BHOPAL. मप्र की राजनीति में मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक स्व. कैलाश जोशी को संत का दर्जा हासिल है। 14 जुलाई को स्व. कैलाश जोशी की जयंती के मौके पर राजधानी भोपाल के मानस भवन में संत स्मरण दिवस कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस आयोजन में बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया जरूर मगर ये कार्यक्रम भी सियासत से अछूता नहीं रहा।
सीएम पहुंचे, दीपक जोशी नदारद
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पहुंचे। जब सीएम कार्यक्रम में पहुंचे तो स्व. कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी कहीं नजर नहीं आए। कार्यक्रम की शुरूआत स्व. कैलाश जोशी के पोते और दीपक जोशी के बेटे जयवर्धन जोशी ने की जो बीजेपी आईटी सेल के पदाधिकारी है। सीएम शिवराज के अलावा मंच पर नजर आए प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और भोपाल के नगर अध्यक्ष सुमित पचौरी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी। सीएम शिवराज ने अपने भाषण की शुरूआत में जोशी परिवार के सदस्यों के नाम लिए लेकिन दीपक जोशी का नाम नहीं लिया वो उस वक्त वहां मौजूद भी नहीं थे।
सीएम ने सुनाए पुराने संस्मरण
इस मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने स्व. कैलाश जोशी से जुड़े संस्मरण भी सुनाए। शिवराज ने 1974 के एक किस्से का जिक्र किया। सीएम ने कहा वो चुनाव का समय था और उस वक्त मैं मॉडल स्कूल बूथ पर कार्यकर्ता के रूप में मौजूद था। कैलाश जोशी उस वक्त नेता प्रतिपक्ष थे और चुनाव के दौरान हर बूथ का जायजा ले रहे थे। इसी दौरान मॉडल स्कूल बूथ पर जोशी जी को गड़बड़ी की शिकायत मिली तो वो वहां पहुंचे और पहली बार उनका रौद्र रूप देखने को मिला। शिवराज ने कहा कि वो अन्याय सहन नहीं करते थे। इसके बाद शिवराज ने 1990 का किस्सा सुनाया। शिवराज ने कहा कि मप्र में बीजेपी की सरकार बन चुकी थी और मैं युवा मोर्चे का प्रदेश अध्यक्ष था। युवा मोर्चा के कुछ कार्यकर्ता मेरे पास आए और कहा कि मंत्रिमंडल में युवाओं को मौका मिलना चाहिए। मैंने उस वक्त सोचा कि युवाओं को मंत्रिमंडल से दूर रहकर एक मिसाल कायम करना चाहिए इसलिए मैंने सार्वजनिक रूप से मंत्री न बनने का ऐलान किया। तब जोशी जी ने एक पुरानी जीप में मुझे बैठाया खुद भी बैठे और कहा चलो हम चलते हैं तुम भी छोड़ो मैं भी छोड़ता हूं। शिवराज ने कहा कि जोशी जी उन नेताओं में से थे जिनका भाषण नहीं आचरण बोलता था।
दीपक जोशी ने जिस वजह से पार्टी छोड़ी वो हुई पूरी
स्व. कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी ने जब बीजेपी को छोड़ा था तब कहा था कि स्व. जोशी जी ने इतने सालों तक पार्टी की सेवा की लेकिन उनके नाम से किसी भी संस्थान का नामकरण नहीं हुआ। दीपक जोशी ने ये भी कहा था कि इसके लिए वो कई बार सीएम शिवराज सिंह चौहान से मिले लेकिन कुछ नहीं हुआ। जंयती के इस कार्यक्रम में सीएम ने हाटपिपल्या के आईटीआई और देवास के ओल्ड फ्लॉयओवर का नाम स्व. कैलाश जोशी के नाम पर रखने का ऐलान किया।
सीएम रवाना, दिग्गी और दीपक जोशी आए
बीजेपी नेताओं ने कार्यक्रम खत्म किया उसके बाद मंच वो ही था, कुर्सियां भी वो ही थी बस चेहरे बदल गए। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के साथ स्व. कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी पहुंचे। इस मौके पर दीपक जोशी ने कहा कि उन्होंने 2023 में बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की है लेकिन 1990 में ही उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन करने का मन बना लिया था उस समय दिग्विजय सिंह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे। जोशी ने कहा कि दिग्विजय सिंह ने उन्हें केवल इसलिए कांग्रेस में शामिल नहीं किया क्योंकि वो कैलाश जोशी के बेटे थे और दिग्विजय नहीं चाहते थे कि उनके बेटे की वजह से कैलाश जोशी की राजनीति पर कोई दाग लगे।
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दिग्विजय ने ईडी, सीबीआई से बचने के दिए टिप्स
इस मौके पर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा कि स्व. कैलाश जोशी का जैसा जीवन रहा है वैसा जीवन आज के नेताओं को अपनाना चाहिए। स्व. कैलाश जोशी सदैव राजनीति को सेवा का माध्यम बनाया व्यवसाय का नहीं। दिग्विजय ने ये भी कहा इतिहास उन्हें ही याद रखता है जिन्होंने अपना राजनीतिक जीवन पाक साफ रखकर जनता की सेवा में बिताया हो। दिग्विजय ने कहा कि आज के समय में जो लोग राजनीति में आना चाहते हैं उन्हें अपना आदर्श बनाना है तो कैलाश जी को आदर्श बनाना चाहिए क्योंकि आज के जमाने में ईडी, सीबीआई से बचना है तो कैलाश जी जैसा जीवन अपनाकर ही बचा जा सकता है।