबंदी को लेकर भूपेश सरकार U-Turn?
छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर सियासी उबाल तो खूब देखने मिलता है। शराबबंदी सबसे ज्यादा महिलाओं को आकर्षित करती है। ऐसे महिलाओं के मद्दे नजर कांग्रेस ने शराबबंदी का वादा कर वोट भी पाया और सरकार भी बनाई। इसके बाद जब बात आई वादा पूरा करने की तो कमेटियां बनाकर दूसरे राज्यों में भेजा भी गया, लेकिन नतीजे कुछ नहीं निकले हैं। यानी न शराब बंद हुई न वादा पूरा हुआ। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार इस मुद्दे पर U Turn लेती दिखाई दे रही है। हालही में सीएम भूपेश बघेल ने बयान दिया है कि शराबबंदी तो कभी भी की जा सकती है, लेकिन मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगा, जिससे लोगों की जान चली जाए। मैं चाहता हूं शरबबंदी नहीं बल्कि नशा बंदी होना चाहिए।
बीजेपी ने नहीं खोले 'पत्ते'!
अब मुख्यमंत्री के जबाव से यह पता चलता है कि शराबबंदी होने के आसार न के बराबर हैं। वहीं विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में घोषणा पत्र का वादा तो पूरा होगा या नहीं बड़ा सवाल है। लेकिन इस बार चुनावी घोषणा पत्र में शराबबंदी रहेगा या नहीं इसको लेकर बीजेपी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोला है। बीजेपी प्रभारी ओम माथुर ने सिर्फ इतना कहा है कि इंतेजार करिए।
क्या कहते हैं आंकड़ें?
लेकिन क्या सरकार इसको लेकर कुछ फैसला ले सकती है या नहीं ये बड़ा सवाल है... क्यों कि प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व आबकारी विभाग से मिलता है... साल 2019 से लेकर 6 फरवरी 2023 तक के आंकड़ों में नजर डाले तो 2019-20 में 4 हजार 952 करोड़ 79 लाख रुपए, 2020-21 में 4 हजार 636 करोड़ 90 लाख रुपए, 2021-22 में 5 हजार 110 करोड़ 15 लाख रुपए, 2022-23 में 1 अप्रैल से 6 फरवरी 2023 तक 5 हजार 525 करोड़ 99 यानी इस बार आंकड़ा 6 हजार करोड़ तक पहुंच गया होगा।
कितना कर्ज और क्या विकल्प?
अब ऐसे अगर 5 हजार करोड़ से ज्यादा हर का राजस्व है तो वहीं छत्तीसगढ़ सरकार के उपर 82 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज लदा है। जिसमे से भूपेश सरकार आने के बाद 54 हजार 491 करोड़ 68 लाख रुपए का ऋण लिया गया है। वहीं हर महीने करीबन 460 करोड़ से रुपए का ब्याज भी हर महीने जाता ही है। तो शराब के अलावा किसी और से इतना राजस्व मिलना असंभव लगता है। ऐसे में सत्ता पक्ष और विपक्ष किस तरीके शराब को लेकर अपनी रणनीति तैयार करते हैं ये देखने वाली बात होगी।